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मोटिवेशनल सबजेक्ट पर बनी है फिल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं’

फिल्म का नाम : अब दिल्ली दूर नहीं
फिल्म के कलाकार : महेश भट्ट, इमरान जाहिद, श्रुति सोढी, सत्यकाम आनंद, राजीव मिश्रा और अन्य
फिल्म के निर्देशक : कमल चंद्रा
रेटिंग : 3/5

हर साल लाखों बच्चे यूपीएसएसी का एग्जाम देते हैं ताकि वो एक आईएएस और आईपीएस बन सकें, लेकिन कुछ लोग इसमें कामयाबी हासिल करते हैं तो कुछ का सपना अधूरा रह जाता है। छोटे शहरों से आने वाले बड़े शहर में आकर अपने सपने को पूरा करने के जद्दोजहद में लगे रहते हैं। फिल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ में एक छात्र के आईएएस ऑफिसर बनने कहानी को दिखाया गया है। फिल्म रिलीज़ हो चुकी है।

फिल्म की कहानी :

साल 2006 बैच के आईएएस ऑफिसर गोविंद जयसवाल की जिंदगी से प्रेरित फिल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ में उन्हीं की जिंदगी की एक झलक को दिखाने की कोशिश की गई है। गोविंद के पिता रिक्शा चालक थे, आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद उन्होंने एक बड़ा सपना अपनी आखों में देखा और 22 साल की उम्र में यूपीएसी का एग्जाम क्वालीफाई किया और आईएएस ऑफिसर बने। कुछ ऐसी ही कहानी इस फिल्म की भी है, फिल्म में अभय शुक्ला (इमरान जाहिद) बचपन में झेली हुई जिल्लत की वजह से आईएएस बनने का सपना देखता है। पापा किसान हैं और लोगों के घरों में बर्तन मांजती है। अभय अपने जिले का टॉपर बनता है। एक छोटे से गांव निकलकर शहर में यूपीएससी की तैयारी करने आता है, उसका प्रीलिम्स निकला हुआ और मेंस की तैयारी कर रहा है। इस तैयारी के बीच उसे मकान मालिक की लड़की नियति (श्रुति सोढी) से दिल लगा बैठता है। निधि मेडिकल की पढ़ाई कर रही है और उसे लंदन जाना है।
नियति और अभय एक दूसरे से बेहद प्यार करने लगते हैं इसके बाद अभय की जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव आता है। आरक्षण जैसे मुद्दे को भी उठाया गया है। प्यार में धोखा मिलता है। अभय यूपीएससी की पढ़ाई छोड़ कोचिंग सेंटर में पढ़ाने का भी विचार करता है, लेकिन अपनी लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति से वह आखिरी अटेंप्ट में यूपीएएसी को क्वालीफाई कर लेता है और आईएएस बनता है। फिल्म के आखिरी में एक ट्विस्ट भी है। वो ट्विस्ट क्या है वो जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

कलाकारों की अदाकारी :

फिल्म में इमरान जाहिद और श्रुति सोढी ने केमेस्ट्री काफी अच्छी है। फिल्म में महेश भट्ट का कैमियो वो मोटिवेशनल स्पीकर के किरदार में दिखते हैं। बाकी सभी कलाकरों ने अपने-अपने किरदारों को बखूबी निभाया है।
फिल्म का निर्देशन किया है कमल चंद्रा ने और कहानी लिखी है दिनेश गौतम ने। फिल्म बहुत बड़ी नहीं है सबजेक्ट को ज्यादा खींचा नहीं गया है। फिल्म की कहानी अपनी रफ्तार से चलती है।

फिल्म क्यों देखें ?

फिल्म की कहानी मोटिवेशनल है, आपको बोर नहीं करती।

-शबनम

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