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किरण बेदी और सीबीएसई निदेशक ने अपराध को कम करने के लिए नए शैक्षिक दृष्टिकोण का आह्वान किया

नई दिल्ली। पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी और सीबीएसई के निदेशक विश्वजीत साहा ने अपराध को कम करने और राष्ट्र की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए बच्चों की जिम्मेदार परवरिश पर जोर देने के साथ आज एक नए शैक्षिक दृष्टिकोण का आह्वान किया।
अच्छी परवरिश के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत करने के लिए वे ‘पेरेंटिंगडायलॉग्स’ के हिस्से के रूप में एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। यह गिनीजवर्ल्डरिकॉर्ड विजेता लाइफोलॉजी और अजय भारत फाउंडेशन की एक पहल है।
पहली महिला आईपीएस अधिकारी डॉ.बेदी ने बिड़ला विद्या निकेतन में अजय कुमार और प्रवीण परमेश्वर द्वारा लिखी ‘माइंडफुलपेरेंटिंग’ नामक एक पुस्तक का विमोचन भी किया।
उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों के छात्रों को मुफ्त भोजन, किताबें और यूनिफॉर्म देने की वर्तमान प्रणाली न तो पढ़ाई बीच में छोड़ देने वालों को रोक पा रही है और न ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में सहायक है।
दूसरी ओर, पढ़ाई बीच में छोड़ देने की उच्च दर की वजह से कई जघन्य अपराध होते हैं जैसे कि बलात्कार और आंदोलन और अशांति के माहौल में संपत्ति की तोड़फोड़ जैसे कि केंद्र द्वारा शुरू की गई अग्निवीर योजना के खिलाफ हाल ही में की गई थी। इस योजना में युवाओं को सीमित अवधि के प्रशिक्षण और रक्षा में रोजगार की पेशकश की गई थी, उन्होंने कहा।
उन्होंने कहा किपुडुचेरी के विभिन्न सरकारी स्कूलों के दौरों के दौरान, उन्होंने पाया कि छात्र अपने संस्थानों में केवल मुफ्त मिलने वाली सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए आते हैं, न कि शिक्षा प्राप्त करने के इरादे से और उनके माता-पिता जो कि अशिक्षित और दिहाड़ी पर काम करने वाले मजबूर हैं, अपने बच्चों का मार्गदर्शन करने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, स्थिति इसलिए भी बुरी है क्योंकि 75 प्रतिशत पिता शराब पीने के आदी हैं।
डॉ. बेदी ने सुझाव दिया कि शिक्षा अधिकारियों को मुफ्त सुविधाओं को उनके बदले हुए व्यवहार से जोड़कर अभिभावकों की नशे की लत छुड़ाने का काम सौंपा जाना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि चूंकि नई राष्ट्रपति द्रौपतीमुर्मू एक स्कूल शिक्षिका थीं और इसलिए वह शिक्षा प्रदान करने के तरीके में सकारात्मक बदलाव अवश्य लाएंगी।
समारोह केविशिष्ट अतिथि डॉ.साहा ने कहा कि प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर नई शिक्षा नीतिगुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर केंद्रित है, क्योंकि यह वह उम्र है जब छात्रों को जिम्मेदार नागरिक बनने के साथ-साथ शिक्षा में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए ढाला जा सकता है। उन्होंने देश के शैक्षिक शोधकर्ताओं से अपील की कि वे पश्चिम के सुझावों पर निर्भर रहने के बजाय अपने अध्ययन स्वयं करें।
उन्होंने कहा कि सीबीएसई अपने 27,000 स्कूलों को उनकी स्वायत्तता को प्रभावित किए बिनासहयोग देगा, जहां देश के लगभग 10 प्रतिशत छात्र पढ़ रहे हैं।
पुस्तक के लेखक और प्रबंधन विचारक श्री अजय कुमार ने कहा कि परवरिश करना एक समस्या है, लोगों की इस गलत धारणा को बदलने और उन्हें यह एहसास दिलाने के लिए कि यह एक निस्वार्थ और प्रतिबद्ध कार्य है जिसेजीवन भरकरना होता है, ने उन्हें पुस्तक लिखने को प्रेरित किया।
सह-लेखक प्रवीण परमेश्वर ने कहा कि माता-पिता सभी के लाभ के लिए प्रशिक्षक की तरह एक सार्थक भूमिका निभा सकते हैं और उन्हें निभानी भी चाहिए।
बिड़ला विद्या निकेतन की प्रिंसिपल मीनाक्षी कुशवाहा ने माता-पिता से अनुरोध किया कि अपने बच्चों को केवल सलाह देने के बजाय, जिस पर वे खुद भी अमल नहीं करते हैं, उनके रोल-मॉडल बनें।

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