हलचल

न्यूरोसाइंस टेकनोलॉजी पर लोगों को किया जागरूक

लुधियाना। न्यूरोसाइंस के क्षेत्र में हाल ही में हुई प्रगति पर चर्चा करने के लिए, एग्रीम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस ने आज लुधियाना में एक इंटरैक्टिव सेशन का आयोजन किया। इस अवसर पर नई तकनीकों और समय पर उपचार के लिए जागरूकता के निर्माण पर चर्चा करने के लिए देश भर के न्यूरोसर्जन्स का पैनल उपस्थित रहा।
इस इवेंट में तीव्र स्ट्रोक के मामलों के टाइम मैनेजमेंट के लिए एक्सपर्ट रीजनल टीम को बनाने की बात पर प्रकाश डाला गया। एन्यूरिज्म, एवीएम और स्ट्रोक के कारण ब्रेन हेमरेज के इलाज के लिए न्यूरोइंटरवेंशन के तरीकों में हालिया प्रगति पर इंटरैक्टिव सेशन भी रखा गया था। इसके अलावा प्रमुख हाइलाइट्स में न्यूरोसर्जरी में एडवांस तकनीकों पर चर्चा की गई।
स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में लोगों में जागरूकता की कमी समय पर इलाज नहीं कराने का एक बड़ा कारण है। ब्रेन हेमरेज 70ः से अधिक मृत्यु दर के स्ट्रोक के कारण होता है और इलाज के बाद भी पीड़ित में इसके असर की गुंजाइश रहती है। स्ट्रोक और अन्य न्यूरोवास्कुलर बीमारियों के उपचार के क्षेत्र में प्रगति के साथ, स्ट्रोक वाले रोगियों का अब सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।
अग्रीम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस अस्तपाल के न्यूरोइंटरवेन्शन के निदेशक डॉ. विपुल गुप्ता का कहना है कि, “इनीसिएटिव विकास और मिनिमली इनवेसिव न्यूरो-इंटरवेंशन तकनीकों के साथ, स्ट्रोक, एन्यूरिज्म, एवीएम जैसी मस्तिष्क संबंधी बीमारियों का इलाज अब आसानी से संभव है। स्ट्रोक के जिन मामलों में लक्षण लगातार दिखाई दें उन्हें क्षणिक इस्केमिक स्ट्रोक कहा जाता है। ऐसे मामलों में 24 घंटे के अंदर इसका इसका इलाज करना जरूरी होता है। हर मिनट की देरी के साथ लगभग 19 लाख मस्तिष्क कोशिकाओं का नुकसान होता है, एडवांस न्यूरोइंटरेक्शन तकनीकों के साथ समय पर उपचार स्थिति में सुधार ला सकता है।” डॉ. विपुल गुप्ता ने भी आज दयानंद मेडिकल कॉलेज के छात्रों के साथ एक टीचिंग सेशन में भाग लिया और उन्हें न्यूरोसर्जरी में करियर चुनने के लिए प्रोत्साहित किया। विशेषज्ञता और एडवांस मिनिमली इनवेसिव नूरोइन्टरवेंशन तकनीकों के कारण कैरोटिड स्टेनोसिस, तीव्र स्ट्रोक, मस्तिष्क धमनीविस्फार और एवीएम के उपचार में बदलाव आया है। एग्रीम इंस्टीट्यूट फॉर न्यूरोसाइंसेस कई बदलाव और स्ट्रोक के शुरुआती उपचार और रोकथाम तकनीकों में जागरूकता फैलाने का कार्य करता है।
भारत के प्रमुख न्यूरोसर्जन डॉक्टर आदित्य गुप्ता ने भी न्यूरोसर्जरी में एडवांस टोकनोलॉजी पर जोर दिया और कहा कि भारत में तकनीक पहले से अधिक विश्वसनीय, सुरक्षित और प्रभावी हो गई है। एडवांस न्यूरोनविवि और रियल टाइम इमेजिंग तकनीकों के आने से कठिन से कठिन मामले में इलाज करना सरल हो गया है।
अग्रीम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस के न्यूरोसर्जरी विभाग के डायरेक्टर डा.आदित्य गुप्ता का कहना है कि “पार्किंसंस और दूसरे मूवमेंट डिस्ऑर्डर, मस्तिष्क में पेसमेकर के इलाज के लिए साइबरनाइफ, डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी (डीबीएस) के आगमन से और रियल टाइम इमेजिंग तकनीकों के साथ न्यूरोसर्जरी अधिक सुरक्षित और प्रभावी बन गई है। मस्तिष्क की सर्जरी के लिए पहले सिर को पूरा खोलना पड़ता था लेकिन आज के समय में उसे खोले बिना ही सर्जरी की जा सकती है। इसमें साइबरनाइफ रेडियो सर्जरी अत्यधिक प्रभावी है। इसके साथ ही रोगी को रिकवर होने में बहुत ही कम समय लगता है।” डीप ब्रेन स्टीम्यूलेशन को अक्सर एडवांस पार्किंसंस रोग वाले लोगों को ऑफर किया जाता है जिनपर दवाओं का कुछ खास असर नहीं होता है। डीबीएस दवा के उतार-चढ़ाव, डिस्केनेसिया और कंपकंपी को कम कर सकता है।

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