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सीहोर साहित्य सम्मान २०२१ – केवल एक कहानी तथैव मात्र तीन कविताओं के लिए हिंदी साहित्य का सबसे बड़ा पुरस्कार

दिल्ली। नागपुर से संचालित साहित्यिक प्रकाशन, कथाकानन, और साहित्य सदन सीहोर, हरियाणा के एक उनींदे गाँव सीहोर में पनप रहे साहित्य उपक्रम, ने साथ जुट कर, एक कहानी तथैव तीन कविताओं के लिए हिंदी साहित्य जगत में इस श्रेणी के सबसे बड़े साहित्यिक पुरस्कार की घोषणा की है।
इस पुरस्कार कहानी खंड के लिए प्रविष्टियाँ स्वीकार करने की अवधि 1 जनवरी २०२१ से आरम्भ होगी, और १५ फरवरी २०२१ मध्यरात्रि को समाप्त होगी। कहानी का प्रथम पुरस्कार 21000/- रुपये का होगा। मौलिक एवं अप्रकाशित होने के साथ-साथ, यह अनिवार्य है कि कहानी की शब्द- संख्या न्यूनतम 700 शब्द तथा अधिकतम 3000 शब्द हो। द्वितीय और तृतीय पुरस्कार क्रमशः 11000/- एवम 5000/- रुपये के होंगे। इनके अतिरिक्त लघुसूची में प्रवेश पाने वाले हर कहानीकार को 500/- रुपये का प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त होगा।
हिंदी साहित्य के तीन सुप्रसिद्ध उपन्यासकार/कहानीकार इस प्रतियोगिता के कहानी- खंड के निर्णायक होंगे। जनसत्ता मुम्बई के भूतपूर्व फीचर संपादक और सहारा समय के भूतपूर्व संपादक धीरेंद्र अस्थाना जो कि एक स्थापित उपन्यासकार और कहानी लेखक भी हैं, तीन निर्णायकों में से एक निर्णायक तय हुए हैं। एक दर्जन के आसपास उनके उपन्यास और कहानी संग्रह छप चुके हैं, जिनमें ‘गुजर क्यों नहीं जाता’ और ‘हलाहल’ उपन्यास तथा ’खुल जा सिम सिम’ और ‘उस रात की गंध’ कहानी-संग्रह शामिल हैं। दूसरे निर्णायक हैं हिंदी कहानी जगत में अपनी अलग पहचान रखने वाले कहानीकार योगेंद्र आहूजा। योगेंद्र आहूजा के कहानी संग्रह ‘अँधेरे में हँसी’ और ‘पाँच मिनट’ खूब चर्चा में रहे, और उन्हें मिले अनेक सम्मानों में ‘कथा पुरस्कार’, ‘परिवेश पुरस्कार’ और ‘रमाकांत स्मृति पुरस्कार’ प्रमुख हैं। तीसरे निर्णायक के लिए एन डी टी वी के वरिष्ठ संपादक प्रियदर्शन को चुना गया है। लोकप्रिय उपन्यास ‘जिन्दगी लाइव’, तथा कहानी- संग्रह ‘बारिश, धुआं और दोस्त’ तथा ‘उसके हिस्से का जादू’ को मिलाकर प्रियदर्शन की 9 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। सलमान रश्दी, अरुंधति राय, तथा अन्य लेखकों की सात कृतियों का वे हिंदी में अनुवाद कर चुके हैं। विजेताओं की घोषणा अप्रैल के प्रथम सप्ताह में की जायेगी।
बाबू गौतम, सीहोर साहित्य सम्मान के संस्थापक, और साहित्यिक प्रकाशन कथाकानन के प्रेता हैं, और फिलहाल एफ डी सी एम एस्सेलवर्ल्ड गोरेवाड़ा जू के व्यवस्थापक हैं। बाबू गौतम की हिंदी कहानियाँ हालाँकि भारतीय परंपराओं में उपजी होती हैं, पर कथ्य और शैली में हेमिंग्वे और रॉल्ड डाहल जैसे विश्वस्तरीय कहानीकारों के साथ रखी जा सकती हैं। उनकी अंग्रेजी कृतियों में उपन्यास ‘डैडली इन्नोसेंट’ (संक्षिप्त संस्करण एंडी लीलू) और कहानी- संग्रह ‘मोहम्मद ए मेकैनिक एंड मैरी ए मेड’ प्रमुख हैं। वे सीहोर गाँव के मूलनिवासी हैं।
बाबू गौतम का मानना है कि ‘हमारा भोजन हमें उतना हम नहीं बनाता है, जितना कि हमारा पठन। हम वही बनते हैं जो हम पढ़ते हैं।’ उन्होंने अपने संसाधनों को हिंदी साहित्य के उत्थान में यह सोच कर समर्पित किया है कि ‘अगर हमें अपने खोये हुए गौरव को हासिल करना है तो आर्थिक समृद्धि के साथ साथ साहित्यिक बुलंदियों को भी छूना होगा’।
कविता- खंड के लिए भी निर्णायकों का चयन कर लिया गया है, प्रविष्टियाँ 15 जनवरी से स्वीकार की जाएँगी। कविता- खंड का प्रथम पुरस्कार 11000/- रुपये का होगा, जिसका नाम आधुनिक हिंदी कविता के सिरमौर मंगलेश डबराल की स्मृति में ‘मंगलेश डबराल सम्मान’ होगा। अधिक जानकारी के लिए व्हाट्सएप नंबर 9820506161पर संपर्क करें और अपनी रचनाएँ gautambl@yahoo.co.in इस ईमेल पर रचनाएँ भेजें।

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