संपादकीय

विश्व में आसमान छूती दूरदर्शन की लोकप्रियता

15 सितंबर को दूरदर्शन स्थापना दिवस पर विशेष

-डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
लेखक एवं पत्रकार

दूरदर्शन लोक संचार का दृश्य एवं श्रव्य माध्यम होने से भारत ही नहीं विश्व में सर्वाधिक लोक प्रिय माध्य्म है। भारतीय सिनेमा के समान ही यह जन संचार का प्रबल प्रभावी माध्य्म बन गया है। फिल्मों के साथ-साथ बहुआयामी मनोरंजन और ज्ञान का पिटारा है टीवी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस से घर बैठ कर ही देखा सुना जा सकता है। कोई भी चैनल देख रहे हों दुनिया की महत्वपूर्ण धटना कार्यक्रम के बीच मे ही तुरन्त करोड़ो लोगों तक पहुँच जाती है।
दूरदर्शन आज के युग में विविध प्रकार मनोरंजन करने, शिक्षा और सूचना प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है जो घर बैठे उपलब्ध होता है। लाइफ टेलीकास्ट से राष्ट्रिय एवं आन्तर्राष्ट्रीय खेलों के मैचो के भव्य आयोजन, प्रमुख कार्यक्रमों, राष्ट्र के नाम उद्बोधन, संसद की गतिविधियां, राष्ट्रीय उत्सवों की झलक, राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलन एवं मुशायरे, धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक आयोजन आदि हूबहू देखने-सुनने का अवसर मिलता है। इसके द्वारा पिक्चर, नाटक, हास्य-व्यंग्य, संगीत, अनेक प्रकार के ऐतिहासिक, सामाजिक सीरियल आदि देखकर मनोरंजन कर सकते हैं । सामाजिक रीति-रिवाज व सामयिक विषयों पर भी इसमें चर्चा होती है। इसकी मदद से इतिहास, भूगोल, भाषा, समाजशास्त्र और विज्ञान आदि विषय छात्रों को पढ़ाये जाते है। इसके द्वारा शिक्षा प्राप्ति में विद्यार्थियों की दर्शनेन्द्रियाँ और श्रवणेन्द्रियाँ दोनों ही एक साथ काम करती हैं। इससे शिक्षा कार्य सरल, प्रभावशाली और यथार्थपरक होता है। यह शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुआ है। भारत सहित अमेरिका, रूस, जापान, चीन, जर्मनी आदि देशों में इसके प्रयोग सफल रहे हैं। देश की निरक्षर जनता विशेष कर महिलाओं में जागृति लाने का महत्वपूर्ण माध्य्म है। राष्ट्र के एकता एवं अखंडता में बाधक जातिवाद, क्षेत्रीयता एवं वर्गभेद को दूर करने में सहायक है। शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं स्वछता जैसे विषयों पर प्रसारित कार्यक्रम अशिक्षित जनता एवं पिछड़ी जनता के लिए विशेष उपयोगी होते हैं।
भारत में स्थलीय टेलिविजन में प्रायोगिक प्रसारण शुरू करने के साथ एक छोटा ट्रांसमीटर और एक अस्थाई स्टूडियों के साथ 15 सितम्बर 1959 (आधिकारिक लाॅन्च तिथि) पर नियमित दैनिक प्रसारण के एक भाग के रूप में 1965 में शुरू कर दिया। दिल्ली, मुम्बई, अमृतसर, कोलकाता, चेन्नई, सहित 1972 में सात भारतीय शहरों में एक टेलिविजन सेवा थी। टीवी सेवाओं को सन 1976 में रेडियो से अलग कर दिया गया। भारतीय छोटे परदे के प्रोग्रामिंग 1980 के दशक में शुरू किया था। उस समय में केवल एक राष्ट्रीय चैनल दूरदर्शन था जो सरकार के स्वामित्व में था। दिल्ली में आयोजित होने वाले एशियाई खेलों की वजह से राष्ट्रीय प्रसारण 1982 में शुरू किये गये और एक ही वर्ष में रंगीन टीवी भारतीय बाजार में आ गया। रास्ट्रीय प्रसारण 1982 से रंगीन दूरदर्शन पर होने लगा। रामायण और महाभारत (दोनों भारतीय आध्यात्मिक और पौराणिक कहानियां) का उत्पादन पहले प्रमुख टेलिविजन श्रृंखला थे। इन धारावाहिको ने तो लोकप्रियता के सारे रिकॉर्ड ही तोड़ दिए और दर्शकों की संख्या में विश्व रिकार्ड कायम किया। हम लोग,बुनियाद, मालगुड़ी डेज, ये जो है जिंदगी, रजनी, ही मैन, जनाब, तमस आदि शुरुआती धारावाहिकों ने दूरदर्शन को नई पहचान दी। फिल्मी गीतों पर आधारित चित्रहार, भारत एक खोज, विक्रम बेताल, टर्निंग प्वाइंट, अलिफ लैला, फौजी, एवं देख भाई देख ने देश, तारक मेहता का उल्टा चश्मा, करोड़पति, तेनालीराम आदि ने देश भर में न केवल अपना खास दर्शक वर्ग तैयार किया वरण गैर हिंदी भाषी राज्यों में भी ये धारावाहिक लोकप्रियता की सीढ़ी चढ़ गये।
1980 के अंत तक अधिक से अधिक लोगों को टीवी सेट ही शुरू कर दिया, एक चैनल वहां था टीवी प्रोसेसिंग संतृप्ति पहुंच गया था, इसलिए सरकार भाग राष्ट्रीय प्रोसेसिंग और भाग क्षेत्रीय थी जो एक अन्य चैनल खोल दिया गया इस चैनल बाद में डीडी मेट्रो के रूप में जाना जाता था, दोनों चैनलों सांसारिकता के साथ प्रसारित किया गया। डीड 1, डीडी न्यूज, डीडी भारती, डीडी स्पोर्ट एवं डीडी उर्दू के रूप में 5 रास्ट्रीय चैनल अस्तित्व में आये। इसी समय क्षेत्रीय भाषाओं के 11 उपग्रह चैनल डीडी उत्तर पूर्व, डीडी बंगाली, डीडी गुजराती, डीडी कन्नड़, डीडी कश्मीर, डीडी मलयालम, डीडी सह्याद्रि, डीडी उड़िया, डीडी पंजाबी, डीडी पोधिगई और डीडी सप्तगिरि स्थापित किये गए। क्षेत्रीय राज्य नेट वर्क के 11 चैनल बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमालय, मिजोरम एवं त्रिपुरा में प्रारम्भ किये गये। डीडी इंन्टरनेशनल नामक एक आन्तर्राष्ट्रीय चैनल डीडी इंडिया के नाम से एक चैनल 1995 में प्रारम्भ किया गया था और यह 19 घंटे एक दिन के लिए कार्यक्रम प्रसारित करता है।
डीडी डायरेक्ट एव दूरदर्शन की फ्री एयर डीटीएच सेवा का सम्मिलित शुभभारम्भ 16 दिसम्बर 2004 को तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा किया गया। इसी वर्ष 33 सरकारी एवं निजी चैनलों की शुरुआत भी की गई। दूरदर्शन भारत का लोक सेवा टीवी है जिसका कार्यक्षेत्र प्रसार भारती के टीवी के रूप में है। यह दुनिया का सबसे बड़ा प्रसार संगठन है। दूरदर्शन ने अपने एनालॉग ट्रांसमीटरों को डिजिटल ट्रांसमीटरों में बदलना शुरू कर दिया है, जिसमें एक ट्रांसमीटर 8 चैनलों तक लेजा सकते हैं। दूरदर्शन त्रि-स्तरीय रास्ट्रीय, क्षेत्रीय एवं स्थानीय कार्यक्रम सेवाएं उपलबध करता है। समाचार, करंट अफेयर्स,पत्रिका कार्यक्रम एवं कला-संस्कृति, विज्ञान, पर्यावरण, धारावाहिक, पारिवारिक मुद्दे, संगीत, नृत्य, नाटक एवं फीचर फिल्मों आदि का प्रसारण करता है। डीडी न्यूज 2003 से 24 घंटे हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू,तथा संस्कृत भाषाओं में समाचार प्रसारित करता है। दूरदर्शन की निःशुल्क डीटीएच सेवा डीडी डायरेक्ट 16 दिसम्बर 2004 से शुरू की गई। जून 2008 में शुरू किये गये डिवीबीटी 2 स्टेंडर्ड की क्षमता पूर्व के डिवीबीटी से 50 प्रतिशत ज्यादा है। डिवीबीटी 2 ट्रांसमीटर स्थिर, पोर्टेबल एवं मोबाइल उपकरणों से सुसज्जित है।

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