संपादकीय

क्या ग्रीन हाइड्रोजन बनेगी गेम चेंजर?

गोवा में चल रहा इंडिया एनर्जी वीक 2024 भारत के ऊर्जा भविष्य की रोमांचक तस्वीर दिखा रहा है। क्लीन एनेर्जी, महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्य और एनेर्जी सेक्युर्टी पर जोर के साथ, इस कार्यक्रम में कई प्रमुख घटनाक्रम सामने आए हैं, खासकर हाइड्रोजन का बढ़ता महत्व। लेकिन यहाँ बड़ा सवाल ये उठता है कि ये घटनाक्रम भारतीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए कितने प्रासंगिक हैं, और क्या हाइड्रोजन वाकई गेम चेंजर बन सकता है, जैसा कि कुछ का मानना है? इन सवालों के जवाब के लिए कुछ बातों को समझना और उन पर गौर करना ज़रूरी है।

एनेर्जी वीक की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के ऊर्जा क्षेत्र में अधिक निवेश का आह्वान किया। उनका यह आह्वान देश में बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने और दाम की किफायत सुनिश्चित करने की आवश्यकता से निपटने के इरादे को दर्शाता है। यहाँ एनेर्जी सेक्युर्टी के संदर्भ में “पंचामृत” रणनीति का ज़िक्र ज़रूरी है। यह रणनीति विविधीकरण पर जोर देती है और इसमें रिन्यूबल एनेर्जी, बायो फ्यूल और हाइड्रोजन जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य शामिल हैं. यह बहुआयामी रुख फोस्सिल फ्यूल पर निर्भरता कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने का लक्ष्य रखता है।

साल 2025 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य की घोषणा एक महत्वपूर्ण बदलाव है। यह बायो फ्यूल विकल्प न केवल पारंपरिक पेट्रोल की तुलना में ग्रीनहाउस गैस एमिशन को कम करता है, बल्कि आयात निर्भरता कम करके एनेर्जी सेक्युर्टी को भी बढ़ाता है. इस नीतिगत बदलाव से किसानों के लिए नए अवसर पैदा होने और ग्रामीण विकास में योगदान मिलने की उम्मीद है।

एनेर्जी वीक में स्टार्टअप्स पर जोर दिया जाना भारत द्वारा युवा प्रतिभा की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देता है. स्टार्टअप्स को एनेर्जी वैल्यू चेन में एकीकृत करना अत्याधुनिक स्वच्छ ऊर्जा समाधानों के विकास को जन्म दे सकता है, जिससे भारत का सतत भविष्य में परिवर्तन तेज हो सकता है।

रिन्यूबल ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके उत्पादित ग्रीन हाइड्रोजन पर कार्यक्रम का जोर इस बात को उजागर करता है कि यह गेम चेंजर बनने की क्षमता रखता है. ऐसा इसलिए क्योंकि हाइड्रोजन परिवहन, बिजली उत्पादन और औद्योगिक अनुप्रयोगों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले स्वच्छ और बहुमुखी ईंधन स्रोत प्रदान करता है। यह दहन के दौरान कोई ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित नहीं करता है, जिससे यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण हथियार बन जाता है।

ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात में वैश्विक नेता बनने का सरकार का मिशन इस तकनीक के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। कार्यक्रम में कई सहयोगों और समझौता ज्ञापनों की घोषणा के साथ, भारत एक फलते-फूलते हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र की आधारशिला रख रहा है. इससे महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित हो सकता है, नए रोजगार सृजित हो सकते हैं और भारत को वैश्विक ऊर्जा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया जा सकता है।

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाइड्रोजन जैसे स्वच्छ स्रोतों के साथ-साथ गैस-आधारित अर्थव्यवस्था पर भारत के ध्यान को दोहराया, जो एक रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। गैस बिजली ग्रिड में स्थिरता और लचीलापन प्रदान करते हुए कोयले का एक अपेक्षाकृत स्वच्छ विकल्प प्रदान करता है। यह संतुलित दृष्टिकोण रिन्यूबल एनेर्जी के लिए दीर्घकालिक ट्रांज़िशन का मार्ग प्रशस्त करते हुए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

मेर्केडोस एनेर्जी मार्केट्स के मेनेजिंग डाइरेक्टर, भूषण रस्तोगी कहते हैं, “एनेर्जी वीक के घटनाक्रम को देखते हुए जो सबसे खास बात लग रही है वो है हमारे देश के नीति निर्माण के केंद्र में अगर एनेर्जी सेक्युर्टी है तो साथ ही जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चिंताओं से निपटने के लिए रिन्यूबल एनेर्जी की प्राथमिकता भी है। बीते कुछ सालों में भारत के एनेर्जी क्षेत्र में सोलर और विंड एनेर्जी के उपयोग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो समग्र बिजली उत्पादन क्षमता में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। यह बदलाव टेक्नोलोजी में प्रगति, लगातार मिलने वाला नीतिगत समर्थन और निजी क्षेत्र के निवेश में तेज़ी से प्रेरित है, जिसके चलते आज बिजली उत्पादकों के लिए सोलर प्लांट कोयला बिजली से बेहतर विकल्प बनता दिख रहा है।”

विषय पर और बारीकी से बोलते हुए, मेर्केडोस एनेर्जी मार्केट्स के असोशिएट डाइरेक्टर सौरभ श्रीवास्तव कहते हैं, “रिन्यूबल एनेर्जी, बढ़े हुए विद्युतीकरण और कार्बन उत्सर्जन में कमी पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत का लक्ष्य खुद को स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है। इस क्रम में एनेर्जी वीक में चर्चा टिकाऊ और समावेशी एनेर्जी ट्रांज़िशन के लिए भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के इर्द-गिर्द ही घूमती दिखती है और यह एक सकारात्मक घटनाक्रम है। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों और टिकाऊ ऊर्जा समाधानों की वैश्विक मांग के सामने, इस साल का एनेर्जी वीक उद्योग जगत के नेताओं के लिए देश के ऊर्जा भविष्य पर एकजुट होने और विचार-विमर्श करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है।”

इंडिया एनर्जी वीक में हुए घटनाक्रम आशाजनक हैं, लेकिन कुछ चुनौतियां भी बनी हुई हैं। मजबूत हाइड्रोजन बुनियादी ढांचे का विकास, उत्पादन लागत को कम करना और पर्याप्त भंडारण और परिवहन क्षमताओं को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण बाधाएं हैं। फिर भी, यह कार्यक्रम हाइड्रोजन की क्षमता का उपयोग करने और भारत के लिए स्वच्छ, अधिक टिकाऊ भविष्य बनाने की भारत की दृढ़ता को दर्शाता है।भारत का नीति परिवेश बेहद सकारात्मक है और इसी से उम्मीद जगती है कि चुनौतियों से निपटा जा सकता है।

इंडिया एनर्जी वीक 2024 भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक गतिशील और विकसित परिदृश्य प्रस्तुत करता है। रिन्यूबल एनेर्जी पर ज़ोर, हाइड्रोजन जैसे स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों को नीतिगत प्राथमिकता और रणनीतिक विविधीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत ऊर्जा क्षेत्र में एक परिवर्तन के लिए तैयार है। चुनौतियों के बावजूद, इस कार्यक्रम के घटनाक्रम एक भविष्य के लिए आशाजनक तस्वीर दिखाते हैं। इसमें दो राय नहीं कि हाइड्रोजन इस ऊर्जा सुरक्षा यात्रा में वास्तव में गेम चेंजर साबित हो सकता है। हालांकि, केवल समय ही बताएगा कि क्या भारत अपनी पूरी क्षमता का सफलतापूर्वक दोहन कर सकता है और इस क्रांतिकारी तकनीक में वैश्विक नेता के रूप में उभर सकता है।

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