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माशा आर्ट महामारी के समय में हम्पी की विरासत को दर्शाने वाली दिल्ली फोटो एक्जीबीशन को करेगा प्रस्तुत

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी, जल्दी ही देखेगी देश के प्रमुख विरासत स्थल की एक नई झलक। माशा आर्ट आगामी सप्ताह मध्यकालीन युग के विजयनगर साम्राज्य की राजधानी को आधार बनाकर तैयार की गईं महामारी के समय की 60 फोटो की दस दिवसीय प्रदर्शनी की मेजबानी कर रहा है।
कोविड-19 के लंबे समय के दौरान, जिसने लोगों को घर के अंदर रहने के लिए मजबूर कर दिया था, युवा फोटोग्राफर मनोज अरोड़ा द्वारा खींची गईं फोटो के कलेक्शन को 13 से 22 सितंबर तक प्रदर्शित किया जाएगा। ‘रिडिस्कवरिंग हम्पी’ नामक यह कलेक्शन तुंगभद्रा के तट पर पूर्व-मध्य कर्नाटक पर बसे यूनेस्को-मान्यता प्राप्त स्थल की ऐतिहासिक सुंदरता को उजागर करता है।
अनुभवी कला मर्मज्ञ उमा नायर द्वारा क्यूरेट किया गया यह शो 16 वर्ग मील में फैली अपनी 14 वीं शताब्दी की पत्थर की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध विशाल स्मारकों की ‘वर्णनात्मक अभिव्यक्ति’ है।
अपने दिल्ली के साथी के बारे में बताते हुए नायर कहते हैं, “इन 60 फोटो के माध्यम से न केवल अरोड़ा के संयोजन कुशलता का पता चलता है, बल्कि उनका कैमरा कलात्मक अभिव्यक्ति के स्थान के रूप में हम्पी के स्वरूप की पड़ताल भी करता है।” बहुरंगी फोटो “ऐतिहासिक, भौगोलिक और सामाजिक-राजनीतिक विचारों पर आधारित हैं जो सशक्त होने के साथ-साथ अपनी बात कहते महसूस होते हैं।””
ऐसी तसवीरों के साथ जिनमें पत्थर के नक्काशीदार देवी-देवता सूर्यास्त के अपवर्तक सूचकांकों में खींचे गए हैं, प्रदर्शनी में हम्पी के मंदिर और उनके भित्ति चित्रों को भी देखा जा सकता है। नायर ने कहा, “अरोड़ा ने एक बार फिर उन शहरों में जहां-जहां वह गए, वास्तुकला और इतिहास जैसे विषयों को पुनः केंद्रित करने की अपनी क्षमता साबित की है। उनके कलात्मक जुड़ाव मुख्यधारा की सांस्कृतिक चेतना में जीवन-संबंधी तथ्य हैं।”
माशा आर्ट के सीईओ समर्थ माथुर ने ‘डिस्कवरिंग हम्पी’, बीकानेर हाउस में गैलरी का पहला शो होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “प्रदर्शनी भारत की उस विरासत के लिए गौरव और सम्मान पैदा करेगी जो पीढ़ियों से चली आ रही है।” शो रविवार को भी देखा जा सकेगा।
एक दशक तक पेशे से प्रशिक्षित फोटोग्राफर रहे अरोड़ा याद करते हुए बताते हैं कि कैसे डूबता सूरज हम्पी के खामोश खंडहरों में एक नारंगी कोहरा बिखेरता है। वह कहते हैं, “आप शब्दों में इस कालातीत जगह की सुंदरता का वर्णन नहीं कर सकते। दीवारों पर उकेरी गईं मूर्तियां, स्तंभ और चित्र दैवीय भी हैं और भयावह भी। जानवरों पर की गई कलाकारी यथार्थवादी और पौराणिक दोनों हैं, वास्तव में वे एक जादुई आभास देती हैं।”
कपास और मसाले के व्यापार से फलने-फूलने वाले महान दक्कन साम्राज्यों का आखिरी साम्राज्य हम्पी एक ‘सर्वोत्तम राजधानी’ माना जाता था। इसका मध्ययुगीन आकर्षण द्रविड़ शैली में बने शानदार महलों और रत्नों से मंडित मंदिरों से भी सुसज्जित है। अरोड़ा, पिछले साल महामारी के बीच बेंगलुरु से उत्तर की ओर उबड़-खाबड़ सड़कों पर सात घंटे कार चलाने के बाद, जहां पहुंचे थे, वह स्थान उन्हें ‘किसी आध्यात्मिक अनुभव पैदा करने वाले स्थान’ जैसे लगा था।
नायर और अरोड़ा के अनुसार बीकानेर हाउस में प्रदर्शनी लगाने की कल्पना ‘समय के माध्यम से अंतरिक्ष के ऐतिहासिक, किसी जगह के बारे में कुछ जानने की इच्छा, और अप्रत्याक्षित अभिव्यक्ति की ‘असीमित सूची’ के रूप में की गई है।

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