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अपने पिता और गुरूजी से मिली थी बाबासाहब को पहचान

डाॅ. अम्बेडकर अपने समय के महानतम नेताओं में से एक थे। उनकी उपलब्धियाँ बेजोड़ थीं और समाज को उन्होंने बहुत कुछ दिया। हालांकि, उनका सफर आसान नहीं था और उसमें कई चुनौतियाँ थीं। लेकिन दो लोग थे, जिनके सहयोग और प्रोत्साहन ने बाबासाहब के जीवन और भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे थे उनके पिता रामजी सकपाल और गुरूजी कृष्णा केशव अम्बेडकर। शिक्षक दिवस का उत्सव इन दो उत्कृष्ट शिक्षकों का विशेष उल्लेख किये बिना पूरा नहीं हो सकता। बाबासाहब के पिता रामजी सकपाल हमेशा एक शक्ति स्तंभ बनकर उनके साथ खड़े रहे। वे एक मार्गदर्शक, दार्शनिक और महान संरक्षक का आदर्श उदाहरण थे। जबकि उनके गुरूजी कृष्णा केशव आम्बेडकर ने बाबासाहब को अपना उपनाम दिया, जब वे स्कूल में भेदभाव का सामना कर रहे थे। एण्डटीवी के एक महानायक डाॅ. बी. आर. आम्बेडकर में दर्शक भीमराव को अपने गुरूजी की मदद से एक नये स्कूल में एडमिशन लेते देखेंगे। भीमराव बहुत खुश हैं और अपने गुरूजी के प्रति आदर व्यक्त करने के लिये मिट्टी पर छपे अपने गुरूजी के पदचिन्हों को छूते हैं और कहते हैं, ‘‘आप से मिली मुझे पहचान, मन में मेरे भगवान से बढ़कर है आपका स्थान।’’
एण्ड टीवी के एक महानायक डाॅ. बी. आर. अम्बेडकर में रामजी सकपाल की भूमिका निभा रहे जगन्नाथ निवानगुणे ने कहा, ‘‘अच्छा शिक्षक प्रेरणा और प्रोत्साहन देता है और अपने शिष्य को जीवन के विभिन्न अध्यायों का सामना करने और उनसे सीखने के लिये तैयार करता है। बाबासाहब का सौभाग्य था कि उन्हें ऐसे एक नहीं, बल्कि दो गुरू मिले- उनके स्कूल टीचर कृष्णा केशव आम्बेडकर और उनके पिताजी रामजी सकपाल। उनके शिक्षक ने बाबासाहब को कॅरियर का मार्ग दिखाया और पिता चुनौतीपूर्ण समय में उनके साथ खड़े रहे और उन्हें साहस और बुद्धि से चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा दी। उनके मार्गदर्शन से डाॅ. बी. आर. आम्बेडकर ने अपनी पहचान बनाने और भारत के संविधान के रचयिता बनने की ऐतिहासिक यात्रा शुरू की। एक प्रेरणादायक लीडर के पीछे खड़े इन प्रेरक गुरूओं को हमें धन्यवाद देना चाहिये, जिन्होंने उन्हें जीवन के विभिन्न सबक सिखाये और हमारे समय के एक प्रेरक नेता के रूप में ढाला।’’

‘एक महानायक डाॅ. बी. आर. अम्बेडकर’ के नये एपिसोड देखिये रात 8ः30 बजे केवल एण्डटीवी पर।

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