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यह कुदरत का नियम है कि हम जितना टूटेंगे उतना बनते चले जाएंगे : रघुबीर यादव

-शबनम
रघुबीर यादव एक मंझे हुए कलाकार होने के साथ-साथ एक अच्छा गायक भी हैं। उनकी कई फिल्में हिट रही हैं, वो बॉलीवुड के पहले ऐसे कलाकार हैं जिनकी आठ फिल्में ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हो चुकी हैं। एक बार फिर से रघुबीर एक अलग तरह की फिल्म में नज़र आने वाले हैं जिसका नाम है ‘जग्गू की लालटेन’। फिल्म 14 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली है। फिल्म के निर्देशक हैं विपिन कपूर। हाल ही में प्रमोशन के लिए फिल्म की कास्ट के साथ दिल्ली पहंुचे रघुबीर यादव आज भी बहुत साधारण और सरल स्वभाव के दिखते हैं।
रघुबीर कहते हैं कि – मैं हमेशा से ही अलग-अलग तरह का काम करना पसंद करता हूं। इसलिए हमेशा से ही मेरी यही कोशिश रहती है कि एक बार जो काम कर लिया है वैसा किरदार दोबारा न करूं ताकि मुझे मेहनत करने का मौका मिल सके। मेहनत करने से मैं कभी भी पीछे नहीं हटता। जब मुझे एक जैसा ही काम मिलता है जो मैं पहले कर चुका हूं तो मैं मना भी कर देता हूं कि मैं ये काम कर चुका हूं कुछ दूसरा काम लाइए।’ वो कहते हैं कि जिंदगी में हर चीज़ का टूटना बहुत जरूरी है, जब तक कुछ भी टूटेगा नहीं तब तक कुछ नया बनता नहीं है। कोई भी हो जब तक अंदर से नहीं टूटता तब तक वो संभलना नहीं सीखता है इसलिए मैं तो टूटने को ही संभलना समझता हूं क्योंकि टूटने से आपको काफी सीख मिल जाती है… तो बनेगा वही जो टूटेगा।’ यह कुदरत का नियम है- हम जितना टूटेंगे उतना बनते चले जाएंगे। हर फिल्म से मैं सीखता हूं यह नहीं है कि आज से 40 साल पहले मैंने जो फिल्म की थी और आज जो मैं फिल्म ‘जग्गू की लालटेन’ कर रहा हूं तो मेरे लिए वो 40 साल पहले की फिल्म की कोई अहमियत नहीं रही …..ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। क्योंकि हर नए काम के साथ मैं पूरी शिद्दत, पूरी ईमानदारी और साफ नीयत के साथ जुड़ जाता हूं तो मुझे ऐसा लगता है जैसा मैंने 40 साल पहले किया था, मुझे उतनी ही मेहनत करनी पड़ती है। मैं तो चाहता हूं कि हर 10-15 दिन में मुझे कष्ट होता रहे तभी जिंदगी बनती है, सीधे-सीधे जिंदगी में आप कुछ भी सीख नहीं पाते।

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