संपादकीय

रेखा पंचौली का साहित्य आध्यात्म, स्त्री और प्रकृति पर केंद्रित है

-डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवम् पत्रकार, कोटा

राजस्थान में हाड़ोती के साहित्य जगत में रेखा पंचौली एक ऐसी काव्य शिल्पी हैं जिन्होंने स्वयं तो अपनी पहचान बनाई ही साथ ही फरवरी 2021 में “आर्यन लेखिका मंच” की स्थापना कर नवोदित रचनाकारों को उनके साहित्यिक विकास के लिए एक मंच भी उपलब्ध कराया। वे बताती हैं कि यह मंच अपनी स्थापना से निरंतर अमूमन साल में प्रतिमाह काव्य संगोष्ठियों और विविध साहित्यिक कार्यक्रमों से हाड़ोती के अनेक रचनाकारों को आगे आकर अपनी पहचान बनाने में सहायक सिद्ध हुआ है।
कविताओं का शोक कैसे हो गया प्रश्न पर वे कहती है माता-पिता दोनों हिंदी के अध्यापक रहे। पिता की साहित्य में विशेष अभिरुचि रही। चंपक, नंदन, बालभारती आदि बाल पुस्तकें बचपन से ही खूब पढ़ने का शोक था। पढ़ते – पढ़ते और घर में माहोल ने लिखना भी सीखा दिया। यही कोई 11 वर्ष की रही होंगी जब पहली छोटी सी बाल कहानी लिखी। पहली कविता 11वीं कक्षा की छात्रा थी तब लिखी जो “देश की धरती” में प्रकाशित हुई। इनसे मेरा उत्साह वर्धन होता गया और मैं आगे बढ़ती गई। अब तक आप लगभग 40 कविताएं लिख चुकी हैं। आपकी एक कविता
कविता की कुछ पंक्तियां देखिए………
बसंत
ठिठक गये सुर बसंत के ,
रुक गया राग -बसंत ,
स्तब्ध सी नव वल्लरियों,
नव पल्लवों की मृदंग।
पुष्प- कलियां ,विस्तारित नेत्र ,
भ्रमर छोड़ कर भागे क्षैत्र,
रुकी प्रस्तुति मंच पर ,
अचानक हुआ ,कैसा रंग में भंग ।
यूं मंच पर पलट कर आई ,
शीत, बरखा को संग लाई
करने लगी नृत्य तांडव ,
अपने दल- बल संग ।
हवा तुरही बजा रही ,
बादल गर्जाते ढोल नगाड़े ,
बरखा से शीत, मिला रही ताल ,
देखो दोनों के अजब रंग- ढंग।
कोहरे ने कोहराम मचाया,
ओले बन गए घुंघरू पायल ,
सहम गया भोला बसंत ,
शीत ऋतु निकली बड़ी दबंग।

सृजन : इन्होंने ज्यादातर कहानियां सामाजिक विषयों पर लिखी हैं। आरंभ में रुझान कहानियों में स्त्री विमर्श की तरफ रहा है। अब तक ज्यादातर कविताएं देशभक्ति आध्यात्म ,स्त्री और प्रकृति विषयों पर केंद्रित रही हैं। वे बताती हैं कविताओं में मुक्तक कविताएं लिखती अधिक लिखती हैं। आप व्यंग्य रचनाएं भी लिखी हैं। आपके सृजन ने पुस्तकों का रूप भी लिया और जनवरी 2010 में 16 कहानियों का प्रथम संग्रह “पलकों में उजास” नाम से प्रकाशित हुआ। इसके उपरांत इन्होंने कोविड में लोक डाउन के डाउन एक उपन्यास “लोक डाउन एंड कोचिंग सिटी कोटा” का लेखन कर प्रकाशित करवाया।
लोक डाउन उपन्यास का एक अंश :
“अचानक जिंदगी कुछ ऐसे ही बदल गई थी, मानो हर-हराता झरना एक ही रात में बर्फ में तब्दील हो गया हो। सड़के, बाजार, स्कूल, कॉलेज, मॉल, बसें- ट्रेनें सब मुंह बाएं खड़े थे, स्तब्ध से, हर जगह रेलम-पेल, धक्कम-धक्क मचाती वो भीड़ कहीं जैसे गुम हो गई थी । 135 करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश की जनता को कोई इतना शांत कैसे करवा सकता है ? कभी सोचा नहीं था, वो घटित हो गया था। 135 करोड़ ! यह केवल जुमला नहीं था…. हमारे देश के प्रधानमंत्री का, 135 करोड़ की जनसंख्या ने हमेशा अपने होने का पुरजोर प्रमाण दिया था। लेकिन अब जैसे ऊपर वाले जादूगर ने जादू की छड़ी घुमा दी थी और सब को जैसे सांप सूंघ गया गया था। पर यह खामोशी अधिक समय नहीं रह सकती थी जैसे लहरों की आदत होती है, जैसे हवाओं की आदत होती है, बादल स्थिर नहीं रह सकते हम भी अपनी आदतों से मजबूर थे, या कह लीजिए लातों के भूत बातों से नहीं मानते ।अब लोक डाउन का पालन डंडे के बल पर प्रशासन द्वारा करवाया जा रहा था ।”
आपकी अनेक रचनाएं साझा संकलनों में भी प्रकाशित हुई हैं। साथ ही कहानियां और कविताएं राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, हंस , हरिगंधा, मधुमती, संस्कार सुगंध,अर्य सन्देश और शब्द प्रवाह आदि पत्र – पत्रिकाओं में भी समय – समय पर प्रकाशित होती रहती हैं। आपकी एक आध्यात्म पर आधारित कविता का अंश दृष्टव्य है……….
शिव तुम जीवन का राग सिखाते हो,
जीवन जिया जाए कैसे, वही बतलाते हो।
सर्प गले में माला से, बिच्छू कुंडल धारे,
फिर भी निर्भय हो, करते योग -साधना ।
कोई भेद नहीं, अपने और पराये का ,
देव हो या दानव सबको , अपनाते हो।
मस्तक से बहती ज्ञान धार की गंगा ,
ज्ञान का दान जन-जन को देते रहते
शीश पर धारे रहते शीतल चंद्रमा तुम ,
स्वभाव रहे सदैव ठंडा, यही बतलाते हो।
विसंगतियों से भरा है जीवन तुम्हारा,
भोले शंकर तुम आंक- धतूरे भी सह जाते ,
पर क्रोध जबआता तो, भस्मीभूत कर देतेे,
भोलेनाथ से त्रिनेत्र तुम बन जाते हो।

सम्मान : रेखा पंचौलो को उनके साहित्य सृजन पर पुरस्कारोंं का सिलसिला 2011भी मध्य प्रदेश से हुआ जब इन्हें लेखक मंच ,बैतूल द्वारा “साहित्य मणि- 2011” के सम्मान से नवाजा गया। आपको “साहित्य समर्था”त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका द्वारा आयोजित “अखिल भारतीय डॉ.कुमुद टिक्कू कहानी प्रतियोगिता-2012 में इनकी लघुकथा “मन के भंवर में ” को द्वितीय स्थान प्राप्त होने पर पुरस्कृत किया गया। अखिल भारतीय साहित्य संगम ,उदयपुर द्वारा इसी वर्ष इन्हें “काव्य कुमुदनी” पुरस्कार, 2012 में लाईनेस क्लब,कोटा द्वारा “स्प्रीट ऑफ़ वीमन अवार्ड “, 2013 में जिला गुर्जर गौड़ समिति सवाई माधोपुर द्वारा गौतम रत्न अवार्ड, 2019 में ब्राह्मण कल्याण परिषद् कोटा द्वारा “वीमेंस एक्सीलेंस अवार्ड” ,2020 में भारत विकास परिषद् द्वारा ” माँ पन्ना धाय पुरूस्कार” से सम्मानित किया गया।

परिचय : कोटा में साहित्यिक गतिविधियों का माहोल बनाने और रचनाकारों को मंच प्रदान जाने वाली रचनाकार रेखा पंचौली का जन्म 10 जून 1968 को सवाईमाधोपुर में पिता सीताराम श्रौत्रिय एवम् माता सरला श्रौत्रिय के आंगन में हुआ। आपने हिंदी और इतिहास विषय में स्नातकोत्तर एवम् बी .एड . तक शिक्षा प्राप्त की। आपके पति आर.पी.पंचोली रेलवे कोटा में स्टेशन अधीक्षक हैं। आप एक विद्यालय का संचालन भी करती हैं। समाज सेवा की दृष्टि से कई संस्थाओं से जुड़ी हैं।

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