शिक्षा

संसाधनों का उचित प्रबंधन ही दिलाती है सफलता

छात्रों और किसी भी परीक्षा के अभ्यार्थियों के लिए भी समय अमूल्य हैं। समय प्रबंधन का मुख्य अभिप्राय व्यक्ति के स्वयं के प्रबंधन से है और यदि व्यक्ति समय का प्रबंधन ठीक प्रकार से कर ले, तो उसके मार्ग की बड़ी से बड़ी चुनौतियां स्वयं ही समाप्त हो जाती है। प्रकृति ने हर किसी को एक दिन में 24 घंटे, एक सप्ताह में सात दिन और एक वर्ष में 52 सप्ताह दिया है। किसी को न कम मिला है और न किसी को ज्यादा। कहा जाता है कि समय धन है, लेकिन यह तभी धन साबित होता है जब हम उसे इन्वेस्ट करें। मेरा मानना है कि सक्सेस के लिए समय के 70 प्रतिशत हिस्से को इन्वेस्टं, 25 प्रतिशत भाग को स्पेन्ड (खर्च) और 5 प्रतिशत हिस्से को ही वेस्ट (बरबाद) करना चाहिए। लेकिन प्रायरू लोग इसके उल्टा ही करते हैं। लोग ज्यादा समय को वेस्ट कर डालते हैं, थोड़ा-बहुत स्पेन्ड करतें हैं और यदि कुछ बच गया तो उसे इन्वेस्ट करते हैं। लेकिन जो व्यक्ति समय की महत्ता और इन्वेस्टमेंट की आवश्यकता को समझ पाता है वही अपने जीवन के हर क्षेत्र में आगे होता है। आईएएस एकेडमी के डायरेक्टर सक्सेस गुरु ए.के. मिश्रा समय का सदुपयोग करके सीमित प्रतिभा वाले लोग भी अपने संसाधनों का उचित प्रबंधन कर बड़ी से बड़ी सफलताएं प्राप्त करने में सक्षम होते हैं। इसके विपरीत कुछ प्रतिभा समम्पन्न व्यक्ति समय का सदुपयोग नहीं करने के कारण असफल साबित होते हैं। प्राय: समय की तुलना धन से की जाती है। धन का इस्तेमाल तीन तरीके से किया जा सकता है-पहला, उसे निवेश किया जाए, दूसरा उसको खर्च किया जाए और तीसरा, उसे बर्बाद किया जाए। हम अपने जीवन में धन खर्च करके अपने लिए सुविधाएं एकत्रित करते हैं और उनके इस्तेमाल से हमें खुशी मिलती है। लेकिन कोई भी व्यक्ति अपने धन का बेहतर इस्तेमाल तभी कर पाता है जब उसे वह इंवेस्ट करे, क्यों कि तभी वह भविष्य में उसे बेहतर तरीके से खर्च करने की स्थिति में होता है।
इसके विपरीत यदि कोई धन को बर्बाद करता है तो भविष्य में खर्च करने के लिए उसके पास धन का अभाव हो जाता है। समय के साथ भी न धन जैसी शर्ते लागू होती हैं। इस लिए यदि भविष्य में समृद्धि, प्रसिद्धि और कामयाबी हासिल करनी है, तो धन की भांति समय को इंवेस्ट करना आवश्यक है। लेकिन इंवेस्ट करते समय सावधानी बरतनी जरूरी है। ऐसा इस लिए कि कहीं इंवेस्टमेंट गलत दिशा में और गलत क्षेत्र में न हो जाए। जब इंवेस्टमेंट गलत दिशा में होगा, तो अपेक्षा के मुताबिक रिटर्न नहीं मिलेगा। अतरू समय का उचित इंवेस्टमेंट करें ताकि भविष्य में उसका रिटर्न सुखद हो। समय प्रबंधन एक कला है, जिसको समझने से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि व्यक्ति अपने अमूल्य समय की बर्बादी किस प्रकार करता है। समय बर्बादी के प्रमुख कारक इस प्रकार से हैं-कार्यों की सही सूची व प्राथमिकता का निर्धारित न होना, एक ही समय में बहुत से कार्यो को निपटाने की कोशिश करना, अनियंत्रित टेलीफोन कॉल में व्यस्त रहना, डायरी का प्रयोग न करना, मित्रों से बगैर किसी पूर्व निश्चित प्रोग्राम के मुलाकात करना, कार्यों को टालने की प्रवृत्ति होना और ‘न कहने’ की आदत का विकास न होना।
जीवन एक यात्रा है और समय गतिमान है, इस लिए हम क्या करें और क्या न करें की स्पष्ट पहचान होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त स्वयं की क्षमता की पहचान के साथ-साथ ऊर्जा चक्र का ज्ञान आवश्यक है। अपन अपने समय के मालिक बन सकते हैं। यदि आप कुछ आवश्यक सिद्धांतों पर निरंतर कार्य करें। अपने लक्ष्य को अपने सामने रखें, प्राथमिकता का निर्धारण करें, अतरू वैयक्तिक और सामूहिक सफलता का एक मात्र रहस्य समय की पूजा, अर्थात एक-एक पल का सदुपयोग है। यदि हम एक-एक पल को साधन का दीप बना सकें, तो हमारा जीवन मंगलमय हो सकता है और हम किसी भी लक्ष्य को सरलता के साथ भेद सकते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है।

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