संपादकीय

आध्यात्म भाव से प्रेरित है किशन ‘प्रणय’ की काव्य सृजनशीलता…

-डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
हिंदी, राजस्थानी, मालवी, उर्दू और अंग्रेजी भाषा के विद्वान कवि किशन ‘प्रणय’ एक ऐसी शख्शियत हैं जो बचपन से ही आध्यात्म से प्रेरित रहे। वह बताते है उनके पिता भी बचपन से ही कबीर के भजन सुनते थे। उनका अध्यात्म इतना प्रभावी था कि ईश्वरीय तत्व के बारे में जानने के लिए विख्यात दार्शनिक
आइंस्टीन ख़ुद उनसे मिलने भारत आये थे। रवींद्र नाथ टैगौर से प्रभावित और बचपन से मिले आध्यात्मिक माहोल से यह भी आध्यात्म से प्रेरित हैं और इसका प्रभाव इनकी काव्य सृजनशीलता पर साफ दिखाई देता है। इनका मानना हैं कि अध्यात्म भारतीय दर्शन का मुख्य केंद्र रहा है और हमारी संस्कृति विश्व में गुरुत्व को अध्यात्म की कहीं ना कही मुख्य भूमिका रखती है।
** इनकी राजस्थानी कृति “पञ्चभूत” संवेदना और संस्कृति की ऐसी रचनाधर्मिता की बानगी प्रस्तुत करती है जिसमें दार्शनिक भाव के कई आध्यात्मिक स्वरूप उजागर होते हैं। इसमें कुल 81 रचनाएं सृष्टि में व्याप्त पञ्च महाभूत पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु के लौकिक भाव का दर्शन कराती हैं।
** प्रादेशिक भाषा के “तत् पुरुष” में ‘ दुख’, ‘मरबो’, ‘आम आदमी’, ‘गिरबो’, ‘उड़ान’, ‘कवि’ जैसी कविताओं में राजनीतिक व्यंग्य, सामाजिक कटाक्ष, गहरी प्रेरणा, आत्मनिरीक्षण और रोमांटिक स्वर से कवि की गहरी अंतर्दृष्टि झलकती है। , ‘तलाक’, ‘प्रेम को रंग’ ‘गुरुजी’ वगैरह। कविताएँ विद्वतापूर्ण पठन और शोध का भी काम करती हैं।
** नवोदित कवि की कविताएं साफ – सपाट और उच्च कोटि की साहित्यिक रचनाएं हैं जो संवेदना के स्तर पर और शिल्प की दृष्टि से एक नए कैनवास की रचना करती हैं। ‘कठपुतली’,’रंगों में उलझन है’,’मैंने जीवन देखा है’,’ असली बुढ़ापा’,’ हँसता
अंधियारा’,’मजदूर’,’भाँती-भाँती का जीवन देखा’,’ एक दुनिया ऐसी भी’,’मैं,टिंकू और लोकतंत्र’,’सारा किस्सा रोटी का’,’ख़्वाब में रोटी’, ‘मैं एक रास्ता हूँ’,’मुखौटे’,’डर’,’क्रोध’ आदि ऐसी ही रचनाएँ हैं जिनमें सामाजिक यथार्थ को शिद्दत से उकेरा गया है। साहित्यकार और कथाकार विजय जोशी कहते हैं कि कवि ने अपने अनुभवों को शब्दायित करते हुए सामाजिक सरोकारों से सन्दर्भित रचनाओं को उकेरा है जो समाज और उसके परिवेश की गहन पड़ताल करती है। ये अब तक लगभग 200 कविताओं का सृजन कर चुके हैं।
** कृतियां : शांत और स्वांतसुखाय काव्य रचने वाले इस कवि की कुल छह कृतियां प्रकाशित हुई हैं। प्रथम कृति हिंदी काव्य संग्रह के रूप में * बहुत हुआ अवकाश मेरे मन* 2020 में प्रकाशित हुई और एक साल बाद दूसरी कृतिb* बरगद में भूत * 2021 में सामने आई। सिलसिला चलता रहा और बीते वर्ष 2022 में पोथी काव्य संग्रै (राजस्थानी): तत् पुरुस एवं * पंचभूत * से पाठक रूबरू हुए। इसी साल राजस्थानी उपन्यास * अबखाया का रींगटां * भी प्रकाशित हुआ। कवि की हाल ही में नई कृति प्रणय की प्रेयसी राजस्थान साहित्य अकादमी के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित हुई है जो दीर्घ काव्य संग्रह के रूप में पाठकों के सामने है।
** आपकी हालिया आई नवीन कृति की एक बानगी देखिए……प्रणय की प्रेयसी से…….
चीजें पास होना उतनी ज़रूरी नहीं
जितना ज़रूरी है उनके पास होने का अहसास
मैंने पूरे में से कुछ पाया
और शायद वो कुछ ही उस चीज़ का पूरा होना था
क्योंकि उस कुछ के बिना
वें चीजें सिर्फ़ आकाश थी
निरा ख़ाली आकाश
जिसका नीलापन उसका ख़ुद का नहीं था
और ना ही उसका कालापन
और ना ही उनके होने का अहसास
मुझे आकाश नहीं पकड़ना था
बड़ी चीज़ नहीं पानी थी
बड़ा अहसास पाना था
तो मैंने सूरज छोड़कर दीयों से हाथ मिलाया
क्योंकि दीयों को बुझने के डर का अहसास था
बहुत कुछ में जो कुछ है
वो उनके पास था।
** एक और कल्पनाशीलता की बानगी इनकी प्रथम कृति से ……………
क्षणिक गौरव लालसा में,तमस से अनुराग कर,
विक्षिप्त होती अस्मिता हैं मनुजता से भाग कर,
द्वंद्व हो मन में निरंतर सत्य के परिहास पर,
कौन फुल्लित हो सका है सरल हृदय दाग़ कर।
समर वृत्तियों का मनुज की,जय को लालहित खड़ा,
किस तरह होगा ये तर्पण? देखना अभी शेष है।
किसका कितना है समर्पण ? देखना अभी शेष है।
** सम्मान : आपको राजस्थानी युवा महोत्सव 2021 में राजस्थानी नवगीतों पर शोध पत्र वाचन के लिये जवाहर कला केंद्र मे उत्कृष्टता का सम्मान से नवाजा गया। समरथ संस्थान साहित्य सृजन भारत द्वारा समरस श्री काव्य शिरोमणि सम्मान-2022,राजकीय पुस्तकालय कोटा राजस्थान द्वारा हिन्दी सम्मान पदक 2022 एवं कर्मयोगी सेवा संस्थान, कोटा द्वारा शान-ए-राजस्थान सम्मान -2022 से आपको सम्मानित किया गया।
** परिचय : आपका जन्म 3 मार्च 1992 को
रमेश चंद्र डोडिया के परिवार में कोटा में हुआ। आपने कला संकाय में स्नात्क शिक्षा ग्रहण की। विगत 10 वर्षों से आप राज्य सेवा में महात्मा गाँधी राजकीय विद्यालय अंग्रेजी माध्यम, मल्टीपरपज, गुमानपुरा, कोटा अंग्रेजी भाषा अध्यापक के रूप में सेवाएं प्रदान कर काव्य सृजन में लगे हैं।

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