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संयुक्त राष्ट्र ने भारत के इंजीनियरिंग छात्रों की प्रशंसा की : अनिल सहस्रबुद्धे

नई दिल्ली। सॉफ्टवेयर उद्योग के वालेंटियरों और भारत के होनहार इंजीनियरिंग छात्रों द्वारा संयुक्त तौर पर विकसित कोरोनासेफ नेटवर्क (https://coronasafe.network/)  नामक ओपन-सोर्स पैंडेमिक मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर सोल्युशन को अंतरराष्ट्रीय जगत से प्रशंसा मिली है। इस सॉफ्टवेयर को संयुक्त राष्ट्र ने ग्लोबल डिजिटल पब्लिक गुड के रूप में मान्यता दी है।
डिजिटल पब्लिक गुड संयुक्त राष्ट्र द्वारा ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर को दी जाने वाली सर्वोच्च मान्यता है, जो खासकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों को सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
शुरुआत में इसे भारत में 300 से अधिक सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स द्वारा स्वैच्छिक तौर पर बनाया गया था और इसे सबसे पहले केरल सरकार ने कोविड प्रबंधन के लिए अपनाया था। इस सॉफ्टवेयर नेटवर्क का उपयोग अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) भी कर रहा है। यह समूचे जिले या राज्य को महामारी प्रबंधन को डिजिटल तरीके से करने में सक्षम बनाता है।
वैश्विक महामारी की पहली लहर खत्म होने के तुरंत बाद, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और इसके शैक्षिक प्रौद्योगिकी भागीदार Pupilfirst.org ने राष्ट्रीय स्तर पर एक फेलोशिप कार्यक्रम की घोषणा की थी ताकि संयुक्त रूप से आधुनिक सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कौशल में प्रतिभाशाली इंजीनियरिंग छात्रों का चयन करके उनको प्रशक्षित किया जाए और भविष्य के कोविड 19 लहर का सामना करने के लिए सॉफ्टवेयर विकास जारी रखा जाए।
35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 2,734 संस्थानों के कुल 50,482 छात्रों ने फेलोशिप कार्यक्रम के लिए आवेदन किया था, जिसमें से 24 छात्रों को माइकल और सुसान डेल फाउंडेशन, वाधवानी फाउंडेशन और एसीटी अनुदान द्वारा समर्थित पूर्ण छात्रवृत्ति के तहत 10-सप्ताह के उद्योग-उन्मुख प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए चुना गया था।
उद्योग के प्रोफेशनल्स के नेतृत्व में गहन प्रशिक्षण पूरा करने वाले चैदह छात्रों ने छह महीने की लंबी इंटर्नशिप शुरू की, जहां उन्होंने ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर को लगातार अपग्रेड किया। ये छात्र अब केरल के एर्नाकुलम जिले में और महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनिंदा जिलों में वॉर-रूम संचालित करते हैं।
एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो अनिल डी सहस्रबुद्धे ने कहा ‘इस ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर का रखरखाव भारतीय इंजीनियरिंग छात्रों द्वारा सक्रिय रूप से किया जाता है, और यह ओपन डेटा, ओपन एआई मॉडल, ओपन स्टैंडर्ड्स जैसे सभी वैश्विक तकनीकी मानकों का पालन करता है और गोपनीयता और अन्य लागू सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र से प्रशंसा पाना एआईसीटीई के लिए गर्व की बात है।’
एआईसीटीई के उपाध्यक्ष प्रोफेसर एमपी पूनिया ने कहा, ‘परिषद यह जानकर बहुत खुश है कि भारतीय इंजीनियरिंग छात्रों के एक ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर ने सभी अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा किया है। और इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र से मान्यता मिलना एक ऐसी चीज है जिस पर पूरे राष्ट्र को गर्व होना चाहिए। मेरा दृढ़ विश्वास है कि युवा भारतीय दिमाग भविष्य में तकनीकी क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा, और एआईसीटीई इन छात्रों के कौशल को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को लागू करेगा।
छात्रों को शिक्षा मंत्रालय के नेशनल एजुकेशनल एलायंस फॉर टेक्नोलॉजी (एनईएटी) कार्यक्रम के सदस्य, Pupilfirst.org द्वारा प्रशिक्षित किया गया था और इन्हें भारत के SaaS उद्योग के लीडर्स फ्रेशवर्क्स के साथ बनाए गए आधुनिक शिक्षण-प्रशिक्षण प्रक्रियाओं और उन्नत उद्योग पाठ्यक्रम में शामिल किया गया था।
इंजीनियरिंग के छात्र अब टेलीआईसीयू सुविधाओं के निर्माण के लिए ई-गवर्नेंस फाउंडेशन के साथ काम कर रहे हैं, जो भारत के दूरदराज और ग्रामीण जिलों में आईसीयू के जूनियर डॉक्टरों को प्रमुख शहरों के विशेषज्ञ डॉक्टरों से जोड़ेगी, जिससे उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण देखभाल की सुविधा उपलब्ध होगी जहां यह आसानी से उपलब्ध नहीं है।
आधार के संस्थापक सीटीओ और ई-गवर्नेंस फाउंडेशन के ट्रस्टी श्री श्रीकांत नधामुनि ने कहा, “कोरोनासेफ को एक डिजिटल सार्वजनिक वस्तु के रूप में मान्यता देकर, संयुक्त राष्ट्र राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर इसे अपनाने का समर्थन कर रहा है। आम तौर पर, इन समाधानों को बनाने के लिए पूर्णकालिक सॉफ्टवेयर प्रोफेशनलों की एक टीम की जरूरत होती है और दुनिया भर में शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि 14 प्रशिक्षित इंजीनियरिंग छात्रों द्वारा बनाए गए सोल्युशन ने यह दुर्लभ कीर्तिमान हासिल किया है।’’
संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा समर्थित, डिजिटल पब्लिक गुड्स एलायंस एक बहु-हितधारक पहल है जिसका उद्देश्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों में डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं में खोज, विकास, उपयोग और निवेश को सुविधाजनक बनाकर एसडीजी की प्राप्ति में तेजी लाना है।
डिजिटल पब्लिक गुड्स एलायंस के सचिवालय की सह-मेजबानी नॉर्वेजियन एजेंसी फॉर डेवलपमेंट कोऑपरेशन (नोराड) और यूनिसेफ द्वारा की जाती है।

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