एपेक्स लैब्स ने एडवांस सुप्रा बायोअवेलेबल इट्राकोनाजोल 65 और 130 मिलीग्राम कैप्सूल लॉन्च किए
नई दिल्ली। चेन्नई स्थित भारत की प्रमुख फार्मास्युटिकल कंपनियों में से एक ‘एपेक्स लेबोरेटरीज प्रा.लि.’ ने इट्राकोनाजोल कैप्सूल सुप्रा बायोअवेलेबल 65 और 130 मिलीग्राम का एक एडवांस रूप बाजार में उतारा है। लांच किया गया यह नया कैप्सूल फंगल इन्फेक्शन को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में सक्षम है। सुप्रा बायोअवेलेबल इट्राकोनाजोल कैप्सूल कम डोज पर, बायोलॉजिकल सिस्टम को एक्टिव मेडिसिन (सक्रिय दवा) का उच्च प्रतिशत (90%) प्रदान करता हैं। यह एडवांस कैप्सूल हर व्यक्ति में समान रूप से काम करता है इसलिए इससे फंगल इन्फेक्शन से निजात पाने में मदद मिलती है।
पूरी दुनिया में फंगल इन्फेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति से फैलने के कारण हमारे हेल्थकेयर ईकोसिस्टम पर काफी ज्यादा बोझ बढ़ रहा है। फंगल इन्फेक्शन आम तौर पर सतह से फैलते हैं, गंभीर असर डालते हैं और पूरे शरीर में भी फैलते हैं। इस तरह के इन्फेक्शन का प्रभाव त्वचा, बालों और नाखूनों के सतही संक्रमण से लेकर मस्तिष्क, हृदय, लीवर, फेफड़े, प्लीहा (स्पलीन) और किडनी संक्रमण तक होता है।
त्वचा, नाखून और बालों में होने वाला सतही मायकोसेस फंगल इन्फेक्शन सबसे आम इन्फेक्शन माने जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस तरह के इन्फेक्शन की व्यापकता दर 25% बताई है। इस तरह का इन्फ्केशन अलग-अलग आयु के लोगों में अलग-अलग, पुरुषों और औरतों में अलग और विभिन्न पेशे वाले लोगों में अलग होता है। सतही फंगल इन्फेक्शन के इलाज के लिए इट्राकोनाजोल कैप्सूल इलाज की प्रमुख दवा बन गया है। इट्राकोनाजोल को कई देशों में पूरे शरीर में फैलने वाले, हिस्टोप्लास्मोसिस, ब्लास्टोमाइकोसिस और एस्परगिलोसिस जैसे संक्रमणों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
एपेक्स लेबोरेटरीज प्रा लि के डायरेक्टर श्री विशागन ने नए कैप्सूल लांच पर अपनी राय रखते हुए कहा, ‘इट्राकोनाजोल फंगल इन्फेक्शन के लिए एक प्रभावी दवा है। इस पर हुए कई अध्ययनों से पता चलता है कि इसकी ब्लड कंसेन्ट्रेशन (रक्त सांद्रता) में खराब अवशोषण और वैरियेबिलिटी (परिवर्तनशीलता) जैसी कमिया हैं। किसी भी दवा के लिए बेहतर क्लीनिकल प्रभाव उत्पन्न करने के लिए उसका अवशोषण मिनिमल इंटर- इंडीविज्युवल वेरिअबिलिटी (न्यूनतम अंतर-व्यक्तिगत परिवर्तनशीलता) के साथ बेहतर होना चाहिए।’