संपादकीय

रोजगार के लिए संवेदनशील नहीं सरकार

-अली खान
(स्वतंत्र लेखक एवं स्तंभकार)
जैसलमेर, राजस्थान

देश और दुनिया में पांव पसार चुके कोविद-19 नामक वायरस से समूची मानव सभ्यता पीड़ित है। इस कोविद-19 महामारी से उभरने के लिए सभी मुल्क हर संभव प्रयास कर रहे हैं। जैसा कि लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था का पहिया थम गया था। लॉकडाउन में अपने रोजगार से कई लोगों को हाथ धोना पड़ा था, फलस्वरूप बेकारी में बेतहाशा वृद्धि देखी गई थी। अपने शुरुआती दौर में कोरोना वायरस अपने साथ कई लोगों को बड़ी तेजी के साथ संक्रमण की चपेट में ले रहा था। लेकिन पिछले कुछ महीनों में संक्रमण की रफ्तार धीमी होने के साथ-साथ मौत के आंकड़ों में भी गिरावट देखी गई हैं।
आज देशभर में बेरोजगारी और महंगाई बेहद गंभीर समस्या बनकर उभर रही हैं। मौजूदा वक्त में जहां सरकार से बेरोजगारों को रोजगार की अपेक्षा है। वहीं सरकार की कार्ययोजना और कार्यप्रणाली की नाकामी के चलते बेरोजगार युवाओं की आशाओं पर पानी फिरता दिख रहा है। राजस्थान सरकार में पिछले कई वर्षों में भर्ती परीक्षाओं में विभिन्न प्रकार की खामियां देखने को मिली हैं। जिसका खामियाजा बेरोजगार युवाओं को भुगतना पड़ रहा है।
यह सच्चाई है कि राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक होने के चलते परीक्षाएं रद्द कर दी गई। विभिन्न परीक्षाओं के रद्द होने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। हाल में 6 दिसंबर को आयोजित जूनियर इंजीनियर भर्ती परीक्षा के पेपर लीक होने की खबर सामने आई थी। उसके बाद राजधानी जयपुर में बेरोजगार युवाओं द्वारा कई दिनों तक धरना प्रदर्शन किया गया। जिसके चलते सरकार ने जूनियर इंजीनियर भर्ती परीक्षा के पेपर लीक होने की खबर की सच्चाई की पृष्ठभूमि जानने के लिए एसओजी से जांच करवाई गई। इस जांच में पाया गया कि जूनियर इंजीनियर परीक्षा का पेपर परीक्षा समय से पहले ही सोशल मीडिया के विभिन्न नेटवर्किंग पर फैल चुका था।
आज राजस्थान में पेपर के लीक होने की खबरें आम चलन में हैं। इससे पहले आरएएस, एलडीसी, कांस्टेबल सहित कई भर्तियों में या तो पेपर लीक होने के कारण परीक्षा रद्द कर दी गई या फिर सवालों में गफलत के चलते परीक्षाएं निरस्त हो गईं। इन भर्ती परीक्षाओं को बाद में फिर से आयोजित कराना पड़ा। फिर से परीक्षा आयोजन के चलते बेरोजगार अभ्यर्थियों को आर्थिक मार झेलनी पड़ती है। लेकिन इन सब के बावजूद भी राजस्थान सरकार अपनी कार्यप्रणाली में आवश्यक सुधार को लेकर बिलकुल भी गंभीर नजर नहीं आ रही है।
मौजूदा राजस्थान सरकार ने तृतीय श्रेणी अध्यापक पात्रता परीक्षा यानी रीट के लिए 31000 पदों पर भर्ती करवाने का निर्णय लिया था। एक वर्ष से अधिक समय बीत चुका है, इसके बावजूद भी आयोजन नहीं करवाया गया। ऐसे में राजस्थान सरकार बेरोजगार युवाओं को रोजगार की अभिव्यक्ति में गुमराह करती दिख रही है। यदि राजस्थान सरकार ने रोजगार को लेकर संवेदनशील रवैया नहीं अपनाया, तो इसका खामियाजा आने वाले समय में भुगतना पड़ सकता हैं।

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