संपादकीय

ऐ चांद….! हमें उन में तुम्हीं भाए बहुत !

-सुनील महला

अकबर इलाहाबादी जी ने बड़े ही खूबसूरत शब्दों में बयां किया है -‘लोग कहते हैं बदलता है ज़माना सब को।मर्द वो हैं जो ज़माने को बदल देते हैं।।’ भारत ने अंतरिक्ष में इतिहास रच जमाने को बदल दिया है, तिरंगा चांद की धरती पर, चांद पर लहरा दिया है। सच तो यह है कि चंद्रयान-3 मिशन ने इतिहास रचते हुए भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में सिरमौर देशों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया और अब भारत की नजरें चांद के बाद सूरज की ओर हैं। इसमें कोई संदेह नहीं रह जाता है कि अब भारत आने वाले समय में अंतरिक्ष के क्षेत्र में और भी अधिक सफलताएं हासिल करेगा। सच तो यह है कि चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद अब भारत के लिए अंतरिक्ष के क्षेत्र में नये द्वार खुल गये हैं और भारत ने दुनिया को यह दिखा दिया है कि यूं ही भारत विश्व गुरु नहीं कहलाता है। ऋषि मुनियों,साधु संतों का यह देश, सोने की चिड़िया कहलाने वाला यह देश आज किसी भी क्षेत्र में दुनिया के किसी भी देश से कमतर नहीं है। आज भारत लगभग लगभग क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनता चला जा रहा है। अंतरिक्ष में तो भारत ने नई ताबीर लिख ही दी है और बरसों पहले मोहम्मद रफी साहब का गाया यह गीत आज साकार हो चला है कि -‘री ढैय्या री ढैय्या री ढैय्या,देखो रे देखो लोग अजूबा, ये बीसवीं सदी का,देखो रे देखो लोग अजूबा, ये बीसवीं सदी का,आसमान के चाँद तो छूने,निकला चाँद ज़मीन का,रे लोगो ये चंदा रूस का,न ये जापान का, न ये अमरीकन प्यारे, ये तो है हिंदुस्तान का, न ये चंदा रूस का,न ये जापान का, न ये अमरीकन प्यारे,ये तो है हिंदुस्तान का…।’ यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के समस्त वैज्ञानिकों की प्रतिभा, कड़ी मेहनत और समर्पण ही रहा कि हम चांद की सतह को फतेह कर पाए। विज्ञान और वैज्ञानिकों की तपस्या की बदौलत ही हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान से लैस एलएम की सॉफ्ट लैंडिंग को संभव बना पाए। यहां जिगर मुरादाबादी जी का एक शेर याद आ रहा है जिन्होंने खूबसूरत शब्दों में यह लिखा है कि -‘हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं।हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं।’ हाल फिलहाल, चंद्रयान-3 मिशन की ऐतिहासिक सफलता के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बहुत-बहुत बधाइयां और शुभकामनाएं ! हम आज गौरवान्वित हैं कि अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में हम सिरमौर देशों की श्रेणी में शुमार हैं।भारत की यह सफलता अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार तो खोलेगी ही, इसके साथ ही मानवता के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त करेगी। बुधवार शाम यानी कि 23 अगस्त 2023 को जब सॉफ्ट लैंडिंग होने वाली थी, इसरो के यूट्यूब चैनल पर 42 लाख से ज्यादा लोग इसे लाइव देख रहे थे। इसरो ने लैंडिंग का लाइव प्रसारण किया, स्कूली बच्चों, समस्त देशवासियों ने इसे लाइव देखा, एक अलग ही नजारा,अलग ही माहौल भारत में नजर आया। सबको चंद्रयान-3 मिशन की लैंडिंग को लेकर बहुत उत्सुकता व जोश था। विभिन्न चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए करोड़ों लोग इस क्षण के साक्षी बने। इसरो ने हमारा सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। जानकारी देना चाहूंगा कि पहले इसरो को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (इन्कोस्पार) के नाम से जाना जाता था, जिसे डॉ. विक्रम ए. साराभाई की दूरदर्शिता पर 1962 में भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था। इसरो का गठन 15 अगस्त, 1969 को किया गया था।इसरो का मुख्यालय बेंगलूरु में स्थित है। पाठकों को यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट, 19 अप्रैल 1975 को सोवियत संघ के रॉकेट की सहायता अंतरिक्ष में छोड़ा गया था। इसका नाम महान गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था। जानकारी मिलती है कि इसने 5 दिन बाद काम करना बन्द कर दिया था। लेकिन यह अपने आप में भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में लेकिन कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार अथक प्रयास, मेहनत और दृढ़ता से अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम किया और आज नतीजा संपूर्ण विश्व के सामने है। आज इसरो अनेकानेक देशों के उपग्रहों को बहुत कम खर्च में अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर रहा है। यह हम सभी को गौरवान्वित महसूस कराता है कि अल्प संसाधनों के साथ शुरुआत करते हुए, कई संघर्षो का सामना करते हुए इन वैज्ञानिकों ने जो मेहनत की है, वह किसी तपस्या से कम नहीं है। हम चांद पर जीवन की संभावनाएं तलाश रहे हैं और सफल हुए हैं। भारत ही नहीं विदेशों ने भी भारतीय अंतरिक्ष मिशन की भूरी भूरी प्रशंसा की है। जानकारी देना चाहूंगा कि आज दुनिया की सभी अंतरिक्ष एजेंसियां भारत को इस सफलता के लिए लगातार बधाई दे रही हैं और वहां के मीडिया में भी चंद्रयान-3 की सफलता छाई हुई है। सऊदी अरब, पाकिस्तान, ब्रिटेन, अमेरिका समेत सभी देशों की मीडिया में भारत की ऐतिहासिक सफलता को लेकर खबरें चल रही हैं।न्यूयॉर्क टाइम्स, द गार्जियन, द वाशिंगटन पोस्ट और बीबीसी उन विदेशी मीडिया में शामिल हैं, जिन्होंने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (साउथ पोल) के पास चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग की सराहना की है। बहरहाल,चंद्रयान-3 मिशन की यह सफलता इसलिए भी खास है, क्योंकि अब भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। जहां अत्यंत साधन संपन्न देशों की एजेंसियां नहीं पहुंच पाईं, वहां इसरो पहुंच गया है।द गार्जियन ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग, भारत के स्पेस पावर के रूप में उभरने का प्रतीक है।सीएनएन ने कहा कि चंद्रयान-3 की साउथ पोल पर सफलतापूर्वक लैंडिंग इतिहास में किसी भी अन्य अंतरिक्ष यान की तुलना में अलग है।बीबीसी ने लिखा है कि भारत ने इतिहास रच दिया है। इसरो का चंद्रमा मिशन चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने वाला पहला मिशन बन गया है। सच तो यह है कि भारत के चंद्रयान तीन मिशन की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है। इससे हमारे देश की छवि और मजबूत हुई है। हाल फिलहाल यह कहना बिल्कुल भी ग़लत नहीं होगा कि भारत ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी ताकत बन कर उभरा है। निश्चित ही अब भारतीय विज्ञान और नई तकनीक को बढ़ावा मिलेगा। रोजगार के नवीन अवसर पैदा होंगे, और विदेशी निवेश आएगा। रिसर्च के क्षेत्र में बेहतर संभावनाएं पैदा होंगी। सच तो यह है कि इसरो की अनूठी सफलता से मानवता के कल्याण के नए आयाम स्थापित होंगे। यह सफलता हमारे देश के युवाओं में विज्ञान के प्रति नई सोच और रूचि पैदा करेगी। निस्संदेह वह दिन भी जल्द ही आएगा, जब भारत अंतरिक्ष की अनंत गहराइयों में जाकर नए-नए रहस्यों का पता लगाएगा और आने वाले समय में पृथ्वी की तरह चांद पर भी पर्यटन संभव हो सकेगा। चांद के सफर के साथ भविष्य में एक नवीन अनुभवों का आनंद और लुत्फ़ समस्त मानवजाति उठा सकेंगी। अंत में मीर तक़ी मीर जी शब्दों में चांद के बारे में बस यही कहूंगा कि -‘फूल गुल शम्स ओ क़मर सारे ही थे,पर हमें उन में तुम्हीं भाए बहुत।’

(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)

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