लाॅकडाउन – समस्याएँ – समाधान
-अविनाश राय खन्ना
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (भाजपा)
कोरोना महामारी के विस्तार की सम्भावनाओं को देखते हुए 25 मार्च, 2020 से सारे देश में सम्पूर्ण लाॅकडाउन घोषित कर दिया गया। इस लाॅकडाउन के प्रारम्भम्भिक दौर में मुझे देशवासियों के समक्ष आने वाली कठिनाईयों का कुछ एहसास हो रहा है। विशेष रूप से अकेले रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों की सेवा सहायता का प्रबन्ध कैसे होगा, यह प्रश्न मन में बहुत दुविधा पैदा कर रहा है। इस विशेष दुविधा को व्यक्त करते हुए मेरा एक लेख ‘लाॅकडाउन एकांकी वरिष्ठ नागरिकों कीदेखभाल’ समाचार समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ। देशवासियों की इन समस्याओं की कल्पना ही बहुत भयावह थी। सामाजिक और राष्ट्रवादी प्रेरणाओं के कारण मैं विवश हो गया कि ऐसे दुविधा में फंसे लोगों की सेवा के लिए तत्परता प्रस्तुत करनी ही चाहिए। अतः मैंने इस लेख में अपने टेलीफोन नम्बर भी सार्वजनिक किये। मेरी इस विनम्र सेवा की घोषणा को देखकर प्रतिदिन मुझे अनेकों फोन आने लगे और पिछले लगभग दो महीनों में 300 से अधिक फोन सम्पर्कों के परिणामस्वरूप हजारों लोगों की दुविधाएँ दूर करने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ।
सबसे पहले वरिष्ठ नागरिकों की बात करें तो भविष्य में भी पाठकों को यह एहसास रहना चाहिए कि लाॅकडाउन हो या सामान्य परिस्थिति, अपने घरों के आस-पास ऐसे वरिष्ठ नागरिकों की सहायता के लिए तत्पर रहना प्रत्येक नागरिक का परम कत्र्तव्य होना चाहिए। पंजाब के दीनानगर से मेरे पास एक वृद्ध पुरुष का फोन आया कि उनकी बेटी लुधियाना में नर्स का कोर्स कर रही है उसे यदि हमारे पास आने की अनुमति दिलवा दी जाये तो हमारी सारी समस्याएँ दूर हो सकती हैं। मैंने प्रशासनिक अधिकारियों को स्थिति की गम्भीरता समझाते हुए उस बच्ची को माता-पिता की सेवा में रहने का अवसर प्राप्त करवाया। होशियारपुर से एक वृद्ध सज्जन का फोन आया कि वे दमा के रोगी हैं और उनकी इनहेलर समाप्त हो रहा है। कफ्र्यू के कारण बाहर जाना असम्भव था। मैंने उन्हें स्थानीय कार्यकर्ता के माध्यम से तत्काल दो इनहेलर के पैकेट भिजवा दिये। दिल्ली से एक थैलासीमिया रोगी का फोन आया कि उसे प्रति सप्ताह रक्त की आवश्यकता होती है और अब यह कार्य कैसे होगा। मैंने रेडक्रास सोसाइटी के राष्ट्रीय मुख्यालय के अधिकारियों को कहकर ब्लड बैंक से उनके लिए नियमित रक्त चढ़वाने का प्रबन्ध करवाया। जम्मू कश्मीर के श्रीनगर से एक अनाथ बच्ची का फोन आया कि उनके घर पर खाना-पानी समाप्त है। मैंने स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं को निर्देश देकर इस दुविधा को दूर करवाने का प्रयास किया। कनाडा से एक व्यक्ति का फोन आया कि पंजाब में उनकी माँ का आॅपरेशन होना निर्धारित था परन्तु उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है, इसलिए मुझे भारत आने की अनुमति चाहिए। मैंने विदेश मंत्रालय से सम्पर्क करके उसकी सहायता करवाई। जालन्धर के कुष्ठ आश्रम के रोगियों को जालन्धर रेडक्रास इकाई के द्वारा भोजन का प्रबन्ध करवाया। इसी प्रकार मथुरा की एक धर्मशाला में पश्चिम बंगाल के 35 लोगों को भी रेडक्रास द्वारा भोजन उपलब्ध करवाया। एक वृद्ध दम्पत्ति पंजाब से जगन्नाथपुरी जाकर फंस गये। उन्होंने मुझे फोन किया और बताया कि उनके पास खाने-पीने की व्यवस्था नहीं है। मैंने उड़ीसा के प्रशासनिक अधिकारी से सम्पर्क करके उनके भोजन आदि का प्रबन्ध करवाया और विशेष रेलगाड़ियों के चलने पर उन्हें वापिस पंजाब पहुँचने का प्रबन्ध करवाया। दिल्ली से एक व्यक्ति का फोन आया कि उनके नाना जी की मृत्यु हो गई है वे पेंशनर थे परन्तु नानी जी के नाम पेंशन नहीं हो सकी क्योंकि वे चल-फिर नहीं सकती। ऐसी अवस्था में उनकी पेंशन के पेपर किस प्रकार पूरे हों। मैंने दिल्ली भाजपा कार्यकर्ताओं को फोन करके उनकी सहायता का प्रबन्ध करवाया जिससे घर बैठे उनकी पेंशन सम्बन्धी कानूनी कार्यवाही पूर्ण करवाकर पेंशन प्रारम्भ करवाई जा सकी। दिल्ली, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, पंजाब और हिताचल प्रदेश से अनेकों वृद्ध दम्पत्तियों के फोन आये किसी को भोजन की आवश्यकता थी तो किसी को औषधियों की। कटरा के वृद्ध सज्जन का फोन आया कि उनका चश्मा टूट गया है और वे देखने में भी असमर्थ हैं। उन्होंने मुझे बताया कि वे टूटे हुए लेंस से फोन मिलाकर मुझसे बात कर रहे हैं। मैंने स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं को कहकर उनका नया चश्मा बनवाने का प्रबन्ध करवाया। जम्मू कश्मीर से एक वृद्ध दम्पत्ति का फोन आया कि उनके घर में सिलेंडर खत्म हो गया। अतः प्रतिदिन भोजन की दिक्कत हो रही है। उनकी यह दुविधा भी भाजपा कार्यकर्ताओं के माध्यम से ही दूर करवाई गई। करनाल के एक परिवार से फोन आया कि हमारे पास घर में उपलब्ध धन समाप्त हो चुका है। आज हमने बच्चों की गुल्लक तोड़कर दो-चार दिन के भोजन का प्रबन्ध किया है। परन्तु आगे प्रबन्ध कैसे होगा। उन्होंने मुझे यह भी बताया कि जो लोग दिखावे में सहायता करने आ रहे हैं वे सहायता थोड़ी करते हैं और फोटो ज्यादा खिंचवाते हैं। मैंने तुरन्त करनाल के भाजपा कार्यकर्ताओं को उनकी सहायता के लिए हर सम्भव कार्य करने के लिए कहा। मेरे अपने घर पर एक दिन दो मजदूर आ गये जिन्होंने बताया कि थोड़ी दूरी पर उनके 15 साथी और हैं जिन्हें खाना नहीं मिल रहा। मेरी धर्मपत्नी श्रीमती मीनाक्षी ने तुरन्त उनके खाने का प्रबन्ध किया और हम दोनों ने जाकर उन 15 श्रमिकों को खाना खिलाया और उन्हें आगे भोजन के लिए प्रशासन तथा कार्यकर्ताओं के माध्यम से कच्चा राशन उपलब्ध करवाया। इसी प्रकार होशियारपुर के ही जेजो गाँव से एक कार्यकर्ता का मुझे फोन आया कि वहाँ श्रमिकों के लगभग 36 परिवार भोजनरहित हैं। मैंने स्थानीय कार्यकर्ताओं को प्रेरित करके उनके लिए भी भोजन का प्रबन्ध करवाया।
अपने घरों को छोड़कर पढ़ाई के लिए या काम के सिलसिले में अनेकों लोग दूसरे स्थानों पर जाकर बसे होते हैं। लाॅकडाउन जैसी परिस्थितियों में हर व्यक्ति अपने मूल निवास पर अपने परिवार के साथ रहना चाहता है। वैसे भी कार्य करने वाले स्थान पर कामकाज ठप्प हो जाने के कारण रहने का कोई औचित्य भी नहीं होता है। कफ्र्यू में तो भोजन का प्रबन्ध भी कठिन हो जाता है। ऐसी दोहरी समस्याओं का एक ही इलाज सम्भव है कि उन लोगों को अपने मूल निवास पर भेजने की व्यवस्था करवाई जानी चाहिए। ऐसे अनेकों लोगों ने मुझे सम्पर्क किया तो मैंने सम्बन्धित राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों, पुलिस तथा स्थानीय कार्यकर्ताओं को प्रेरित करके यथा सम्भव प्रबन्ध करवाये। चण्डीगढ़ तथा मोहाली में जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान तथा देश के कई अन्य हिस्सों से लोग पढ़ने आते हैं। जम्मू कश्मीर के 30 छात्र इन्दौर में फंसे हुए थे। उनके पास धन भी कम था और भोजन का प्रबन्ध भी नहीं हो रहा था। मैंने रेडक्रास की स्थानीय शाखा को कहकर उनके खाने का प्रबन्ध करवाया। इसी प्रकार 14 कश्मीरी श्रमिक दसुआ में फंसे हुए थे उनके लिए भी पहले खाने-पीने का प्रबन्ध करवाया गया और कुछ ही दिनों में लाॅकडाउन खुलने पर उन्हें कश्मीर वापिस भिजवाया गया। कनाडा के एक सज्जन पंजाब यात्रा पर आये थे, उनकी वीजा अवधि समाप्त हो चुकी थी। मैंने विदेश मंत्रालय से तथा नागरिक उड्डयन मंत्रालयों से सम्पर्क करके उनकी समस्या का समाधान करवाया। मेरे पास पोलैण्ड से एक वीडिया आया जिसमें अनेकों भारतीय छात्रों को वहाँ दुःखी अवस्था में दिखाया गया था। मैंने यह वीडियो माननीय गृहमंत्री श्री अमित शाह तथा विदेश मंत्री श्री जयशंकर जी को भेजकर इन छात्रों की सहायता का निवेदन किया। जम्मू कश्मीर के लगभग 50 लोग हिमाचल प्रदेश में फंसे थे, उनके लिए रेडक्रास इकाई के माध्यम से भोजन का प्रबन्ध करवाया। जम्मू कश्मीर के 7 लोगों का एक ग्रुप चण्डीगढ़ में फंसा हुआ था जिन्हें स्थानीय जोशी फांउडेशन नामक संस्था के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया गया। इसी प्रकार राजस्थान के अनेकों लोगों के श्रीनगर में फंसे होने पर भाजपा तथा प्रशासन के माध्यम से भोजन का प्रबन्ध करवाया गया। राजस्थान के एक परिवार को दिल्ली के एम्स में उपचार के लिए डाॅक्टर से समय दिलवाया। कश्मीर के 22 मुस्लिम बच्चे दिल्ली में पढ़ने के लिए रह रहे थे। लाॅकडाउन जैसे वातावरण को देखकर उनके मन में यह प्रश्न पैदा होना स्वाभाविक था कि वे अपने परिवारों से मिलने कश्मीर कभी जा पायेंगे या नहीं। ऐसे विचारों के चलते उनमें कई मनोवैज्ञानिक समस्याएँ पैदा होने लगी। मैंने स्वयं कई बार उन्हें टेलीफोन से सान्त्वना देने का प्रयास किया। अन्ततः मैंने दिल्ली भाजपा कार्यकर्ताओं को उनकी सहायता के लिए भेजा। आसाम, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा गुजरात जैसे सुदूर राज्यों से भी पंजाब के अनेकों ट्रक ड्राइवरों के टेलीफोन मेरे पास आये जिनके लिए भोजन आदि का प्रबन्ध कहीं स्थानीय प्रशासन तो कहीं रेडक्रास आदि के माध्यम से करवाया।
इटली से 81 व्यक्ति जब पंजाब आने के लिए दिल्ली पहुँचे तो उन्हें क्वारंटाइन करके गुड़गांव के मानेसर में रखा गया था, परन्तु क्वारंटाइन अवधि पूरी होने के बावजूद वे पंजाब नहीं आ पा रहे थे क्योंकि डाॅक्टर द्वारा उन्हें पूर्ण स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र देने में विलम्ब हो रहा था। मैंने नागरिक उड्डयन मंत्रालय तथा अन्य विभागों से सम्पर्क करके सूचनाएँ एकत्र करवाई और कानूनी प्रक्रिया के अनुसार उनके पंजाब वापिस आने का प्रबन्ध करवाया। होशियारपुर के मैंग्रोवार से सम्बन्धिक एक सज्जन दुबई से अमृतसर आ रहे थे, परन्तु दो सप्ताह तक वे घर ही नहीं पहुँच पाये। मैंने केन्द्र सरकार के विभागों से सम्पर्क करके यह पता किया कि उनकी फ्लाईट को दिल्ली रोककर उन्हें क्वारंटाइन किया गया है। इस प्रकार निर्धारित समय के बाद उनकी छुट्टी हो सकी।
होशियारपुर के एक परिवार में नवजात बच्चे के बीमार होने पर उसे जालन्धर भेजा जाना था। उनके पास अधिक धन भी नहीं था। बच्चे के इलाज के लिए प्राइवेट नर्सिंग होम को प्रार्थना करके खर्चे में काफी छूट का प्रबन्ध भी करवाया। राजस्थान के गंगानगर से एक वीडिया आया जिसमें रोगी लोग चिकित्सा कमियों की बात कर रहे थे और नर्सें आदि भी पर्याप्त सुविधाओं के अभाव की बात कर रही थीं। मैंने राज्य सरकार के अधिकारियों को सम्पर्क करके इस समस्या का समाधान करने के लिए प्रेरित किया। इसी प्रकार पटियाला की नर्सों का भी एक वीडियो मेरे पास आया जिसमें सुविधाओं के अभाव की बात कही जा रही थी। मैंने उस वीडियो पर संज्ञान लेते हुए पटियाला प्रशासन को सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए प्रेरित किया। गुड़गांव में किसी व्यक्ति को परिवार के रोगी सदस्य के लिए रक्त की आवश्यता थी, उसके लिए भी रेडक्रास की सहायता पहुँचाई। रेडक्रास जैसी सेवा संस्था के माध्यम से लुधियाना के एक बच्चे को आठ डायलिसिस निःशुल्क करवाये।
लाॅकडाउन के दौरान इन सेवा कार्यों के अनुभव से मुझे अपार शांति महसूस हुई, क्योंकि मेरे लिए यह लाॅकडाउन ठप्प कामकाजी जीवन नहीं था। अपने सारे प्रयासों के लिए मैं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री श्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री श्री हर्षवर्धन, विदेश मंत्रालय तथा उत्तर भारत के सभी राज्यों के सरकारी अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के साथ-साथ भाजपा तथा अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं का धन्यवाद करना चाहता हूँ जिनकी सहायता से लाॅकडाउन के इस कष्टकारी दौर में हम सब लोग दुविधा में फंसे लोगों की सहायता करने में सक्षम हुए। रेडक्रास सोसाइटी के अधिकारी विशेष धन्यवाद के पात्र हैं, जिन्होंने एकबार फिर यह सिद्ध कर दिया कि भारतवासियों के सामने किसी भी आपात स्थिति में वे उनके निकट सहयोगी हैं।