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अतुल यदुवंशी ने नौटंकी के संबंध में विभिन्न दृष्टांत दिए और इस पर विस्तार से चर्चा की।

नई दिल्ली। प्रसिद्ध और प्रसिद्ध लोक कला रंगमंच ‘नौटंकी’ के निदेशक, विचारक और शोधकर्ता अतुल यदवंशी ने आज प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में अपने लगातार तीन नौटंकी शो, बूढ़ी काकी, बहुरूपिया और दास्तान-ए- के संबंध में एक प्रेस मीट की। लैला मजनू क्रमशः 6, 7 और 8 अक्टूबर को कमानी ऑडिटोरियम, नई दिल्ली में खेला और निर्धारित किया गया है।
प्रेस मीट को वरिष्ठ और प्रसिद्ध लेखक और आलोचक डॉ ज्योतिष जोशी, जाने-माने कवि और लेखक डॉ श्लेश गौतम और स्वयं अतुल यदवंशी ने संबोधित किया।
सबसे पहले डॉ ज्योतिष जोशी ने इस लोक कला के लिए अतुल यादववंशी के प्रयासों और प्रयासों के साथ-साथ नौटंकी लोक रंगमंच की परंपरा, रीति, इतिहास, उपयोगिता पर चर्चा की।
फिर प्रेस मीट आयोजित करते हुए डॉ श्लेश गौतम ने नौटंकी की मौलिकता, मूल बातें, स्वाभाविकता, रीति-रिवाज, परिवर्तन, प्रयोग, अभिव्यक्ति, उपयोगिता और नौटंकी के महत्व के साथ-साथ नौटंकी के लिए अतुल यादववंशी के अमूल्य योगदान और आजीवन योगदान के आलोक में नौटंकी पर चर्चा की।
अंत में तीनों नौटंकी के निदेशक और लोक कला रंगमंच के विख्यात कार्यकर्ता अतुल यादववंशी ने उपस्थित पत्रकार के बहुआयामी और ज्वलंत प्रश्नों का बहुत ही समेकित और वैचारिक रूप में उत्तर दिया।
प्रश्न मुख्य रूप से उपयोगिता, महत्व, महानता, अतीत की महिमा, वर्तमान स्थिति, परिवर्तन, कमियों की सीमाओं, बाधाओं, प्रयोगों, समस्याओं, प्रयासों, प्रयासों और कला की समग्रता के संबंध में नौटंकी के सामूहिक मूल साहित्य के संबंध में थे। गायन, अभिनय और प्रस्तुति।

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