संपादकीय

जितेंद्र गौड़ बाल कहानियों में कभी शिखर पर थे……

-डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं पत्रकार, कोटा

किसी क्षेत्र में जुनून और जिद्द के साथ कार्य किया जाए तो सफलता निश्चित ही कदम चूमती है। कुछ करने का संकल्प मन से हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। ऐसी ही एक साहित्यिक प्रतिभा देश के राजस्थान में कोटा के जितेंद्र गौड़ है, जिन्होंने अपनी संकल्प शक्ति से संघर्ष कर लेखन विशेष कर बाल कहानियां लेखन में अपनी पहचान कायम की और अस्सी के दशक में बाल कहानियां लेखन में शिखर पर थे। प्रचार से दूर रहने वाला बाल साहित्यकार आज के साहित्य जगत के लिए एक गुमनाम नाम है।
** बात करीब 1983 के आसपास की है जब जितेंद्र गौड़ और मैं दोनों ही लेखन क्षेत्र में आगे आने के लिए संघर्ष कर रहे थे। इनकी और मेरी संघर्ष की गाथा साथ – साथ चलती है। हम दोनों के साहित्य गुरु उस समय के नामी लेखक स्व.दुर्गा शंकर त्रिवेदी रहे जिनके भारत भर की पत्रिकाओं में कहानियां और लेख छप ते थे और इनसे प्राप्त पारश्रमिक से ही वे अपना गुजर बसर करते थे। उनके लेखन की परिपक्वता को देख उन्हें राजस्थान पत्रिका, जयपुर ने रविवारीय परिशिष्ट का दायित्व सौंपा , जिसका निर्वहन उन्होंने कई वर्षो तक किया।
** गुरु जी के प्रताप से उनकी शिक्षाओं, सिद्धांतों और मार्गदर्शन का ही सुफल है कि हम दोनों लिखने लगे। चर्चा मैं जितेंद्र गौड़ की कर रहा हूं, उनके बारे में उस समय के सुविख्यात कवि स्व. प्रेम जी प्रेम ने 24 अक्टूबर 1986 को देश की धरती में इनके बारे में कॉलम …घर का जोगी में ” लेखन का मौन साधक जितेंद्र गौड़.” नामक लेख लिखा था। उन्होंने लिखा था यदि पिछले 3 से भी अधिक वर्ष की देश भर की पत्र-पत्रिकाओं में देखें तो पाठक पाएंगे उनमें कई बार एक लेखक का नाम आया है वह लेखक है.. जितेंद्र गौड़ । सामने खड़ा होने पर भी जिसे उसके अपने शहर के लोग पहचान नहीं पाते । ऐसा मौन रहकर लेखनी चलाने वाला युवा लेखक जितेंद्र गौड़ अपनी पहचान ना बना पाया हो ऐसी बात नहीं । लेकिन उसे केवल वही लोग जानते हैं जिनका साहित्य से लेना देना है। वे भी केवल उसका नाम जानते हैं या अधिक से अधिक यह जानते हैं कि वह कोटा का है ।
** कोटा जैसे महानगरीय सभ्यता वाले औद्योगिक शहर में रहने वालों से यह अपेक्षा भी नहीं की जा सकती कि वे उनके अपने शहर के ऐसे लेखक को शक्ल सूरत से पहचाने जिन का नाम वे पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ते रहते है । लगभग 350 से अधिक कहानियां और इतने ही लघु लेखों के प्रकाशन के बावजूद उसे पहचाना नहीं जा सकता। बच्चों की पत्र-पत्रिकाओं में भी 225 से अधिक बाल कथाओं के प्रकाशन के बाद भी वह नगर के बालकों में नहीं पहचाने जाते हैं । यह उनकी मौन साधना का ही परिणाम है। उनकी कलम में कितना दम है यह जानने के लिए किसी भी पत्रिका का कोई भी विशेषांक उठाकर उस में प्रकाशित बाल कथा को पढा जाये कि उनकी लेखनी क्या कर सकने की सामर्थ्य रखती है। सन 1984 से 1987 तक के छोटे से काल खंड में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इतनी तादाद में इतने अच्छे प्रकाशन उनकी इस सामर्थ की ओर इंगित करने की पूरी पूरी क्षमता रखते हैं। ये बाल कहानियों, व्यक्ति परक लेखों की और चटपटे लघु लेखों के आज सिद्धहस्त लेखकों की श्रेणी में हैं जो कहानियां लिखने वाले किसी भी साहित्यकार से किसी प्रकार कम नहीं हैं।
** गौड़ की कुछ कहानियां मुखिया को मात, चुनाव और चुनौती ,सच्चा परिश्रम, मूर्ख बहेलिया, डाकू से शिक्षा, लाॅर्ड की गाड़ी, सेवक की कर्तव्य परायणता, बर्फ का टुकड़ा, पानी की कमाई, रामू की चतुराई, अंकिता की सूज बूझ ,परिश्रम का फल, बहू की परीक्षा, राखी का उपहार,सोने का घड़ा ऐसी हैं जो खूब चर्चित रही।
** इन्होंने राजा राममोहन राय, बाल गंगाधर तिलक, ईश्वर चंद विद्या सागर, लक्ष्मीबाई, उधम सिंह, चंद्रशेखर, भगत सिंह, विवेकानंद, जगदीश चंद्र बसु, लाल बहादुर शास्त्री, बापू और जवाहरलाल नेहरू के जैसे व्यक्तियों और विभूतियों पर बाल साहित्य में कलम चलाई।
साथ ही धार्मिक महाप्रभु चैतन्य ,उज्जैन के महाकाल, गोदावरी धाम बालाजी सहित अनेक धार्मिक स्थानों के बारे में भी उन्होंने खूब लिखा है।
** कोटा में बाल साहित्य के सृजन के बारे में जब कुछ लिखा जाएगा तो उसमें जितेंद्र गौड़ का नाम अवश्य लिखा जाना चाहिये। क्योंकि जितेंद्र गौड़ ने कोटा के ही ओम प्रकाश गुप्ता और वीणा गुप्ता की तरह लेखन में एक प्रबल पक्ष बाल साहित्य को प्रमुखता से चुना है । बच्चों की रुचि उनके लेखन में बोलती है। लेकिन वह लेखन की कुशलता के साथ देखी जा सकती है । जितेंद्र गौड़ से अनेक आशाएं हैं और संभावना का एक खुला आकाश सामने है । वह अभी भी निरंतर लिख रहे हैं। उन्होंने सामयिक समस्याओं को छूने का भी प्रयास किया है ।
** जिन समाचार पत्रों को आपकी रचनाओं का इंतज़ार किया जाता था उनमें जनसत्ता, करंट , ब्लिट्ज,हिंदुस्तान टाइम्स, नवभारत टाइम्स, धर्मयग, पराग, मुक्ता, गृहशोभा ,बालहंस ,लोटपोट, नंदन तथा समाचार पत्रों में राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, राष्ट्रदूत, कोलकाता का समाचार पत्र सनमार्ग आदि अनेक समाचार पत्रों में भी उनके आलेख रविवारी अंक बुधवारी परिशिष्ट में प्रकाशित होते रहे हैं। दैनिक भास्कर जब जयपुर से शुरू हुआ तो कोटा प्लस में उनके आर्टिकल बहुतायत से छपते रहे। एक ऐसा ही संयोग बैठा जब दैनिक भास्कर की कोटा में शुरुआत हुई तो जितेंद्र गौड़ का नाम प्रमुखता से लिया गया और उन्होंने उसी उसी दिन से वे यहां दैनिक भास्कर में बतौर पत्रकार के रूप में जुड़ गए ।
** आज दैनिक भास्कर में कार्य करते हुए उन्हें लगभग 24 वर्ष हो गए हैं । इस दौरान उन्होंने सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, राजनीतिक ,सहित वाणिज्य क्षेत्र के बारे में भी बहुत कुछ लिखते रहते हैं । वर्तमान में भी आप दैनिक भास्कर कोटा में बतौर सीनियर मैनेजर कार्यरत हैं और लेखन से जुड़े हुए हैं।
** पुरस्कार : आपको इनकी साहित्यिक, पत्रकारिता और अन्य उपलब्धियों के लिए समय – समय पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया। आपको लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ,प्रेस क्लब कोटा, रोटरी क्लब कोटा, रोटरी क्लब राउंड टाउन कोटा,अखिल भारतीय कायस्थ सभा,हितकारी शिक्षा सहकारी समिति के अध्यक्ष राजेश बिरला ,,योग वेदांत समिति द्वारा और दैनिक भास्कर मैनेजमेंट द्वारा 20 वर्ष कार्यकाल पूरा करने पर सम्मानित किया गया
** परिचय : सदैव प्रचार से दूर रहने वाले बाल कहानीकार जितेंद्र गौड़ का जन्म 1 जनवरी 1960 को मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में हुआ। पिता स्व. प्रेम नारायण सरकारी सेवा में नायब तहसीलदार रहते हुए भी होम्योपैथिक चिकित्सक और एवं ज्योतिषी भी रहे। माता स्व.सुशीला देवी गौड़ धार्मिक स्वभाव की थी। इनकी प्रारंभिक शिक्षा शाहजहांपुर में ही कक्षा 8 तक हुई। उसके पश्चात ये कोटा में अपने अंकल स्व. आर्यन कोड जो कि सेंट्रल बैंक में लीड बैंक ऑफिसर थे के पास आ गये मल्टीपरपज स्कूल से पढ़ाई पूरी की। राजकीय महाविद्यालय से बीए के पश्चात लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर के अलावा पत्रकारिता में जयपुर राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से डिप्लोमा किया। पिता की लेखन में रुचि होने से आठवीं कक्षा से ही इनमें भी लेखन के प्रति रुचि जाग्रत हो गई। यह रुचि कोटा में उस समय के साहित्यकार स्व. श्री राम कुमार, स्व. प्रेम जी प्रेम, अतुल कनक, पुरुषोत्तम पंचोली अतुल चतुर्वेदी, सहित अनेक साहित्यकारों की संगत में रहने से और भी परवान चढ़ती गई।वर्तमान में आप दैनिक भास्कर कोटा में सेवारत है और लेखन की अपनी रुचि बनाए हुए हैं।

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