हलचल

नंदी गोशाला पर खर्च होंगें 111 करोड़- स्वायत्त शासन मंत्री धारीवाल

-डॉ. प्रभात कुमार सिंघल,कोटा
स्वायत्त शासन मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने गुरूवार को विधानसभा में वित्तमंत्री की ओर से बताया कि प्रत्येक ब्लॉक पर नंदी गौशाला स्थापित करने पर 111 करोड़ खर्च किये जायेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 180 दिवस के लिए गो-वंश के भरण पोषण के लिए भी गोशाआलों में वित्तीय सहायता राशि उपलब्ध कराई जाती है।
उन्होंने प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस सम्बन्ध में पूछे गये पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा कि यह सही है कि बायोगैस सहभागिता योजना में केवल 20 लाख रुपये ही श्री गंगानगर में खर्च किये गये है, क्योंकि योजना के तहत दूसरा कोई प्रस्ताव ही प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि योजना की निर्धारित शर्तों के अनुसार आधी राशि स्वयं एवं आधी राशि राज्य सरकार वहन करती है। उन्होंने बताया कि योजना के तहत गोशालाओं में एक वित्तीय वर्ष में गौवंश के भरण-पोषण के लिए अधिकतम 180 दिन के लिए पैसा दिया जाता है जो दो चरणों में माह अप्रेल एवं सितम्बर में दिया जाता है। उन्होंने बताया कि इस सहायता राशि में बड़े पशु के लिए प्रति पशु 40 रूपये एवं छोटे पशु के लिए प्रति पशु 20 रुपये दिये जाते है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि गोपालन विभाग से प्राप्त प्रस्ताव के आधार पर राशि उपलब्ध कराई जाती है और अब तक गोपालन विभाग से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर 5 करोड़ रुपये खर्च किये गये है, क्योकि दूसरे कोई प्रस्ताव प्राप्त ही नहीं हुए है। उन्होंने यह भी बताया कि पंजीकृत गौशालाओं में घरेलू विद्युत कनेक्शन भी उपलब्ध कराया जाता है, जिसमें आधी राशि राज्य सरकार वहन करती है।
उन्होंने बताया कि सेस के रूप में प्राप्त राशि गौशालाओं के आधारभूत संरचना एवं गोवंश के भरण-पोषण, बायोगैस संयत्र लगाने एवं गोवंश के संरक्षण व संर्वधन के साथ गौशालाओं को स्वावलम्बी बनाने पर खर्च की जाती है। उन्होंने यह भी अवगत कराया कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा वर्ष 2018 में मदीरा पर 20 प्रतिशत लगाई गई सेस राशि आज गौशालाओं में पशुओं के चारा पर खर्च की जा रही है।
इससे पहले उन्होंने विधायक संयम लोढा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में गौसेस से प्राप्त कुल राशि में से विभिन्न मदों में किये गये व्यय का मदवार एवं वर्षवार विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने गौशाला विकास और बायोगैस सहभागिता योजना में विगत तीन वर्षों में व्यय की गई राशि का वर्षवार एवं जिलेवार विवरण भी सदन के पटल पर रखा।

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