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देशभर के 14 दूरदर्शी एवं समर्पित नवप्रवर्तकों को 14वें एनसीपीईडीपी-एम्फैसिस यूनिवर्सल डिज़ाइन अवार्ड्स से सम्मानित किया गया

नई दिल्ली। 14वीं एनसीपीईडीपी-एम्फासिस यूनिवर्सल डिज़ाइन अवार्ड से 14 विशेष नवाचारकों को उनके इनोवेशन के लिए सम्मानित किया गया। ये पुरस्कार उन नवाचारकों को दिए जाते हैं जो दिव्यांगों के विकास की राह में आ रहे रुकावटों को दूर करने और समावेशी समाज बनाने हेतु प्रयासरत व कार्यरत हैं। पिछले 13 वर्षों से इस अवॉर्ड के माध्यम से समावेशी समाज के निर्माण हेतु कार्यरत व्यक्तियों और संगठनों के प्रयासों की सराहना लगातार की जा रही है।
एनसीपीईडीपी और एम्फासिस के प्रयासों की सराहना करते हुए भारतीय नागरिक उड्डयन एवं इस्पात विभाग के मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने अपने वीडियो संबोधन में कहा कि इन पुरस्कारों के संस्थापन के माध्यम से विकलांग व्यक्तियों के लिए एक समावेशी और सस्टेनेबल भविष्य बनाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को प्रोत्साहन एवं गति मिलेगी। उन्होंने कहा, “2030 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर भारत के लिए पूरे 1.4 अरब जनसंख्या की भागीदारी राष्ट्रीय विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने तक के सफर में भारत के दिव्यांगों एवं उनके परिवारों की संपूर्ण भागीदारी ही हमें समय से लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करेगी। समावेशी और सस्टेनेबल समाज निर्माण की दिशा में दिव्यांगों के योगदान एवं उनकी प्रतिबद्धता को प्रोत्साहन देना का यह प्रयास विकसित भारत की ओर एक सकारात्मक और प्रशंसनीय कदम है।
इन पुरस्कारों के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए, विकलांग लोगों के लिए पहुंच और रोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में कार्यरत प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्था ‘एनसीपीईडीपी’ के कार्यकारी निदेशक अरमान अली ने कहा, ‘दुनिया में करीब एक अरब लोगों को सहायक उत्पादों की जरूरत है, लेकिन दस में से केवल एक की पहुंच ऐसे उत्पादों तक है। यूनिवर्सल डिजाइन अवार्ड्स 2023 हमें इस अंतर को पाटने के हमारे कर्तव्य की याद दिलाता है। हमारा मानना है कि सभी दिव्यांग व्यक्तियों की सहायक उत्पादों तक पहुंच सुनिश्चित किये बिना समावेशी विकास का सपना अधूरा ही रहेगा। हमारे सिस्टम में दिव्यांग व्यक्तियों का अक्सर तिरस्कार कर दिया जाता है, जो उन्हें गरीबी में जीने पर मजबूर करता है। हम दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सर्व समावेशी वातावरण तैयार करने के मामले में भारत को वैश्विक मंच पर निरंतर आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं।’ पुरस्कार प्रदान करते हुए, भारत सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) के सचिव राजेश अग्रवाल ने विजेताओं के प्रयासों की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि विकलांग व्यक्तियों के लिए अनुकूल तंत्र विकसित करने में सहायक प्रौद्योगिकी के विकास तथा पहुंच बढ़ाते हुए समावेशी वातावरण के निर्माण की दिशा में सभी विजेताओं ने असाधारण काम किया है।
एमफैसिस के सीएचआरओ, श्रीकांत कर्रा ने पुरस्कार विजेताओं की सराहना करते हुए कहा कि ‘यूनिवर्सल डिजाइन अवार्ड्स’ ने अपने उद्देश्यों को हासिल करने की दिशा में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। यह अवार्ड सर्व समावेशी डिजाइन विकसित करने, उनके बारे में जागरूकता पैदा करने और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में समर्पित नवप्रवर्तकों को प्रोत्साहित करता है।
उन्होंने कहा, ‘एमफैसिस में, हमारा दृढ़ विश्वास है कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पहुंच को बढ़ाना हर परियोजना और प्रयास के मूल में होना चाहिए। एनसीपीईडीपी के साथ साझेदारी में, हम पहुंच से जुड़े मुद्दों के प्रति जागरूकता पैदा करने और सभी के लिए एक अधिक समावेशी तथा सुलभ दुनिया बनाने की दिशा में सकारात्मक परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मैं 14वें यूनिवर्सल डिजाइन अवार्ड्स से सम्मानित हुए भारत के सभी 14 व्यक्तियों/ संस्थाओं को हार्दिक बधाई देता हूं। समाज और सिस्टम में सर्व समावेशिता और पहुंच को बढ़ावा देने के प्रति आपका समर्पण और प्रयास वास्तव में असाधारण है।’
उल्लेखनीय है कि एनसीपीईडीपी-एम्फैसिस यूनिवर्सल डिज़ाइन अवार्ड्स तीन श्रेणियों में प्रदान किये जाते हैं- दिव्यांग व्यक्ति, कामकाजी पेशेवर, और कंपनी या संगठन; जिन्होंने नवोन्मेषी प्रयासों, उत्पादों या तकनीक के माध्यम से परिवहन एवं अन्य सेवा, उपभोक्ता उत्पाद, गतिशीलता में सहायक उपकरण आदि जैसे क्षेत्र में पहुंच बढ़ाने और सार्वभौमिक डिजाइन तैयार करने की दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।

‘एनसीपीईडीपी’ के कार्यकारी निदेशक अरमान अली ने बताया, ‘इस वर्ष 14वें एनसीपीईडीपी-एम्फैसिस यूनिवर्सल डिज़ाइन अवार्ड्स के 14 विजेता नागालैंड और लक्षद्वीप से लेकर पुडुचेरी तक भारत के 11 राज्यों से हैं। यह देश भर में यूनिवर्सल डिजाइन और पहुंच के क्षेत्र में बढ़ती जागरूकता और प्रगति को रेखांकित करता है। यह पुरस्कार अपने 14वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। ये पुरस्कार एक ऐसे समावेशी दुनिया के लिए आशा की किरण के रूप में काम करते हैं, जिसमें दिव्यांग व्यक्तियों के लिए संस्थाओ और सेवाओं तक पहुंच की राह में आड़े आ रही बाधाएं समाप्त हो जाएंगी।’
जिस तरह से एनसीपीईडीपी इस पुरस्कार के माध्यम से व्यक्तियों और संस्थानों को पहचानने और उन्हें सम्मानित कर रहा है, उस पर गर्व व्यक्त करते हुए, एनसीपीईडीपी बोर्ड के अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता ने कहा, “भविष्य असिस्टिव डिवाइसेज के लिए संभावनाओं से भरा है और इस तरह के सम्मान नवाचारों और आत्मविश्वास को बढ़ावा देंगी।”

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