संपादकीय

श्याम प्रकाश देवपुरा ने”साहित्य मंडल” को बुलंदियों तक पहुंचाया

डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य के उन्नयन और चेतना जागृति में देश की अनेक साहित्यिक संस्थाओं के बीच राजस्थान के धार्मिक नगर श्रीनाथद्वारा में हिंदी सेवा में रत “साहित्य मंडल” संस्था ने अपनी गतिविधियों से कीर्तिमान का इतिहास बना कर अपनी अलग पहचान बनाई है। संस्था द्वारा हिंदी के विकास के लिए अनेक प्रकल्प संचालित किए जाते हैं।
प्रतिवर्ष हिंदी दिवस 14 सितम्बर को आयोजित “अंग्रेजी हटाओ’ आंदोलन से हिन्दी जगत को जगाने हेतु “उठो, जागो और अपने आपको पहचान” के मूल मंत्र का शंखनाद किया जाता है। संस्था द्वारा अष्टछापीय कवियों की संपूर्ण वाणी तथा समीक्षाऍं पुस्तकों के रूप में छापकर इस संस्था ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। संस्था अपनी त्रैमासिक पत्रिका ‘हरसिंगार’ के माध्यम से हिन्दी की अभूतपूर्व सेवा कर रही है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक संस्था ने अपनी 1937 ई. में स्थापना से लेकर हिन्दी के उन्नयन तथा हिन्दी सेवियों को जोड़ने का जिस प्रकार से प्रयास किया है वह स्तुत्य है।
अष्टछाप, महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी एवं उनके पुत्र श्री विट्ठलनाथ जी द्वारा संस्थापित 8 भक्तिकालीन कवियों का एक समूह था। जो अपने विभिन्न पद एवं कीर्तनों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का गुणगान किया करते थे। अष्टछाप की स्थापना 1565 ई. में हुई थी। स्थापना के बाद भगवान कृष्ण की लीलाओं के गुणगान का क्रम निरंतर चलता रहा। इस संस्था द्वारा इन कवियों की वाणी को लिपिबद्ध कर प्रकाशन कराया गया। आज यह दुर्लभ साहित्य खास कर शोधार्थियों के लिए विशिष्ठ महत्व का है। खास बात यह भी है कि इस अति प्राचीन और दुर्लभ साहित्य के लिए पृथक से अष्टछाप कक्ष की स्थापना की गई है।
हिंदी भाषा के विकास और हिंदी सेवियों के लिए एक बड़ा पुस्तकालय का संचालन भी किया जाता है जिसमें लगभग 50 हज़ार हस्तलिखित ग्रथों एवं साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक पत्र-पत्रिकाओं से विनिर्मित जिल्दों का अपूर्व संग्रह है किया गया है अर्थात यह एक उपयोगी संदर्भ पुस्तकालय भी है। संस्था का अपना एक वाचनालय भी संचालित है जिसमें देश भर से करीब 200 प्रकार के पत्र-पत्रिकाएं पाठकों के लिए मंगवाई जाती हैं। एक छोटा बाल पुस्तकालय प्रथक से चौपाटी पर संस्था द्वारा संचालित किया जाता है। यही नहीं संस्था का पत्रिका कक्ष, साहित्यकार कक्ष, पत्रिका प्रदर्शनी कक्ष जहां ज्ञान की ज्योति बिखेरता हैं वह दर्शनीय भी है। संस्था द्वारा प्रति वर्ष रंगमंचीय कार्यक्रम, ब्रजभाषा समारोह, साहित्य संगोष्ठी, आदि के कार्यक्रम भी आयोजित कराए जाते हैं। शिक्षा का आलोक फैलने के लिए संस्था उत्तम व्यवस्थाओं के साथ एक विद्यालय का संचालन भी करती है जिसका परिसर सुरम्य बगीचे एवं खेल मैदानों से युक्त है।
संस्था के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री श्याम प्रकाश देवपुरा कुशल नेतृत्व के साथ संस्था को बुलंदियों तक पहुंचाने में सक्रिय हो कर सबको साथ लेकर न केवल अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं वरन संस्था का महत्व देशव्यापी बना दिया है। उल्लेखनीय है कि 6 जनवरी 2014 में साहित्य मण्डल के संस्थापक प्रधानमंत्री एवं हिन्दी साहित्य सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष स्व.भगवती प्रसाद देवपुरा के देवलोकगमन के पश्चात इन्होंने संस्था का कार्यभार संभाला। इन्होंने 6 जनवरी को कार्यक्रम में वृद्धि कर पिता की पुण्य तिथि पर एक नया कार्यक्रम जोड़ा जिसमें प्रतिवर्ष साहित्यकारों को आमंत्रित कर त्रिदिवसीय साहित्यिक कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह आयोजित किया जाता है। ये अपने पिता के समय से ही उनके साथ निरंतर संस्था की गतिविधियों से जुड़े रहे हैं।
देवपुरा ने पिता के समय से चली आ रही परम्पराओं त्रिदिवसीय ब्रजभाषा पाटोत्सव समारोह व 14-15-16 सितम्बर को हिन्दी दिवस के त्रिदिवसीय समारोह को निरंतरता प्रदान कर संस्था की गरिमा को बनाए रखा है। कई दिनों पूर्व देश के इन गरिमामय कार्यक्रमों की रूपरेखा बननी शुरू हो जाती है और समारोह के आयोजन बहुत ही गरिमा के साथ सुव्यवस्थित रूप से आयोजित किए जाते हैं।
संस्था द्वारा 14 जनवरी को राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रचार – प्रसार के लिए श्लांघनीय उपलब्धियों के लिए साहित्यकारों, हिन्दी सेवियों एवं संपादकों को सम्मान किया जाता है। संस्था का यह कार्यक्रम आज देशव्यापी कार्यक्रम बन गया है। इस अवसर कार्यक्रम का शुभारंभ संस्था के प्रधानमंत्री श्री भगवतीप्रसाद देवपुरा के नेतृत्व में संस्था द्वारा आयोजित विशाल रैली से होता है जो आकर्षण का प्रमुख केन्द्र रहती है। इसमें विद्यालय के बच्चे, शिक्षक, शिक्षिकाओं, संस्था के कार्यकर्ताओं के अतिरिक्त सारे देश से पधारे हुए अतिथिगण एवं श्रीनाथद्वारा के गण्यमान्य नागरिक सम्मिलित रहते हैं। यह विशाल रैली विद्यालय के बाल-बैंड की अगुआई में श्रीनाथद्वारा का भ्रमण कर राष्ट्रभाषा अपनाने एवं अंग्रेजी से मुक्ति का संदेश देती है।
श्याम प्रकाश देवपुरा की साहित्यिक सेवाओं को देखते हुए सरकार ने आपको ब्रजभाषा अकादमी का सदस्य नियुक्त किया है, जो साहित्य जगत के लिए गर्व की बात है। संस्था ने अष्टछाप कवियों विशाल ग्रन्थों का प्रकाशन कर श्रीकृष्ण एवं ब्रजभाषा की बहुत बड़ी सेवा की। उल्लेखनीय है कि एक अन्य महत्वपूर्ण गतिविधि के अंतर्गत साहित्य मण्डल” दशकों से ब्रजभाषा के उन्नयन के लिए प्रतिवर्ष श्रीनाथजी के पाटोत्सव पर ब्रजभाषा साहित्यकारों को आमंत्रित कर उनका सम्मान समारोह, ब्रजभाषा में कवि सम्मेलन सहित श्रीनाथजी और भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े प्रसंगों पर उपनिषद, आलेख वाचन का आयोजन भी करती है।

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