डायग्नोस्टिक्स में अगले पांच वर्ष – देश में सबसे ज्यादा रोजगार
अर्थव्यवस्था के नजरिये से देखें तो भारत में हेल्थकेयर इंडस्ट्री का बड़ी तेजी से विस्तार हो रहा है और इसमें कैरियर बनाने के इच्छुक किसी व्यक्ति के लिए इसमें एक से अधिक विकल्प मौजूद हैं। यह इंडस्ट्री मूल रूप से हॉस्पिटल, डायग्नोस्टिक, मेडिकल डिवाइस और मेडिकल टूरिज्म तक फैली हुई है। हालांकि भारतीय हेल्थकेयर में बड़ी तेजी से तरक्की हो रही है, लेकिन अभी भी इसके विकास और विस्तार की संभावना बनी हुई है।
अपने कैरियर की दहलीज पर खड़े छात्रों को इस बात से सतर्क रहना होगा कि 2020 के अंत तक यह क्षेत्र कितना बड़ा और विविधतापूर्ण हो सकता है।बेहतर पब्लिक-प्राइवेट भागीदारी के जरिये इस क्षेत्र के साथ लगातार कई नई कंपनियां जुड़ रही हैं और इसे देखते हुए अनुमान लगाया जाता है कि अगले पांच साल के दौरान इस क्षेत्र की सालाना वृद्धि दर 25 प्रतिशत रहेगी।
हेल्थकेयर कई विभागों में संचालित होता है जिनमें डायग्नोस्टिक का क्षेत्र अभी उफान पर है।लेबोरेटरी जांच पद्धति के जरिये मानव रोगों की पहचान करने का एक तरीका पैथोलॉजी भी है जिसमें डायग्नोशियन, शिक्षक या इनवेस्टिगेटर बनकर कैरियर संवारने की अपार संभावना है।क्लिनिकल लेबोरेटरी प्रैक्टिस में कंसल्टेंट फिजिशियन के तौर पर आप पैथोलॉजिस्ट बन सकते हैं और किसी मरीज की बेहतर डायग्नोसिस और इलाज के लिए उसकी लेबोरेटरी रिपोर्ट का बारीकी से विश्लेषण कर सकते हैं। डायग्नोसिस का ही एक और क्षेत्र है रेडियोलॉजी, जिसमें मेडिकल इमेजिंग तकनीकों के जरिये रोगों की पहचान और इलाज किया जाता है।भारत में रेडियोलॉजिस्ट की लगातार बढ़ती मांग को देखते हुए यह एक बेहतर कैरियर विकल्प सुनिश्चित करता है और यह पेशा अन्य किसी क्षेत्र के मुकाबले तेजी से बढ़ता जा रहा है।किसी रेडियोलॉजी तकनीशियन के पास अल्ट्रासाउंड तकनीशियन, एक्स-रे तकनीशियन, सीटी तकनीशियन और मेडिकल प्रोफेशन के तौर पर काम करने का विकल्प रहता है।अस्पतालों, क्लिनिकों और फिजिशियन के केंद्रों में टेक्नोलॉजिस्टों की तत्काल और स्थायी मांग को देखते हुए रेडियोपैथी का क्षेत्र भविष्य में औसत रोजगार वृद्धि के मुकाबले अधिक तेजी से बढ़ता रहेगा।
रेडियोलॉजी में कैरियर शुरू करने की योजना बना रहे छात्रों के लिए रोजगार के अवसर अधिक रहने की उम्मीद की जा सकती है, खासकर जनरल मेडिकल और सर्जिकल अस्पतालों में काम करने के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिए इसमें अपार संभावनाएं हैं। रेडिएशन तकनीशियन अर्जेंट केयर केंद्रों, क्लिनिकों, इक्विपमेंट के बिक्री केंद्रों और प्राइवेट केंद्रों पर भी काम कर सकते हैं। रेडियोलॉजी टेक्नोलॉजी अध्ययन के लिए एक दिलचस्प विषय है जो घर पर भी काम करने का सर्टिफिकेट देने के अलावा चुनौतीपूर्ण, महत्वपूर्ण और संतोषजनक हेल्थकेयर इंडस्ट्री में कैरियर बनाने के लिए भी तैयार करती है। एक सुकूनदायी रोजगार अवसर होने के कारण इस इंडस्ट्री में सर्वश्रेष्ठ रोजगार देने वाले क्षेत्रों की सूची में रेडियोलॉजिस्ट का 15वां स्थान है और इसे सबसे आकर्षक रोजगार विकल्पों में रखा गया है। आईबीईएफ के अनुसार, हेल्थकेयर का संपूर्ण बाजार 100 अरब डॉलर का है और 2020 तक इसके 280 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। हेल्थकेयर आईटी मार्केट के 2020 तक दोगुनी वृद्धि की उम्मीद की जा रही है, इसे देखते हुए भारतीय मेडिकल टूरिज्म 10 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। ये आंकड़े इस बात की तस्दीक देते हैं कि आने वाले वर्षों में हेल्थकेयर प्रबंधन के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में जबर्दस्त तेजी आएगी। इस सेक्टर में कई बड़े निवेश किए जा रहे हैं और इंडस्ट्री की कार्यशैली अधिक प्रोफेशनल, संगठित तथा प्रभावशाली होती जा रही है।इसमें प्रशिक्षित डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की सख्त जरूरत के अलावा इस क्षेत्र के विभिन्न केंद्रों में प्रभावी प्रबंधन की भी जरूरत पड़ती है। जहां तक रोजगार अवसरों का सवाल है, डायग्नोस्टिक मैनेजमेंट के प्रोफेशनल्स की न सिर्फ अस्पतालों और क्लिनिकों में जरूरत पड़ती है, बल्कि हेल्थकेयर एनजीओ, हॉस्पिटल कंसल्टेंसी कंपनियों और सॉफ्टवेयर और इमेजिंग उपकरणों से जुड़े आईटी उद्योग में भी जरूरत पड़ती है। डेल, एक्सेंचर, डेलोइट जैसी आईटी कंपनियां इस तरह के प्रोफेशनल्स को नियुक्त करती हैं। जिन फ्रेशर्स को अनुभव नहीं है, उन्हें भी इस उद्योग में तकनीशियन के तौर पर नियुक्ति मिल जाती है और यहां उन्हें मिले प्रशिक्षण और अनुभव के आधार पर कुछ ही वर्षों में वे अच्छे-खासे वेतन पाने लग जाते हैं। भविष्य में विशेषज्ञों की जरूरत के मुताबिक यहां प्रतिभा का अभाव एक बड़ी दिक्कत है। यह उद्योग तेजी गति से बढ़ रहा है, इसके बावजूद यहां प्रतिभाओं की बहुत कमी है।क्वालिटी को ध्यान में रखते हुए आज लंबे समय तक प्रतिभाओं को निखारने के लिए कई सारी संभावनाएं मौजूद हैं। यह इंडस्ट्री ऐसे लोगों की तलाश कर रही है जिनका नैतिक स्तर ऊंचा है और जो सीखते हुए नेतृत्व करने की इच्छा रखते हैं। इससे हेल्थकेयर दुनिया में तरक्की के रास्ते खुलेंगे और युवाओं को आकर्षक रोजगार के अवसर मिलेंगे। विज्ञान और टेक्नोलॉजी की तरक्की के साथ ही मेडिकल ऐप्स भी तेजी से बढ़ रहे हैं और इसमें आईटी की अपार संभावनाओं का भी अंदाजा लगाया जा सकता है। पिछले एक दशक में तकनीशियन की भूमिका में व्यापक बदलाव आया है।ज्यादातर आधुनिक अस्पतालों और हेल्थकेयर प्रतिष्ठानों में अनुभवी तकनीशियनों और रेडियो-इंटरवेंशनिस्ट की जरूरत होती है जो कई तरह की दक्षताओं से लैस हों। हेल्थकेयर इंडस्ट्री को ऐसे प्रोफेशनल्स के कुशल श्रमबल की आवश्यकता है जो शोध, मार्केट शेपिंग और विकास कार्यों से जुड़े हैं और सबसे महत्वपूर्ण कि वे ग्राहक केंद्रित भूमिकाओं में फिट बैठते हों। भारत अपने अत्यंत कुशल विशेषज्ञ श्रमबल के दम पर हेल्थकेयर इंडस्ट्री को आकर्षिक करने वाला एक बड़ी संभावनाओं वाला देश बन चुका है।
डॉ.रुचि गुप्ता