स्वास्थ्य

मधुमेह के कारण होने वाली दिल की बीमारियां

युवाओं को इस बारे में अधिक शिक्षा की आवश्यकता है कि वे अपने दिल की सेहत को कैसे बेहतर बना सकते है। इसे लेकर काफी प्रयास किए जा रहे हैं कि हर कोई वैसे छोटे-छोटे बदलावों के लिए प्रोत्साहित हो, जो जबरदस्त फर्क पैदा कर सकते हैं और दिल को सेहतमंद बना सकते हैं। इंडस हेल्थ प्लस द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि पिछले तीन सालों के मुकाबले दिल्ली वालों में हृदय और धमनियों के रोगों (कार्डियोवस्कुलर डिसीसेज- सीवीडी) में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है।
अगर व्यक्ति मधुमेह और मोटापे से पीड़ित हो, तो दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा और बढ़ जाता है। दिल्ली में परीक्षण के दौरान 40-50 वर्ष आयु वर्ग के 40% पुरुष और 38% महिलाएं मधुमेह से पीड़ित पाई गईं। इसके चलते उनमें हृदय रोगों की आशंका बढ़ गई है। इनमें से 20% पुरुष और 22% महिलाएं मोटापे से भी ग्रस्त थीं। इंडस हेल्थ प्लस के प्रिवेंटिव हेल्थकेयर विशेषज्ञ श्री अमोल नाइकवाड़ी कहते हैं, ‘एस्ट्रोजन की कमी के कारण दिल्ली में 25 से 35 साल की आयु वर्ग की कामकाजी महिलाओं में हृदय रोग होने का खतरा है। लंबे समय तक दर्दनिवारक दवाओं तथा हॉर्मोनल और गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन धमनियों में रक्त के थक्के जमने का कारण बन सकता है। इसके साथ ही अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और तनाव जुड़ जाने से दिल की बीमारियों का खतरा और भी बढ़ जाता है। जॉगिंग, सीढ़ी चढ़ना, स्वास्थ्यवर्धक खानपान, आउटडोर खेल खेलना सरीखे रोजाना की जीवनशैली में सुधार और बदलाव हृदय रोगों का जोखिम कम करने में मददगार होते हैं।’
सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्ष :

– 35-55 वर्ष आयु वर्ग के 70% से अधिक शहरी और 69% ग्रामीण पुरुषों को उच्च रक्तचाप, मोटापे और मधुमेह के कारण हृदय रोगों का खतरा है
– 25-40 वर्ष आयु वर्ग की 60% शहरी और साथ ही ग्रामीण महिलाएं हृदय रोगों से अनजान थीं।
– 50% से अधिक कॉर्पोरेट कर्मचारी (पुरुष और महिला, दोनों) उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों से पीड़ित हैं।
– वायु प्रदूषण (उद्योगों, वाहनों आदि की वजह से) दिल्ली में अब तक के उच्चतम स्तर पर है, जो दिल की बीमारियों की ओर ले जा रहा है। इस परिस्थिति से शहरी इलाकों के बच्चे और बुजुर्ग सबसे अधिक प्रभावित है
– अस्वास्थ्यकर जीवनशैली, तनाव, धूम्रपान और शराब सेवन के कारण 30 वर्ष की युवा जनसंख्या हृदय रोगों के उच्च जोखिम में है
– 45% शहरी और 43% ग्रामीण लोगों में उच्च कोलेस्ट्रॉल का पता चला था। जंक फूड और रेडी-टु-ईट मील को पसंद किया जाता है। दूसरी तरफ, सब्जी, फलों और साबुत अनाज का उपभोग कम हो गया है। ये सब शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को बढ़ा सकते हैं, जो रक्त वाहिकाओं में अवरोध पैदा कर सकता है
प्रदूषण, धूम्रपान, उच्च तनाव स्तर और निष्क्रिय जीवनशैली ऐसे कारक हैं, जिन्होंने दिल्ली में हृदय और धमनियों के रोगों (सीवीडी) का बोझ बढ़ाया है। ऐसे समय में, जब ये रोग और बढ़ रहे हैं, जोखिम कारकों को समझना और उनके उन्मूलन की दिशा में काम करना खासतौर पर तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जब किसी के मामले में हृदय रोगों का पारिवारिक इतिहास भी है।

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