Wednesday, May 15, 2024
हलचल

देश में हर साल पैदा हो रहे एक लाख से अधिक बधिर बच्चे

जयपुर। देशभर में प्रतिवर्ष पैदा होने वाले बच्चों में एक लाख से अधिक बधिरपन का शिकार हातें है। इन बच्चों को समय पर सुनने की जांच न मिल पाने के कारण ये आवाज से वंचित रह जाते है। इसलिए विश्व मूक बधिर दिवस पर रविवार को दुर्गापुरा में सुखम फांउडेशन व एसोसियेशन ऑफ ओटोलरैंगोलोजिस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्तत्वाधान में वायॅस ऑफ साइलेंस अभियान का आगाज किया गया। यह अभियान देशभर में चलाया जाएगा। इस अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व स्वास्थ्य मंत्री डा.हर्षवर्धन को एक लाख पेास्टकार्ड देश के विभिन्न हिस्सों से बच्चों के द्वारा भेजें जाएंगे और कई तरह के जागरुकता संबधी कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा।
इस वायॅस ऑफ साइलेंस अभियान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक मांग पत्र द्वारा भी अवगत कराया गया है। वायॅस ऑफ साइलेंस अभियान का आगाज करते हुए दसवीं कक्षा की छात्रा लिपि ने कहा कि मात्र सुनने की समस्या से ही बहुत सारे विद्यार्थी अपने आपको कमजोर व असहाय महसूस करते है। जबकि इन सभी को सामान्य जीवन जीने का अधिकार है।

  • 1-3-6 माॅडल

इस अभियान का मुख्य उद्वेश्य 1-3-6 माॅडल पर आधारित है। जिसमें पहली जांच जन्म के एक माह के भीतर होनी चाहिए तथा उसमें खराबी आने पर अगली जांच क्रमशः तीसरे और छठे माह पर होनी चाहिए, ताकि छह माह के भीतर ही बच्चे का ईलाज शुरु किया जा सके।
इस अवसर पर सुखम फांउडेशन की ट्रस्टी डा.सुनीता सिंघल ने कहा कि प्रतिवर्ष सितम्बर माह के अंतिम सप्ताह को विश्व मूक बधिर दिवस मनाया जाता है, लेकिन वर्तमान में यह विश्व मूक बधिर सप्ताह के रूप में अधिक जाना जाता है। विश्व बधिर संघ (डब्ल्यूएफडी) ने वर्ष 1958 से ‘विश्व बधिर दिवस’ की शुरुआत की। इस दिन बधिरों के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक अधिकारों के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने के साथ-साथ समाज और देश में उनकी उपयोगिता के बारे में भी बताया जाता है।

  • प्रतिवर्ष एक लाख बच्चे हो रहे बधिर

उन्होने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 6.3 प्रतिशत लोग किसी न किसी रुप में बधिरता से पीड़ित हैं। जबकि देश में एक लाख (करीब प्रति हजार जन्मजात बच्चों में से चार बच्चे) से अधिक बच्चे प्रतिवर्ष बधिर पैदा हेाते है।

  • सुनने की जांच हो अनिवार्य

उन्होने कहा कि हमारे देश व प्रदेश में हजारों बच्चे इस समस्या से जूझ रहे है, जिसके लिए इस अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर चलाया जाएगा। प्रत्येक एक हजार बच्चों में 4 बच्चे इससे पीड़ित है। इसके लिए नवजात शिशु की जांच अनिवार्य हो और इसे राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान का हिस्सा बना दिया जाए जिसमें सुनने की जांच हो सके।

  • ये होगी गतिविधियां

इस अभियान में शिक्षण संस्थाओं, गैर सरकारी संगठन, ईएनटी चिकित्सक सहित अन्य संगठन इसके लिए लोगों में बधिरपन हेतु जागरूकता बढ़ाने के साथ पेास्टकार्ड, सोशल मीडिया से युवाअेां व समाज के अन्य लोगों के साथ वेबीनार पर विमर्श, पेंटिग्स प्रतियोगिता, लेखन सहित अनेक गतिविधियों होंगी। इन सभी का आयोजन बच्चों व युवाओं के द्वारा किया जायेगा।

  • बच्चों को बनाया अभियान का ब्रांड अंबेसडर

वायॅस ऑफ साइलेंस अभियान का ब्रांड अंबेसडर दसवीं कक्षा की छात्रा लिपि को बनाया गया है। बच्चों की टीम के द्वारा इसमें होने वाली अधिकतर गतिविधियेां का आयोजन किया जायेगा।एसोसियेशन ऑफ ओटोलरैंगोलोजिस्ट ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डा समीर भार्गव ने अपने संदेश में कहा कि हम अपनी एसोसिएशन के माध्यम से भारत सरकार से अनुरोध करते हैं की सरकार राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में नवजात श्रवण जाँच को भी सम्मिलित करे ताकि सभी मूकबधिर बच्चों का समय पर इलाज हो सके और सामान्य स्कूल में पढ़ सके और समाज में कंधे से कंधा मिलाकर चल सकें।
एसोसियेशन ऑफ ओटोलरैंगोलोजिस्ट ऑफ इंडिया के सचिव डा कौशल सेठ ने कहा कि नवजात शिशु की सुनने की जाँच से बच्चों का सम्पूर्ण जीवन स्तर सुधारा जा सकता है, इसलिए हमारी सरकार से अपील है की सारी रुकावटों को हटाकर “नीओनेटल हीयरिंग स्क्रीनिंग” को राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान का हिस्सा बनाया जाए।

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