संपादकीय

किशन रतनानी ने हिंदी और सिंधी में बाल कहानी और एकांकी लेखन से साहित्य में बनाई पहचान

-डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवम् पत्रकार, कोटा

कोटा के लिए किशन रतनानी एक ऐसा नाम है जो किसी परिचय का मौहताज नहीं है। देश के राजस्थान में कोटा निवासी रतनानी ने भारतीय सूचना सेवा के वरिष्ठ अधिकारी के रूप में आपने न केवल राजस्थान में वरन दिल्ली में पत्र सूचना कार्यालय की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रचार इकाई के निदेशक के रूप में अपनी श्लांघनीय और उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान कर अनेक पुरस्कार भी प्राप्त करने का गौरव हांसिल किया। अथक परिश्रमी, कार्य कुशलता की दक्षता से मालामाल , मिलनसार, यारों के यार रतनानी ने जिस शिद्दत से अपनी सेवाओं को अंजाम दिया उतनी ही शिद्दत से साहित्य के क्षेत्र में एक प्रभावी रचनाधर्मी के रूप में खास पहचान बनाई। काम के भारी दबावों के बावजूद और सेवा निवृति के बाद जिस प्रकार आपने हिंदी और सिंधी भाषा में बाल कहानियां और एकांकी संग्रह पर 13 पुस्तकें लिखी हैं वह किसी आश्चर्य से कम नहीं हैं। खास यह है कि अधिकांश कृतियों पर आपको पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जो न केवल इनके लिए वरन साहित्य जगत के लिए गौरव का विषय है।
पिछले कुछ दिन पूर्व प्रेस क्लब के एक कार्यक्रम में मेरी सेवाकाल के मित्र कोटा में क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी रहे भारत सरकार की सूचना सेवा के वरिष्ठ सेवा निवृत अधिकारी किशन रत्नानी से लंबे अरसे बाद मिलना हुआ। वर्षो बाद मिलने पर भी ऐसा नहीं लगा की जैसे लंबा समय बीत गया। वही चिरपरिचित अंदाज, सहज, सरल स्वभाव, पूर्ण आत्मीयता, कहीं कुछ भी तो नहीं बदला। दोनों मित्र एक साथ कुर्सियों पर बैठ गए और एक – दूसरे से बतियाते रहे। एक दूसरे की उपलब्धियों पर चर्चा और बधाई के दौर चले। यूं तो मीडिया के माध्यम से जानकारी मिलती रहती थी पर इस अवसर का लाभ कोटा से बाहर चले जाने के बाद के उनके संस्मरण सुनने का जो आनंद आया उसका अंदाजा नहीं लगा सकते। कोटा में एक लंबा समय हमने साथ – साथ बिताया था। साथ – साथ अनेक गांवों में जा कर प्रचार कार्य करना, फिल्म दिखाना, संगोष्ठी करना, योजनाओं से लाभान्वितों का फीड बैक लेना,सांस्कृतिक आयोजन, कला जत्थे के कार्यक्रम सभी की यादें ताजा हो गई। हमारा तालमेल मीडिया की जुबान पर था। इस अचानक मिले अवसर का लाभ स्वभाव के अनुसार विस्तार से मैंने उनके साहित्य लेखन पर चर्चा कर उठाया और इस भेंट की स्मृति स्वरूप एक सेल्फी भी लेली।

  • साहित्य सृजन

किशन रतनानी ने बताया कि उन्होंने हिंदी और सिंधी भाषाओं में अनेक बाल कहानियां लिखी हैं। आपकी प्रथम कृति * बीज* सिंधी बाल कहानी समग्र के रूप में देवनागरी लिपि में 1999 में प्रकाशित हुई जिसे राजस्थानी सिंधी अकादमी द्वारा ‘ तीर्थ संभानी अवार्ड’ से पुरस्कृत किया गया। एकांकी संग्रह के रूप में * सुपने जा सच* दूसरी कृति 2001 में आई जिसे भी राजस्थान सिंधी अकादमी द्वारा मंघाराम मल्कानी अवार्ड से सम्मानित किया गया। हिंदी कहानी संग्रह * दक्षिणा* तीसरी कृति के रूप में 2004 में राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर द्वारा प्रकाशित की गई। इन कृतियों की श्रृंखला चलती चली गई और बाल कहानी संग्रह 2004 में * डाख भुगड़ा*, 2010 में *कारा निशान*, 2015 में * ब्रह्मज्ञानी*, 2018 में * चहचिटो*, 2017 में * अमां*, 2019 में एकांकी संग्रह * हूं जिंदा आहिनि*, 2020 में कहानी संग्रह * ताजी हवा*, 2021 में *नूर चश्म* कहानी संग्रह प्रकाशित हुई। आपकी तेरहवीं पुस्तक अम्मां की पोटली बाल कहानी संग्रह के रूप में सामने आई। आपकी अनेक कृतियों को भारत सरकार की राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद, नई दिल्ली द्वारा भी अनुमोदित किया गया है।
आपकी साहित्यिक उपलब्धियों की कड़ी में चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट राष्ट्रीय बाल कहनी प्रतियोगिता में बाल कहानी का चयन कर प्रकाशन किया गया। सिंधु सोशल सर्किल की पत्रिका * सिंधु दर्पण* का संपादन करने के लिए आपको ‘ सिंधी पत्रकारिता सम्मान ‘ से सम्मानित किया गया। सिंधी एकांकी और कहानी लेखन में आपको ग्यारह बार राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सम्मान से सम्मानित किया गया।आप 2023 से राष्ट्रीय बाल साहित्य ( सिंधी ) पुरस्कार के निर्णायक मंडल के सदस्य मनोनित किए गए हैं। राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सिंधी अकादमियों और परिषद की पत्रिकाओं में आपकी कहानियां निरंतर प्रकाशित हो रही हैं।आकाशवाणी केंद्र जयपुर और कोटा से 2004 से 2020 के मध्य आपकी सिंधी में 17 और हिंदी में 12 कहानियों का प्रसारण भी किया गया। विभिन्न राष्ट्रीय पत्र – पत्रिकाओं में आपके कहानी, लेख और फोटो फीचर निरंतर प्रकाशित होते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया जयपुर द्वारा प्रकाशित कोटा प्लस में 38 साक्षात्कार आधारित फीचर प्रकाशित हुए हैं। राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर के ” मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन” की कोर्स बुक में आपके फोटो पत्रकारिता, विकास पत्रकारिता तथा समाचारों में मानवीय रुचि पर तीन अध्याय शामिल किए गए हैं और आप वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा के पत्रकारिता कोर्स के सलाकार भी हैं।

  • पुरस्कार

आपको सेवा काल के दौरान देश का सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी पुरस्कार, सात बार सर्वश्रेष्ठ राजभाषा कार्य पुरस्कार, बेहतरीन प्रचार कार्य – बालक के अधिकार पुरस्कार, एशिया पैसेफिक इंस्टीट्यूट ऑफ ब्राडकास्टिंग डेवलपमेंट, मलेशिया पॉपुलेशन कनर्शन लंदन, सिंधु सोशल सर्किल, रोटरी क्लब, फैमली प्लानिंग अकादमी द्वारा सेवा और सहयोग जैसे महत्वपूर्ण पुरस्कारों सहित अन्य अनेक पुरस्कारों से विभिन्न संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया गया। आपको अनेक संस्थाओं द्वारा फोटो अवार्ड भी प्रदान किए गए। आपको गणतंत्र दिवस पर राजस्थान सरकार द्वारा भी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।

  • परिचय

भारत सरकार की सूचना सेवा के अधिकारी रहे और साहित्य में नाम कमाने वाले किशन रतनानी का जन्म 23 जुलाई 1958 को हुआ। आपने राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर में राजस्थान में चौथा स्थान प्राप्त किया और बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन की डिग्री प्राप्त की। आप 1975 – 81 के काल खंड में पत्रकारिता जुड़े रहे और 1982- 83 में कॉलेज लेक्चरर रहे। वर्ष 1983 में आप भारत सरकार के सूचना सेवा विभाग में आए और 2018 में सेवा निवृति तक विभिन्न स्थानों पर महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं प्रदान की। आपने गोवा में कई बार आयोजित इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में मीडिया सेल के प्रभारी का दायित्व निर्वहन किया। देश के विभिन्न 11 स्थानों पर 2006 से 2009 तक भारत सरकार के राष्ट्रीय कार्यक्रम ” भारत निर्माण जन सूचना अभियान” का सफलतापूर्वक आयोजन किया। वर्तमान में आपका विभिन्न राष्ट्रीय संस्थाओं, संगठनों और शैक्षिक समूहों के साथ आपका मीडिया सलाहकार के रूप में जुड़ाव बना हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *