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21वीं सदी के बच्चों के लिए ‘इनोवेटिव माइंड्स’ पर ‘इनवेस्ट’ करने की जरुरत : श्रीमती अनीता करवाल

नई दिल्ली। शिक्षा मंत्रालय ‘इनोवेशन सेल’ (एमआईसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने गुरुवार को संयुक्त रूप से ‘स्कूल इनोवेशन काउंसिल’ (एसआईसी) को लॉन्च किया और पूरे भारत में 12,800+ स्कूल शिक्षकों को ‘इनोवेशन एंबेसडर’ के रूप में प्रमाणित किया। एसआईसी भारत के शीर्ष शिक्षा निकायों की तरफ से स्कूलों को ‘इनोवेशन’ और ‘एंटरप्रेन्योरशिप’ के लिए सक्षम करने वाले इकोसिस्टम से जोड़ने की एक पहल है।
स्कूलों में एसआईसी की स्थापना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की दिशा में एक स्थायी तरीके से स्कूली शिक्षा स्तर पर, ‘आउट ऑफ बॉक्स थिंकिंग’, ‘इनोवेशन’ और ‘एंटरप्रेन्योरशिप’ को बढ़ावा देने के लिए एक कदम है।
स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की सचिव, श्रीमती अनीता करवाल ने कहा, ‘हम जिस जनसांख्यिकीय लाभांश की बात करते हैं, वह लगभग 2047 तक उपलब्ध होगा। हम नहीं जानते कि भविष्य में क्या चुनौतियाँ हैं, इसलिए यह और महत्वपूर्ण हो जाता है कि प्रत्येक बच्चा भविष्य की जरुरतों को देखते हुए क्रिएटिव और इनोवेशन के लिए ‘ओपन माइंड’ बनें। हमें पाठ्यपुस्तकों से आगे जाना होगा, जोकि इनोवेटिव क्षमताओं को विकसित करने के लिए एक साधन है। मैं माता-पिता और शिक्षकों से आग्रह करती हूं कि बच्चों के आसपास जो हो रहा है और उन सभी गतिविधियों में भाग लें जिससे बच्चों की दक्षता को प्रोत्साहन मिलेगा। 21वीं सदी की जरुरतों के अनुसार बच्चे खुद को ‘स्किलफुल और इनोवेटिव’ बना सकें।
सभी शीर्ष शिक्षा निकायों के ‘त्रिवेणी संगम’ के बारे में प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, एआईसीटीई के अध्यक्ष, प्रोफेसर अनिल डी सहस्रबुद्धे ने कहा, ष्हमें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि यह पहल विचार, नवाचार, उद्यमिता, डिजाइन थिंकिंग, प्रोटोटाइप, आउट-ऑफ-बॉक्स थिंकिग और आईपी व्यावसायीकरण और रचनात्मक की संस्कृति को स्कूल के अंदर बढ़ावा देगी। मैंने पाया है कि जैसे-जैसे विद्यार्थी बड़े होते हैं, युवा मन में जिज्ञासा कम होती जाती है, तो हम जिज्ञासा को कैसे आगे बढ़ाएं? हमें स्कूलों में ‘इनोवेशन’ को प्रोत्साहित करना चाहिए और परीक्षाओं को इस तरह से आयोजित करना चाहिए जोकि रटने के बारे में नहीं हों।’
सीबीएसई की चेयरपर्सन निधि छिब्बर ने कहा, ‘एसआईसी एक अद्वितीय कनेक्टर का काम करने वाली है जहां स्कूलों, शिक्षकों, उद्योग, एचईआई, विशेषज्ञों, एंटरप्रेन्योरशिप और इनोवेशन, एक साथ स्कूल स्तर पर आई एंड ई इकोसिस्टम में ‘डिस्ट्रेप्टिव प्रोग्रेस’ की तरफ ‘न्यू माइंड्स’ के साथ अग्रसर होंगे।
हम पहले उच्च शिक्षा संस्थान (एचईआई) स्तर पर ‘इनोवेशन’ केंद्रों और स्टार्टअप्स की बात पहले से हो रही थी, लेकिन इसे स्कूली बच्चों तक पहुंचाना ही असल मायने में आगे बढ़ने का सही तरीका है। यह उनके लिए ‘क्रियेटिव थिंकिंग’ और ‘इनोवेशन थिंकिंग’ में एक ठोस आधार तैयार करेगा जब वे स्कूलों से निकलकर एचईआई और फिर उद्योग में जाएंगे।”
लॉन्च समारोह के दौरान 12800+ शिक्षकों को बेहतर परामर्श क्षमताओं के साथ ‘इनोवेशन अम्बेसडर’ के रूप में भी सम्मानित किया गया।
डॉ. अभय जेरे, चीफ इनोवेशन ऑफिसर, एमआईसी ने कहा, “जब हम स्कूलों में ‘इनोवेशन इकोसिस्टम’ के करीब पहुंच रहे हैं, तो हम समानांतर में चार स्तंभों पर काम करने का फैसला भी कर रहे हैंरू ज्यादा से ज्यादा राष्ट्रीय मंचों को बनाना ताकि वहां आइडियास और क्रिएटिविटी को दिखा सकें, नीतिगत हस्तक्षेप, इनोवेशन कोर्स जैसे कि डिजाइन थिंकिंग, क्रियेटिव थिंकिग के साथ छात्रों और शिक्षकों के लिए इनोवेशन अम्बेसडर, ट्रेनिंग प्रोग्राम और स्कूल इनोवेशन काउंसिल, हैंडहोल्डिंग और प्रशिक्षण के अंतर्गत किए जाएंगे।
एमआईसी ने देशभर के प्रत्येक स्कूलों को एसआईसी स्थापित करने और एसआईसी वेबसाइट पर इन सदस्यों के साथ पंजीकृत करने की सिफारिश की है। जिसमें चेयरपर्सन, संयोजक/गतिविधि समन्वयक, शिक्षक प्रतिनिधि (सोशल मीडिया कॉर्डिनेटर, एसआईएटीपी के तहत प्रशिक्षित इनोवेशन अम्बेसडर और अधिकतम 5 अतिरिक्त सदस्य), विशेषज्ञ प्रतिनिधि (उद्यमी और विशेषज्ञ) और छात्र प्रतिनिधि।
एसआईसी कैलेंडर गतिविधियों में सफल इनोवेटर्स/एंटरप्रेन्योरशिप के साथ नेतृत्व वार्ता और पैनल चर्चा, और कार्यक्रम की पहचान और प्राथमिकता के लिए क्षेत्र का दौरा शामिल है। अंत में, अखिल भारतीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ पीओसी/प्रोटोटाइप की एक प्रदर्शनी होगी और यहां तक कि कुछ अच्छे स्टार्टअप विचारों को भी फंड किया जाएगा।
डॉ. एलंगोवन करियप्पन, सहायक, इनोवेशन डायरेक्टर, एमआईसी ने कहा, ‘वर्तमान स्कूली शिक्षा रटने, कठोर परीक्षा प्रणाली पर बहुत अधिक केंद्रित है जो ‘क्रियेटिव थिंकिंग’, डिजाइन थिंकिंग, विचार, नवाचार और उद्यमिता के बढ़ते महत्व को नजरअंदाज करती है। एसआईसी की भूमिका शिक्षकों और छात्रों के बीच मानसिकता में बदलाव, जागरूकता और आईआईई, डिजाइन थिंकिंग, स्टार्टअप फाइनेंस, एचआर और आईपीआर पर प्रशिक्षण को सक्षम बनाना है।
डॉ. बिश्वजीत साहा, डायरेक्टर (ट्रेनिंग और स्किल एडुकेश्न), सीबीएसई ने इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत किया और अंत में अतिथियों का धन्यवाद एमआईसी के निदेशक डॉ. मोहित गंभीर ने करते हुए कहा, ‘मैं उन सभी हितधारकों को धन्यवाद देता हूं जोकि स्कूल स्तर पर इनोवेशेन-ओरिएंटेड गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और भारत की जनसांख्यिकीय क्षमता को लाभांश में बदलने के लिए एक साथ आए हैं।’

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