संपादकीय

साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की जरूरत !

-सुनील कुमार महला
फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार (उत्तराखंड)

आजकल देश में साइबर अपराधों को लेकर आए दिन खबरें आतीं रहतीं हैं। आज संचार क्रांति का युग है, इंटरनेट का युग है, तकनीक का युग है। तकनीक ने हमें बहुत सी सुविधाएं तो प्रदान की हैं लेकिन इसके खतरे भी कुछ कम नहीं हैं। आज हरेक व्यक्ति के पास एंड्रॉयड मोबाइल, स्मार्टफोन मौजूद हैं और लगभग लगभग हरेक व्यक्ति सोशल नेटवर्किंग साइट्स अथवा इंटरनेट पर सक्रिय भी है। देश में संचार क्रांति धीरे धीरे नई ऊंचाइयों को छू रही है लेकिन आज विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट्स, इंटरनेट के माध्यम से डाटा चोरी भी अपने परवान पर है। आज हम कोई भी एप डाउनलोड करते हैं तो वह सबसे पहले हमारी सारी एक्सेस मांगते हैं। गाहे-बगाहे ऐसी खबरें आती रहती हैं कि साइबर अपराधियों ने लोगों का निजी डाटा चुरा लिया है। यह ठीक है कि ऑनलाइन सिस्टम से जितनी सुविधा हुई व समय की बचत हुई, उसकी सुरक्षा के लिये खतरा उतना ही ज्यादा बड़ा हो गया है। आज संचार क्रांति के कारण मानव को बहुत सी सहूलियतें मिल रही हैं। हमारे बहुत से काम बहुत ही आसान व सरल हो गये हैं। यह संचार क्रांति का ही परिणाम है कि आज हम विश्व के किसी भी कोने में पल भर में बातचीत कर सकते हैं। आज कोई भी घटित घटना क्षण भर में ही संपूर्ण दुनिया में फैल जाती है।प्रिंट मीडिया के चमत्कार ने तो संपूर्ण विश्व में जैसे ज्ञान का विस्फोट कर दिया है। बहुत सी जानकारियां पलभर में ही हमारे सामने होतीं हैं। सोशल नेटवर्किंग से मनुष्यों के आमने-सामने बैठकर वार्तालाप करने के अवसर नगण्य होते जा रहे है, जिससे आज संपूर्ण विश्व में एकाकीपन, तनाव और डिप्रेशन(अवसाद) के प्रकरण लगातार बढ़ते चले जा रहे है।
हमारी जीवन शैली के तरीकों को भी संचार क्रांति ने कहीं न कहीं एक बहुत बड़ी सीमा तक प्रभावित किया ही है। बहरहाल, यहां जानकारी देना चाहूंगा कि पिछले दिनों ही कोविड टीकाकरण के लिये बनाये गये सिस्टम कोविन के डाटा में सेंधमारी जिसमें हजारों करोड़ों लोगों का निजी डाटा जमा था, की चर्चा ने अचानक सनसनी फैला दी थी। हालांकि, बाद में केंद्र सरकार ने यह साफ कर दिया था कि कोविन का कोई डाटा चोरी नहीं हुआ है। यहां पाठकों को यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि सरलता से टीकाकरण की व्यवस्था को अंजाम देने के लिये देश-विदेश में कोविन सिस्टम की सराहना भी हुई थी। आज आनलाइन फ्राड की घटनाएं आम हो गई हैं। आज इंटरनेट से सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर फेसबुक इंस्टाग्राम, व्हाट्स एप से घर बैठे पूरी दुनिया से वार्तालाप व्यवसाय और संपर्क संभव हो रहा है। तकनीक के अपने फायदे और नुकसान है। विज्ञान प्रगति के सोपानों को छूता है तो इससे मानवजाति को लाभ भी होता है और कहीं न कहीं नुकसान भी होता है। बहरहाल, निजी डाटा में सेंधमारी की चर्चा ने आम लोगों की चिंता बढ़ा दी है। वास्तव में,संवेदनशील व निजी जानकारियां कभी भी लीक नहीं होनी चाहिए। इससे बहुत बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। बहुत बार ऐसा कहीं न कहीं हो भी रहा है ‌‌। यदि कोई भी व्यक्ति किसी का निजी डाटा या जानकारी चोरी करता है तो आज के समय यह बहुत ही जरूरी हो गया है कि ऐसे सभी मामलों की गहन जांच की जानी चाहिए। कोशिश यह होनी चाहिए कि ऐसे प्रकरणों में गहराई तक जांच करके दोषियों को कानूनी शिकंजे में लाने के प्रयास किये जाएं। आज संपूर्ण दुनिया यह बात अच्छी तरह से जानती है कि भारत एक बड़ा उभरता उपभोक्ता बाजार है और विश्व की तमाम कंपनियां अपने कारोबार को भारत में फैलाना चाहती है। कंपनियां चोरी के डाटा को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकतीं हैं। अतः आज साइबर सुरक्षा को फुलप्रूफ करने की बहुत जरूरत है। वास्तव में,ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि खुद के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति किसी के भी निजी डाटा अथवा जानकारियों को न देख सके। इसमें ओटीपी व्यवस्था के साथ ही अन्य सुरक्षा उपायों को शामिल करना चाहिए। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि संचार का उद्धेश्य समाज का सकारात्मक परिवर्तन होना चाहिए। वर्तमान में मीडिया से जुड़े सर्वाधिक जन युवा ही हैं और आज भारत विश्व का सबसे अधिक युवा देश है और युवा ही किसी भी देश व समाज का असली भविष्य होते हैं। आज के समय में आवश्यकता इस बात की है कि परिवार में बच्चों, युवाओं में संचार माध्यमों के प्रचार से पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाना चाहिए। बच्चों को संचार क्रांति के सही उपयोग के बारे मे शिक्षित व जागरूक किया जाना चाहिए। हमें बच्चों को यह बताना चाहिए कि संचार का माध्यम व्यक्ति के सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक समस्याओं के निदान एवं विकास के लिए सहायक है। इसका गलत उपयोग हमें, हमारे समाज व देश को खतरे में डाल सकता है। आज के समय में कोशिश तो यह भी होनी चाहिए कि यदि किसी कल्याणकारी योजना के लिये सरकार भी किसी व्यक्ति के निजी डाटा का उपयोग कर रही है तो उसकी जानकारी हर नागरिक को होनी चाहिए। वास्तव में सच तो यह है कि आज साइबर सुरक्षा उपायों की समीक्षा करके बचाव के नये मानकों को उपयोग में लाने की आवश्यकता है। आज हैकिंग की जाती है, खुफिया सूचनाओं को चुराया जाता है, आनलाइन ठगी की जाती है, इसके बारे में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। दूसरे शब्दों में कहें तो संचार माध्यमों के दुरुपयोग को रोका जाना आज अति आवश्यक हो गया है।कम्प्यूटर की खोज और सूचना प्रौद्योगिकी का विकास 20 वीं शताब्दी की सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। प्रगति और विकास के साधन के रूप में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका व्यापक रूप से स्वीकार की गई है।
आज तेजी से टेक्नोलॉजी(तकनीक) बदल रही है। अतः सुरक्षा उपायों में भी उसी तेजी से बदलाव करके चौकस व्यवस्था को अपनाया जाना चाहिए। आज साइबर अपराधी अपराध करने के नए-नए तरीके अपना रहे हैं। लोगों को यह चाहिए कि वे अपने बैंक खाते से संबंधित जानकारी किसी को न दें, एटीएम पिन को हमेशा बदलते रहे, ऐसा पिन न रखे जो आसानी से अनुमान लगाया जा सके।किसी भी तरह के ऑफर और लालच में न आएं। किसी भी लिंक को ओपन न करें। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि बैंक कर्मचारी कभी भी फोन करके बैंक डिटेल्स नहीं मांगते। अगर किसी तरह की कोई फोन कॉल आती है, सामने वाला व्यक्ति अपने आप को बैंक कर्मचारी बताकर निजी जानकारी, ओटीपी या केवाईसी करने के नाम पर कोई जानकारी मांगता है तो उस व्यक्ति को कोई भी जानकारी न दें।इसके बावजूद साइबर क्राइम के शिकार होते हैं तो साइबर क्राइम हेल्प लाइन नंबर 1930 पर काल करें।आज डाटा चोरी के नियमन के लिये देश में पर्याप्त कानून की जरूरत महसूस की जा रही है। यहां यह उल्लेखनीय है कि निश्चित रूप से कंप्यूटर संचार क्रांति प्रयोग से मानव को बड़े सामाजिक और आर्थिक लाभ होंगे तथा विकास की प्रक्रिया में तेजी आयेगी, लेकिन साइबर अपराधों पर लगाम भी कसनी होगी। आज हैकरों पर नकेल कसने के लिये चाक-चौबंद कड़े कानून बनाये जाने की आवश्यकता है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण व काबिलेतारिफ है कि गृह मंत्रालय ने देश में सभी तरह के साइबर अपराधों से निपटने के लिए ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र स्थापित किए हैं। जानकारी देना चाहूंगा कि कुछ समय पहले महिलाओं और बच्चों के प्रति साइबर अपराध की रोकथाम (सीसीपीडब्ल्यूसी)” की स्कीम के तहत, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को साइबर फोरेंसिक– सह–प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना करने, जूनियर साइबर परामर्शदाताओं की नियुक्ति करने और विधि प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए), लोक अभियोजकों तथा न्यायिक अधिकारियों के क्षमता निर्माण के लिए कुल 99.88 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की गयी थी। अब तक, 33 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाएं शुरू (कमीशन) की गई हैं। यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि साइबर अपराधों से निपटने के लिए पुलिस बलों को समुचित इंफ्रास्ट्रक्चर, अत्याधुनिक तकनीकी यंत्रों और मैनपॉवर से लैस करने और उन्हें प्रशिक्षित करने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकार, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन की होती है। एक और अच्छी बात यह है कि साइबर अपराधों की जांच, फॉरेंसिक, अभियोजन आदि के विवेचनात्मक पहलुओं पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम और प्रमाणन के माध्यम से पुलिस अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों के क्षमता निर्माण के लिए ‘भारतीय साइबर अपराध समन्‍वय केंद्र’ के तहत ‘साइट्रेन’ पोर्टल नामक “वृहत ओपन ऑनलाइन कोर्स प्‍लेटफार्म भी विकसित किया गया है।बहरहाल,तकनीकी उपायों की समय-समय पर समीक्षा करने की आवश्यकता है ताकि हैकरों को स्वच्छंद विचरण करने से रोका जा सके। हमें साइबर सुरक्षा उपायों को मजबूत करना होगा ताकि लोगों का भरोसा बना रहे कि सरकार के हाथों में उसकी निजी जानकारी सुरक्षित है। केंद्र व राज्यों की नोडल साइबर सुरक्षा एजेंसियों के बेहतर तालमेल से काम करने से हैकिंग की समस्या पर किसी सीमा तक नियंत्रण करने में मदद मिलेगी।साथ ही यह भी जरूरी है कि इससे जुड़े सभी कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण दिया जाए। सबसे बड़ी बात यह है कि हमें साइबर सुरक्षा के प्रति हमेशा जागरूक व चौकन्ना रहना होगा।

(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)

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