संपादकीय

संगीत क्षेत्र की विदुषी शख्शियत सुधा अग्रवाल

-डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवम् पत्रकार, कोटा

कोटा के अनेक संगीतकारों में उम्र के 77 बसंत की बहार देख चुकी सुधा अग्रवाल ऐसी विदुषी संगीतकार हैं जिन्होंने 90 के दशक में कोटा में जे.डी.बी. कन्या महाविद्यालय कोटा में संगीत लैक्चरार के रूप में संगीत शिक्षा प्रदान कर और संगीतिका संस्था के माध्यम से कोटा में संगीत का अविस्मरणीय वातावरण का सृजन किया। मुझे आज याद हो आया कि जब मैं सूचना केंद्र में जनसंपर्क अधिकारी था तब शास्त्रीय संगीत को समर्पित संगीतिका संस्था के कई कार्यक्रमों का आयोजन में सक्रिय भूमिका में रहकर कार्यक्रम करवाए थे। इन स्मृतियों के साथ आज सोमवार को सुबह 11 बजे उनके निवास पर उनका साक्षात्कार लेने पहुंच गया।
सुधा जी कंठ संगीत में प्रवीण थी और गायन में ही शिक्षा प्रदान करती थी परंतु एक समय ऐसा आया जब कंठ में कुछ खराबी आ गई और चिकित्सक ने स्वर साधना पर प्रतिबंध लगा दिया तो इन्होंने कंठ संगीत का साथ छोड़ कर सितार का दामन थाम लिया। सितार वादन में निपुणता हांसिल कर इसे शिक्षण का माध्यम बना लिया। कोटा नगर में शास्त्रीय संगीत के प्रति छात्रों तथा जनसाधारण में जागरूकता रुचि एवं लगन उत्पन्न करने में आपका महत्वपूर्ण योगदान रहा है जिसके लिए आपको अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है।

संगीतिका संस्था :

इन्होंने बताया संगीत के क्षेत्र में कुछ करने का जज्बा और जुनून मन में था अतः नगर के ख्यात संगीत शिक्षक पंडित महेश चंद्र शर्मा तथा श्री शिव शंकर पांडे के साथ मिलकर संगीत प्रेमियों के घरों पर विभिन्न कालोनियों में संगीत की बैठक करना प्रारंभ किया। परिश्रम, लगन और अथक प्रयास से 21 मार्च 1975 को संगीतिका नामक संस्था प्रारंभ का गठन किया गया। संस्था का उद्घाटन गुरु दामोदर लाल काबरा तथा डीसीएम के संस्थापक के पुत्र गायक विनय भरतराम के द्वारा हुआ तथा सरोद एवं गायन के कार्यक्रम से संगीतिका का श्रीगणेश हुआ। आप उस समय संस्था की संस्थापक सचिव बनी। कारवां चलता गया संगीत प्रेमी जुड़ते गए। संगीतिका ने नए कीर्तिमान स्थापित किए। त्रैमासिक वार्षिक समारोह आयोजित कर समय – समय पर देश के लगभग सभी विख्यात गायक एवं वादक कलाकारों को बुला कर सफल आयोजन संपन्न हुए।
संस्था के कार्यक्रमों के माध्यम से कोटा के संगीत प्रेमी श्रोताओं को संगीत के क्षेत्र में देश के ख्यातिनाम हस्तियों पंडित जसराज ,पंडित कुमार गंधर्व, विदुषी गिरिजा देवी, निर्मला अरुण, परवीन सुलताना श्रीमती प्रभा अत्रे, श्री ए.आनंद श्रीमती मालविका कानन ,श्रीमती वसुंधरा कुंभ, काली पंडित शिवकुमार शर्मा, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, पंडित रामाश्रय झा रामरंग , उस्ताद अब्दुल हलीम, जफर खान, ,उस्ताद जाकिर हुसैन, पंडित विश्व मोहन भट्ट, ,पंडित अनंत लाल, पंडित राजन साजन मिश्र, डॉ. श्रीमती एन.राजम इत्यादि के कार्यक्रम तीन दिवसीय आईटीसी संगीत सम्मेलन में देखने – सुनने का अवसर मिला। जब ये राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की सदस्य थी, इन्होंने तीन दिवसीय संगीत नाटक अकादमी सम्मेलन और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन सफलता पूर्वक करवाए।

संगीत संकल्प :

आगे चल कर 1979 में एक अन्य संस्था संगीत संकल्प की राष्ट्र में तीसरी शाखा की स्थापना आपके द्वारा कोटा में की गई। डॉ. मुकेश गर्ग संपादक संगीत मासिक पत्रिका हाथरस द्वारा यह स्थापना हुई तथा उसमें नवोदित कलाकारों को मंच प्रदर्शन का अवसर प्रदान किया गया। कोटा संगीत संकल्प के माध्यम से अहमदाबाद, रायपुर, सूरत, बडौदा में कोटा के श्रीमती संगीता सक्सेना,देवेंद्र कुमार सक्सेना, जयराज गंधर्व , जगदीश राव, डॉ. विकास भारद्वाज ,श्री क्षितिज तारे आदि के कार्यक्रम आयोजित किए गए और इन्हें कोटा के बाहर अपनी संगीत प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलने से इन नवोदित कलाकारों का अपार उत्साहवर्द्धन हुआ। इन्होंने संगीत के प्रचार-प्रसार में देश के ख्याति नाम लगभग सभी कलाकारों के कार्यक्रम आयोजित कराए।

शिष्यों पर गर्व

इनको अपने संगीत शिष्यों पर गर्व की अनुभूति होती हैं जो विभिन्न स्थानों पर संगीत जगत में नाम रोशन कर रहे हैं। मंचीय कलाकारों में डा. तारूणी कारिया, गायन में संगीता सक्सेना, निर्देश गौतम,आस्था सक्सेना तथा सितार वादन में डा. विकास भारद्वाज सितार वादक के रूप में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि समृद्धि प्राप्त कर रहे हैं। विकास देश – विदेश में अनेक महान हस्तियों के कार्यक्रमों में भाग ले चुके हैं।
अंजू दाधीच, डा. स्मिता बैराठी, डॉ.संदेश गौतम आदि सितार के प्रतिभा शाली कलाकार हैं। आप आकाशवाणी जयपुर की एक्सपर्ट कमेटी की सदस्य और आरपीएससी की एक्सपर्ट कमेटी की सदस्य भी रही हैं। विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में आपके लेख प्रकाशित हुए हैं तथा अनेक स्थानों पर अपने सितार वादन के कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

सम्मान

संगीत के क्षेत्र में आपकी विद्वता, संगीत शिक्षा और संगीत प्रचार – प्रसार के लिए आपको अनेक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत और सम्मानित किया गया। आपको प्राप्त विशिष्ट सम्मान में
संगीत नाटक अकादमी द्वारा कला पुरोधा सम्मान, लायंस क्लब द्वारा सर्वश्रेष्ठ संगीत टीचर अवार्ड, चंद्रकला अकादमी द्वारा चंद विधु सम्मान, कला समय भोपाल द्वारा अभिनंदन पत्र,श्री भारतेंदु समिति द्वारा स्वर सुधा श्री सम्मान, मुखिया मदनलाल जोशी स्मृति संस्थान द्वारा सम्मान पत्र एवं संगीतिका द्वारा समर्पित कला आचार्य पंडित रामाश्रय झा रामरंग जी के हाथों सम्मान एवं भारत विकास परिषद द्वारा सम्मान शामिल हैं।

परिचय :

कोटा में स्थाई निवासी संगीत विदुषी सुधा अग्रवाल का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में 8 सितंबर 1943 को हुआ। वहीं आपने अपनी शिक्षा और संगीत की शिक्षा प्राप्त की।
आपने सन 1961 से संगीत गायन की शिक्षा उस्ताद अमीर खान के शिष्य डॉ. प्रेम प्रकाश जोहरी से प्राप्त करना प्रारंभ किया तथा संगीत विशारद, संगीत प्रभाकर और संगीत अलंकार प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किए। असाधारण प्रतिभा के कारण वहीं कॉलेज प्राचार्य द्वारा व्याख्याता पद पर नियुक्त कर दी गई।
स्वास्थ्य के कारणों से गायन का रियाज बंद करना पड़ा, तब गुरुजी ने सितार पर रियाज प्रारंभ कराया, शीघ्र ही आपने कड़ी मेहनत कर सितार विषय में संगीत विशरद प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया। दिल्ली में पंडित रविशंकर जी के शागिर्द उस्ताद जमालुद्दीन भारतीय से सितार का गहन प्रशिक्षण प्राप्त करना प्रारंभ किया तथा संगीत प्रवीण प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया।आपका आरपीएससी से संगीत व्याख्याता पद चयन होने पर 21 मार्च 68 को बीकानेर में नियुक्ति हो गई, जिससे सीखने का क्रम टूट गया। उन दिनों पंडित निखिल बैनर्जी का कार्यक्रम बीकानेर में आयोजित हुआ। उनके परामर्श पर आपने अवकाश लेकर जोधपुर जा कर उस्ताद अली अकबर खान साहब के शिष्य सरोद वादक गुरु दामोदर लाल काबरा जी से सरोद वादन का गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया। वर्ष 1969 में आप स्थानांतरित होकर कोटा जेडीबी महाविद्यालय में आ गई।
आपने संगीत शिक्षा के साथ-साथ 1971 में राजस्थान विश्वविद्यालय से प्राइवेट स्नातकोत्तर की परीक्षा गोल्ड मेडल के साथ उत्तीर्ण की।
उस समय यहां संगीत में स्नातक तक शिक्षा की सुविधा थी, आपने विभिन्न स्तरों पर प्रयास कर 1993 में संगीत में स्नातकोत्तर शिक्षा की कक्षाएं शुरू करवाने में महत्वपूर्ण योगदान किया। उस काल में पूरे राजस्थान में गायन विस्तार में स्नातकोत्तर, एकमात्र महिला कलाकार थी। आप 2001 में वाणिज्य महाविद्यालय कोटा के प्राचार्य पद से सेवा निवृत हुई। आपके पति स्व. डॉ, एस.के.अग्रवाल वनस्पति शास्त्र के प्रोफेसर रहे और पर्यावरण विशेषज्ञ थे। कोविड बीमारी से उनका असामयिक निधन हो गया। आप तो संगीत में डॉक्ट्रेट नहीं कर सकी परंतु अपने मार्गदर्शन से चार संगीत विद्यार्थियों को पीएच.डी. करवा दी। से.नि.के पश्चात आपने संगीत को ट्यूशन का माध्यम नहीं बनाया और कभी भी संगीत की जानकारी लेने आने वालों को निराश नहीं किया है।

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