हलचल

हरियाणा के बिल्डर पीडीएम पर 200 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप, लोग सड़कों पर उतरे

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के एक और बिल्डर, प्रभु दयाल मेमोरियल पर 200 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का आरोप है और लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं। दो सौ से ज्यादा निर्दोष घर खरीदने वाले लोग इकट्ठा हुए और ठगने वाले बिल्डर के खिलाफ आवाज उठाई। इन लोगों में 50 वरिष्ठ नागरिक, 40 महिलाएं और सरकारी विभागों व निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोग थे। मेहनत की अपनी कमाई वापस पाने की कोशिश में इन लोगों को अपने दफ्तर से छुट्टी लेकर इस आंदोलन में शामिल होना पड़ा। यह संघर्ष बहादुरगढ़, हरियाणा के प्रभु शांति रीयल इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों के खिलाफ था ।
मुद्दा : घर खरीदने वाले करीब 400 लोगों ने मेहनत से कमाए अपने पैसे पीडीएम हाई टेक होम्स में घर खरीदने के लिए लगाए थे। यह सेक्टर 3ए, बहादुरगढ़ में बनना था। इस परियोजना का प्रस्ताव पीडीएम समूह ने 2008 में किया था। यह एक जाना-माना समूह है जो हरियाणा के भिन्न शहरों में स्थानीय शिक्षा के लिए पीडीएम यूनिवर्सिटी और संस्थाएं चलाता है । बिल्डर ने इस परियोजना को बीच में ही छोड़ दिया और 10 साल हो गए अभी तक उसने सिर्फ फर्जी आश्वासन ही दिए हैं! निवेशकों के लिए फ्लैट बनना और उनका आवंटन अभी भी दूर का सपना है।
खरीदारों की मांग :

  1. परियोजना को पूरा करना और फ्लैट का आवंटन या ब्याज के साथ पैसे वापस करना।
  2. अभी तक हुई तकलीफ जैसे अपने जीवन भर की बचत लगा देने के बाद भी किराए के घर में रहने की मजबूरी, घर नहीं मिलने पर भी होम लोन पर ब्याज देना आदि के लिए आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत निदेशकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना।
    3) अच्छी तरह जांच और कंपनी तथा निदेशकों के खातों की विस्तृत जांच और ऑडिट।
    4) बिल्डर को देश से भागने से रोकना
    5) एफआईआर लिखने में इरादतन देरी के लिए संबंधित पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई।
    इस मौके पर प्रेसिडेंट श्री वीपी अरोड़ा ने कहा, निर्दोष घर खरीदने वालों के जीवन भर की बचत पीडीएम बिल्डर ने लूट ली है। उनकी संपत्ति जब्त कर ये पैसे वसूले जाने चाहिए ।
    महासचिव डॉ. उरेन्द्र सिंह ने कहा, बहादुरगढ़ के लोगों ने उनके पिछले रिकॉर्ड पर भरोसा करके पीडीएम में निवेश किया क्योंकि उनके कई मेडिकल कॉलेज थे और लोगों ने कभी उम्मीद नहीं की थी कि बिल्डर उनके पैसे दूसरे काम में लगा देगा। कोषाध्यक्ष श्री विवेक गोयल ने मीडिया से कहा, बिल्डर ने जानबूझकर इस परियोजना को लटका दिया है और यह 200 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि के साथ विदेश भागने की उसकी साजिश का हिस्सा है। उसने बैंक से भी कर्ज ले रखे हैं।
    मामले का इतिहास
    बिल्डर ने करीब 400 खरीदारों और बैंकों से 200 करोड़ रुपए की राशि एकत्र की थी। इस राशि का दुरुपयोग किया गया और निजी लाभ के लिए दूसरे काम में लगा दिया गया। इससे परियोजना रुक गई। इसके बाद बिल्डर ने जमीन को बंधक रखकर कर्ज लिए जो चंडीगढ़ में जमीन खरीदने और शिक्षा संस्थान बनाने के लिए है। यह अवैध है और बिल्डर-खरीददार के बीच हुए करार के खिलाफ है। कर्ज के पुनर्भुगतान में जानबूझकर देरी करने के कारण जून 2018 में कंपनी को एनसीएलटी दिल्ली की अदालत ने दिवालिया घोषित कर दिया।
    इसके बाद से घर खरीदने वाले अंधेरे में हैं क्योंकि खरीदारों में ज्यादातर पेंशन पाने वाले और मध्यम वर्ग के लोग हैं। इन लोगों ने एक किफायती घर खरीदने का सपना देखा था। इनलोगों के पैसे ठग लिए गए हैं और अब तो इनकी उम्मीद भी जाती रही है। अब ये लोग बड़ी संख्या में एकत्र हुए हैं ताकि दोषी से मुकाबला किया जा सके और वे चाहते हैं कि संबंधित अधिकारी उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई करें। एफआईआर तक कराने की पहले की सभी कोशिशें नाकाम रही हैं।

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