लाइफस्टाइलस्वास्थ्य

बच्चों में किडनी से संबंधित समस्याओं के लिए तेजी से बढ़ रहा है की-होल सर्जरी का चलन

डॉ. संदीप कुमार सिंहा, एमबीबीएस (रांची), एमएस (दिल्ली), एमसीएच(लखनऊ), फैलो (ब्रमिंघम चिल्ड्रन हॉस्पिटल, यूके), पूर्व प्रोफेसर (पीडियाट्रिक सर्जन), मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, दिल्ली, सीनियर कंसल्टेंट-पीडियाट्रिक सर्जरी, रेनबो चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल, नई दिल्ली

कुछ बच्चे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के साथ जन्म लेते हैं, या बहुत छोटी उम्र में ही गंभीर बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। शुरूआत में तो माता-पिता और परिवार के दूसरे लोग समझ नहीं पाते कि समस्या क्या है, लेकिन कईं बार ऐसा होता है कि बच्चे की स्वास्थ्य समस्या के बारे में पता होने के बाद भी माता-पिता बच्चे की कम उम्र को देखते हुए सर्जरी जैसे उपचार कराने से घबराते हैं। लेकिन की-होल सर्जरी ने सर्जरी को कम पीड़ादायक और आसान बना दिया है। पहले किडनी से संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए व्यस्कों में की-होल तकनीक से सर्जरी की जाती थी लेकिन अब बच्चों ही नहीं नवजात शिशुओं में भी इसका प्रचलन तेजी से बढ़ा है।

  • बच्चों के लिए क्यों बेहतर है की-होल सर्जरी?

पारंपरिक रूप से की जाने वाली किडनी सर्जरी में बड़े-बड़े चीरे लगाए जाते हैं, अस्पताल में कईं दिनों तक रूकना पड़ता है और रिकवरी में समय भी अधिक लगता है। जबकि की-होल सर्जरी में पेट के निचले हिस्से की दीवार में छोटे-छोटे छेद किए जाते हैं, इनका आकार कुछ मिलि मीटर से बड़ा नहीं होता। इन छेदों से एब्डामिनल कैविटी (पेट की गुहा) में सर्जिकल इंस्ट्रुमेंट्स और लैप्रोस्कोप डाला जाता है जिसमें किडनी तक पहुंचने के लिए लाइट और कैमरा भी होता है। इसे मिनिमली इनवेसिव सर्जरी या लैप्रोस्कोपिक सर्जरी भी कहते हैं।
कुछ सालों पहले तक की-होल सर्जरी केवल व्यस्कों में ही की जाती थी, क्योंकि नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों की एब्डामिनल कैविटी (पेट की गुहा) छोटी होती है, सर्जरी के लिए विशेष रूप से निर्मित छोटे औजारों की अनुपलब्धता, विकसित इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी और कुशल व प्रशिक्षित डॉक्टरों के अभाव के कारण भी बच्चों में की-होल सर्जरी संभव नहीं हो पाती थी। लेकिन अब बच्चों में भी किडनी से संबंधित समस्याओं के लिए की जाने वाली विभिन्न सर्जरियों में इस तकनीक का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है।

  • किडनी संबंधी समस्याओं के लिए की-होल सर्जरी

बच्चों के शरीर का आकार बहुत छोटा होता है, ऐसे में सर्जरी करने के लिए उपयुक्त स्थान न मिल पाना सबसे बड़ी समस्या है, इसे दूर करने के लिए कार्बन डाय ऑक्साइड गैस का इस्तेमाल कर अस्थायी रूप से पेट की गुहा को फुलाया जाता है, ताकि सर्जन पेट के अंदर के अंग देख सके और सर्जरी कर सके। सर्जरी पूरी होने के पश्चात गैस निकाल दी जाती है।
बच्चों में ये सर्जरी किडनी स्टोन्स, युरेट्रो पेल्विक जंक्शन (यूपीजे) ऑब्सट्रक्शन, नेफ्रोक्टोमी (सर्जरी के द्वारा किडनी निकालना) के लिए की जाती है। यूपीजे, बच्चों में होने वाली एक आम समस्या है, 2-3 महीने के छोटे-छोटे बच्चों में भी की-होल तकनीक ने सर्जरी को संभव बनाया है।

  • युरेट्रो पेल्विक जंक्शन (यूपीजे) ऑब्सट्रक्शन

यूपीजे के कारण किडनी ब्लॉक हो जाती है। अधिकतर मामलों में यह रीनल पेल्विस पर ब्लॉक होती है, जहां किडनी दोनों में से एक युरेटर (ट्यूब जो ब्लैडर तक यूरीन ले जाती है) से जुड़ती है। ब्लॉकेज के कारण किडनी से यूरीन का प्रवाह धीमा या ब्लॉक हो जाता है। अगर इसका उपचार न कराया जाए तो किडनी की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है और किडनी फेल होने का खतरा बढ़ जाता है।
अगर किसी बच्चे को यह समस्या है तो माता-पिता को घबराना नहीं चाहिए, इसका पूरी तरह उपचार संभव है, की-होल सर्जरी ने इसे काफी आसान बना दिया है।

  • किडनी स्टोन

की-होल सर्जरी ने किडनी स्टोन्स के लिए की जाने वाली सर्जरी को भी आसान बना दिया है। ये उन बच्चों के लिए अधिक लाभदायक है जिन्हें एक बड़ा रीनल स्टोन है, परक्युटैनियस नेफ्रोलिथोटोमी (पीसीएनएल) भी बच्चों में की जाती है।

  • नेफ्रोक्टोमी

नेफ्रेक्टोमी सर्जिकल प्रक्रिया है जो पूरी किडनी या किडनी के कुछ भाग को निकालने के लिए की जाती है। ये सामान्यता उस किडनी के लिए की जाती है, जो अपना सामान्य कार्य नहीं कर रही है, जिसके कारण बच्चों में संक्रमण या उच्च रक्तदाब की समस्या हो रही है।

  • की-होल सर्जरी की विशेषताएं
  1. की-होल सर्जरी में छोटे-छोटे छेद किए जाते हैं, जिससे त्वचा, उतकों और आसपास के अंगों को को कम नुकसान पहुंचता है।
  2. खून कम निकलता है और जटिलताएं होने की आशंका भी कम होती है।
  3. मरीज को अस्पताल में अधिक नहीं रूकना पड़ता है, रिकवर होने में भी कम समय लगता है।

की-होल सर्जरी में मरीज को शारीरिक और भावनात्मक ट्रॉमा कम होता है, इसलिए ये बच्चों के लिए बहुत बेहतर है। बच्चों को सारी जिंदगी चीरे और टांकों के निशान के साथ जीना पड़ता है, जिसके कारण कईं बार मनोवैज्ञानिक समस्याएं हो जाती हैं। ये निशान उन्हें हमेशा याद दिलाते हैं कि उनके शरीर में कोई समस्या है। इसे की-होल सर्जरी के द्वारा रोका जा सकता है, इसीलिए इसे स्कारलेस सर्जरी भी कहते हैं।

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