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मलेरिया की घटनाओं में कमी : एसबीआई जनरल इंश्योरेंस का अध्ययन

मुंबई। इस विश्व मलेरिया दिवस पर एसबीआई जनरल इंश्योरेंस एक रिपोर्ट लेकर आया है, जो भारत में मलेरिया होने के कारण किए जाने वाले दावों की संख्या में कमी को दर्शाती है। इस बीमा कंपनी ने यह तथ्य दिखाया है कि उसने पिछले 3 वर्षों के दौरान इस बीमारी के दावों के लिए हुए भुगतान के आंकड़ों में महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की है।
एसबीआई जनरल इंश्योरेंस द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार सहस्राब्दी में सबसे अधिक संख्या में दावों का भुगतान किया गया है (18-35 आयु वर्ग में)। हालांकि इस आयु वर्ग में दावों की संख्या का वितरण प्रतिशत 52.8% से गिर कर 45.5% पर आ गया है – यह हमारे पूरे देश में स्वच्छता और सफाई अभियानों में हुई बेहतरी का नतीजा हो सकता है। शोध से यह भी पता चलता है कि यह बीमारी महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक होती है। वित्त वर्ष 18 -19 के दौरान दावा निबटान के 65% मामले पुरुषों में देखे गए, जबकि महिलाओं के मामले 37% थे।
निष्कर्षों के अनुसार गैर-महानगरीय शहरों में यह बीमारी प्रमुखता से देखी गई है, जहां दावों का प्रतिशत 52% रहा, इसकी तुलना में महानगरीय शहरों में किए गए दावे 48% थे। इसके लिए प्रमुख कारक यह था कि गैर-महानगरीय शहरों की तुलना में महानगरों के अंदर स्वास्थ्य-रक्षा को लेकर जागरूकता कहीं अधिक है।

रिपोर्ट में सामने आए कुछ दिलचस्प रुझान नीचे दिए गए हैं :

  • साल-दर-साल भुगतान किए गए 1.7% दावों में से साल-दर-साल केवल 1.1% दावा राशि का भुगतान हुआ।
  • दावा भुगतान के मामले में 18-35 के आयु वर्ग की संख्या सबसे अधिक थी, इसके बाद 35-45 का आयु वर्ग रहा।
  • दावों का 65% भुगतान पुरुषों को किया गया, दावों का 35% भुगतान महिलाओं को किया गया
  • गैर-महानगरीय शहरों में 52% दावों का भुगतान देखा गया, जो महानगरीय शहरों की तुलना में अधिक है।
  • रिपोर्ट कहती है कि मलेरिया बुखार से संबंधित दावों की संख्या और राशि की मात्रा उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक रही, इसके बाद मध्य प्रदेश और गुजरात का स्थान था।

एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के दुर्घटना एवं स्वास्थ्य दावे, प्रमुख, श्री सुकेश भावे ने कहा, “इस विश्व मलेरिया दिवस हम सबको मलेरिया का खात्मा करने के लिए खुद को समर्पित करना चाहिए। हमारे शोध से पता चलता है कि भारत पहले ही इस मिशन की ओर अपने कदम बढ़ा चुका है। इसका अधिकांश असर स्वच्छ भारत अभियान जैसे उपक्रमों और स्वच्छता व स्वास्थ्य-रक्षा के प्रति बढ़ी हुई जागरूकता के चलते उत्पन्न हुआ है, जो देश के हर हिस्से में देखी जा सकती है। पिछले 3 वर्षों में दावों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। हालांकि अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है।”
उन्होंने आगे बताया, “हमने 18-35 आयु वर्ग के लोगों को इस बीमारी के लिए सबसे ज्यादा दावा करते देखा है। इनमें से अधिकतर पुरुष होते हैं, जो बड़े पैमाने पर यात्राएं करने और अपनी जीवन शैली के कारण इस बीमारी की चपेट में आते हैं। इस मलेरिया दिवस पर हम अच्छे स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाने में यकीन कर रहे हैं। इस भयानक बीमारी से सुरक्षित और संरक्षित होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि जीवन अनमोल है और इसे भरपूर जीना चाहिए।”

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