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ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के सदस्यों और इंडस्ट्री के लीडरों ने सरकार के सामने कई तरह की मांगें रखीं

नई दिल्ली। साल पहले स्थापित और 22,000 इंडस्ट्रियल यूनिट्स के प्रतिनिधि के तौर पर कार्यरत द ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (AIPMA) ने प्लास्टिक उद्योग को पुनर्जीवित करने और इसे विकास के मार्ग पर फिर से प्रशस्त करने के लिए सरकार से फौरी तौर पर कुछ जरूरी कदम उठाने का आग्रह किया है. इंडस्ट्री के लिए काम करनेवाली इस संस्था ने कस्टम ड्यूटी में फेरबदल करने, सस्ते फिनिश्ड उत्पादों के आयात पर पर एंटी डम्पिंग ड्यूटी लगाने, विदेशी व्यापार संधि के पुनर्वलोकन, BIS स्टैंडर्ड को अनिवार्य रूप से लागू किये जाने और उद्योग के लिए टेक्नोलॉजी अपग्रेडन फंड की व्यवस्था की भी मांग की है।
प्लास्टिक उद्योग के पुनरुत्थान के लिए सरकार द्वारा कदम उठाए जाने वाले आपात कदमों के सिलसिले में APIMA ने एक आपात बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में देशभर से 31 सहयोगी एसोसिएशन के 70 से अधिक प्रतिनिधियों, इंडस्ट्री लीडरों व गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया। इस बैठक में गुजरात राज्य प्लास्टिक मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन, ऑर्गनाइजेशन ऑफ प्लास्टिक प्रोसेसर्स ऑफ इंडिया, महाराष्ट्र प्लास्टिक मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन, कर्नाटक स्टेट प्लास्टिक एसोसिएशन, साउथ गुजरात प्लास्टिक मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन, सौराष्ट्र प्लास्टिक मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन, पिंपरी चिंचवाड प्लास्टिक एसोसिएशन, तेलंगाना ऐंड आंध्र प्लास्टिक मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन, इंडियन प्लास्टिक फेडरेशन, प्लास्टिक एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल जैसे प्रमुख एसोसिएशन ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
द ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री जगत किल्लावाला ने कहा कि प्लास्टिक उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान देनेवाले सबसे बड़े उद्योगों में से एक है और उम्मीद की जा रही है कि भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने के सपने में इस उद्योग का खासा योगदान रहेगा। उन्होंने इस बात की भी उम्मीद जताई कि अधिक विकास के मद्देनजर केंद्र सरकार इंडस्ट्री के साथ साझा तौर पर नीतियां बनाएगी और प्रभावकारी नीतियों को लागू करेगी।
AIPMA के गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष श्री अरविंद मेहता ने कहा, ‘मौजूदा समय में इंडस्ट्री एक बेहद मुश्किलि दौर से गुजर रही है, जिससे इंडस्ट्री के विस्तार और निवेश योजना पर रोक लग गई है। उन्होंने विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार से गुजारिश की कि वह विभिन्न मामलों में स्पष्ट योजना और स्पष्ट नीतियां बनाए।’
सभी मांगों के बारे में विस्तार से बताते हुए श्री किल्लावाला ने कहा कि प्लास्टिक प्रोसेसिंग उद्योग के अल्पकालिक व दीर्घकालिक यानी दोनों तरह से विकास के मद्देनजर एसोसिएशन ने सरकार से मांग की थी प्रमुख कच्चे माल की कस्टम ड्यूटी को बढ़ाने को लेकर वह किसी के दबाव में न आए। उन्होंने कहा, ‘इंडस्ट्री की मांग है कि PVC पर लगे 10% कस्टम ड्यूटी को हटाकर 7.5% किया जाए। गौरतलब है कि घरेलू क्षमता में कमी के चलते भारत की 50% जरूरतों की पूर्ति आयात के माध्यम से की जाती है। कस्टम ड्यूटी में किसी तरह की भी बढ़ोत्तरी होने से PVC पाइप व फिटिंग की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे कृषि क्षेत्र में विपरीत प्रभाव पड़ेगा। पॉलिप्रोपिलीन और पॉलीथिलीन पर लगे 7.5% के कस्टम ड्यूटी को बरकरार रखा जाना चाहिए. अगर इसमें बढ़ोत्तरी होती है तो ऑटोमोटिव, स्वास्थ्य के क्षेत्रों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा और मूल्य चक्र की कीमतों पर इसका गहरा असर होगा। PET पर टैरिफ बढ़ाने से प्रोसेसिंग व कंज्यूमर सेगमेंट पर प्रभाव पड़ेगा और ऐसे में च्म्ज् पर उपभोक्ता उत्पादन के उपभोग को बढ़ावा देने के लिए PET को 5% की दर पर बरकरार रखा जाना चाहिए. इसके अलावा, SAN और ABS पर लगाये गये कस्टम ड्यूटी को घटाकर 5% किया जाना चाहिए ताकि सहयोग उद्योगों के विकास को बढ़ावा मिले।’
प्लास्टिक प्रोसेसिंग के तकरीबन 50,000 लघु व छोटे यूनिट्स हैं, जिनमें लगभग 50 लोग काम करते हैं। सालाना 3.75 लाख करोड़ रुपये मूल्य के उत्पादन के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था में इसका भारी योगदान रहता है। मगर चीन और अन्य दक्षिण एशियाई देशों से होने वाले सस्ते निर्यातों के चलते इस उद्योग को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इंडस्ट्री की मांग है कि कच्चे माल और प्लास्टिक फिनिश्ड गुड्स के बीच कस्टम ड्यूटी में 10% का अंतर रखा जाना चाहिए।
चीन और अन्य देशों द्वारा किफायती दामों पर की जा रही डम्पिंग के चलते घरेलू उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में इंडस्ट्री ने विदेशियों कंपनियों द्वारा की जा रही अंडर इनवॉइसिंग से बचने के लिए फिनिश्ड गुड्स पर फ्लोर प्राइसिंग बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने द डायरेक्टरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज द्वारा प्लास्टिक फिनिश्ड गुड्स पर एंटी-डम्पिंग लगाये जाने की भी मांग की यानी ऐसे फिनिश्ड गुड्स पर एंटी-डम्पिंग लगाने की मांग की गई है, जिसका उद्भव उस देश या फिर चीन समेत तीन प्रमुख देशों द्वारा कम से कम पांच सालों से किया जा रहा हो।
विभिन्न देशों में मौजूदा FTA विफल साबित हुए है। इससे FTA देशों से भारत में शून्य अथवा भारी छूट की दरों में बड़े पैमाने पर आयात को बढ़ावा मिला है, जिससे प्रतिद्वंद्विता के मामले में भारत के प्लास्टिक प्रोसेसिंग उद्योग बुरी तरह से प्रभावित होंगे। बहरहाल, इन तमाम देशों को भारत की ओर से किये जानेवाले निर्यात में मामूली बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है, जिससे व्यापारिक संतुलन गड़बड़ा गया है। यही वजह है कि इंडस्ट्री ने मांग की है कि सभी मौजूदा FTA के पुनर्वलोकन किया जाए और पॉलिमेर्स व पॉलिमेर्स से बने उत्पादों को FTAs से मुक्त किया जाए।
श्री मेहता ने कहा, ‘भारत सरकार ने कच्चे माल पर BIS स्टैंडर्ड को अनिवार्य रूप से लागू करने का फैसला किया है । ऐसे में इंडस्ट्री को लग रहा है कि सरकार के इस कदम से लघु उद्योगों पर इसका विपरीत असर पड़ेगा । इसके अलावा, कच्चे माल से बने सेमी फिनिश्ड गुड्स और फिनिश्ड गुड्स को नॉन-टैरिफ बैरियर के दायरे में लाने से उद्योग के हितों को नुकसान होगा क्योंकि इसी कच्चे माल पर नॉन टेरिफ बैरियर टू ट्रेड (NTBT) लगाकर आयात करने से रोका जाता है। ऐसे में इंडस्ट्री ने मांग की है कि BIS और अंतर्राष्ट्रीय स्टैंडर्ड दोनों को बराबरी का दर्जा मिले., इससे कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता गैर-जरूरी कम्प्लायंस बर्डन से बच जाएंगे और साथ ही इससे गुणवत्तापूर्ण व सुरक्षित मालों के आयात भी सुनिश्चित हो जाएगा।’
अगर प्लास्टिक फिनिश्ड गुड्स पर BIS स्टैंडर्ड को अनिवार्य रूप से लागू किया गया, तो लघु उद्योगों को सर्टिफिकेशन की उंची कीमतों व नवीनीकरण, परीक्षण के लिए साधनों की अनुपलब्धता और अधिकारियों द्वारा सताये जाने की आशंका के चलते खासी दिक्कतों का सामना पड़ेगा। प्लास्टिक इंडस्ट्री ने टेक्सटाइल इंडस्ट्री की तर्ज पर टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड के लम्बित प्रस्ताव को त्वरित लागू किये जाने की मांग की ताकि निर्यात में खासी बढ़ोत्तरी हो।
इंडस्ट्री ने इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा आग व सुरक्षा संबंधी इंश्योरेंस मुहैया कराये जाने को लेकर बेतहाशा बढ़ाये जानेवाले प्रीमियम से संबंधित अपनी चिंताएं भी व्यक्त कीं। इंडस्ट्री MSME को प्लास्टिक प्रोसेसिंग यूनिट को इंश्योरेंस मुहैया नहीं कराये जाने को लेकर भी काफी चिंतित है। डैडम् की बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने और जीडीपी में अपने योगदान को बढ़ाने में बाधा साबित हो रहे बढ़ी हुई प्रीमियम को वापस लेने की भी अपील की है।

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