हलचल

लोकसभा अध्यक्ष के पिता श्रीकृष्ण बिड़ला का निधन, आज हुआ अंतिम संस्कार

-डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के पिता श्रीकृष्ण बिड़ला के मंगलवार की सांय चिकित्सालय में उपचार के दौरान आकस्मिक निधन होने के बाद बुधवार को प्रातः कोटा के किशोरपुरा मुक्ति धाम पर अंतिम संस्कार किया गया, वे पंच तत्व में लीन हो गए। उनके बड़े पुत्र राजेश कृष्ण बिड़ला ने सभी भाइयों के साथ मुखाग्नि प्रदान की। अंतिम यात्रा प्रातः 8 बजे स्वनिवास से शुरू होकर मुक्तिधाम पहुँची, जिसमें सामाजिक दूरी के साथ शोकाकुल लोग शामिल थे।
स्व.श्रीकृष्ण बिड़ला के निधन की सूचना आग की तरह शहर में फैल गई, शोक की लहर छा गई। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल सहित अनेक नेताओं ने शोक जताया। लोकसभा अध्यक्ष चार दिन के प्रवास पर कोटा में ही थे, जैसे उन्हें पिता की तबियत खराब होने की सूचना मिली उन्होंने ने अपने समस्त कार्यक्रम रद्द कर दिए और पिता के पास पहुँचे। श्रीकृष्ण बिड़ला ने 92 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं।

  • समाजसेवी के रूप में थी पहचान

स्व. श्रीकृष्ण बिड़ला की पहचान समाजसेवी एवं सहकार नेता के रूप में थी। अपने सहज, सरल, सौम्य स्वभाव एवं व्यवहार कुशलता से उन्होने समाज में अपनी विशिष्ठ पहचान बनाई। सरकारी सेवा में कर्मचारियों के प्रिय रहे और सहकारिता के क्षेत्र के पितामह कहलाते थे। सामाजिक रूप से जन-जन के लाडले राजनीतिक क्षेत्र में भी सब के प्रिय रहें, चुनाव से पूर्व सभी दल के नेता इनसे विजय का आशीर्वाद प्राप्त करते थे।
ऐसे सर्वप्रिय व्यक्तित्व के धनी स्व.बिड़ला का जन्म 12 जून 1929 को कोटा जिले के कनवास में एक जागीदार परिवार में हुआ। वे 7 फरवरी 1949 को अकलेरा की शकुंतला देवी के साथ वैवाहिक बंधन में बंधे। उन्होंने सरकारी सेवा काल में कर्मचारी हितों की लिए संघर्ष किया एवं जेल भी गए। नौकरी छोड़ कर पूर्णकालिक समाजसेवा एवं सहकारी आंदोलन को मजबूत करने में लग गए। वे करीब 26 वर्षों तक कर्मचारी सहकारी समिति लिमिटिड 108 आर के अध्यक्ष रहे और राजस्थान में इसका नाम रोशन किया, नई पहचान दिलाई, जिससे इन्हें राज्य में सहकार नेता के रूप में पहचान मिली। पुराने समय मे जब अकाल पड़ा गांव में अकाल से मुकाबला करने के लिये ग्रामीणों की भरपूर मदद की। उनके निधन पर राजस्थान की अनेक सामाजिक, सहकारी एवं अन्य संस्थाओं ने शोक जताया हैं।

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