पेंशन के लिए आपातकाल पीड़ितों ने लगायी मोदी सरकार से गुहार
नई दिल्ली। देश के 24 राज्यों से ‘अखिल भारतीय लोकतंत्र सेनानी संयुक्त संधर्ष समिति’ से आये हुए पदाधिकारी आज नई दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया पर 25 अगस्त को प्रेस कांफ्रेस करेंगे । अखिल भारतीय लोकतंत्र सेनानी संयुक्त संघर्ष समिति की यह मांग कि है भारत के बाकी बचे राज्यों के आपातकाल पीड़ितों को ‘स्वतंत्रा सेनानी’ का दर्जा दिया जाए व उन्हें उचित सम्मान जनक सुविधा पूर्व जीवन जीने की व्यवस्था केन्द्र सरकार करें।
उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हाईकोर्टों ने भी अपने नियम में यह कहा है कि यह समाज व सरकारों का दायित्व है कि राष्ट्र व समाज के लिए लोकतान्त्रिक मूल्यों, मौलिक अधिकारों व मीडिया की स्वतंत्रता के लिए, संघर्ष करते वक्त पीड़ित दमनित सेनानियों की देखभाल कर उचित सम्मान दे। मद्रास हाईकोर्ट ने तो यह तक कहा है कि, “ऐसे सेनानियों की देखरेख करना कोई चैरिटी (खैरात) नहीं है।“
आश्चर्य की बात है कि केन्द्र सरकारों व राज्य सरकारें ने 1921-22 के मोपला विद्रोहियों, खिलाफत (1919-22) आन्दोलनकारियों, स्वतंत्रता विरोधी त्रावनकोर आंदोलन, चीन सर्मथक कम्युनिस्ट आंदोलनो के संधर्षकारियों इत्यादियों को सम्मान निधि पेंशन दे रही है। अकेले केन्द्र सरकार ने 2017-20 के दौरान 2525 करोड़ की व्यवस्था इस हेतु कर रखी है तथा तदनुसार 1980 से भी अब तक जोड़ें तो मात्र 38 वर्षो में 7000 से 8000 करोड़ रूपये उक्त स्वतन्त्रता सेनानियों की सम्मान पेंशन पर खर्च किये है, जिनमें राष्ट्र का अधिकतर पैसा आयोग्यों को जा रहा है। जबकि राष्ट्रीय आंदोलनकारियों व लोकतंत्र मौलिक आधिकारों, प्रैस स्वातंत्र्य के लिए तथा आपातकाल के विरुध लड़ने वालों को अस्वीकृत, उदासीन, उपेक्षित अभावग्रस्त और पीड़ित छोड़ दिया गया है।
श्री गोवर्धन प्रसाद अटल, अध्यक्ष, ने कहा “अखिल भारतीय लोकतंत्र सेनानी संयुक्त संधर्ष समिति उपरोक्त अयोग्यों की पेंशन की जांच की मांग करती है। संधर्ष समिति यह भी मांग करती है कि पुलिस व्यवस्था व मानसिकता में बदलाव के लिए, सरकार सक्रिय सकरात्मक उचित कदम उठावे व यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में स्वतंत्र भारत की पुलिस अपने ही नागरिकों के प्रति वैसा दमन, अत्याचार व अमानवीयता न कर सके। राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने केन्द्र सरकार से यह मांग की कि शेष बचे राज्यों के लोकतंत्र सेनानियों को स्वतंत्रता सेनानियों का दर्जा देकर उन्हें सम्मानपूर्वक प्रतिष्ठित करने के लिए, अविलंब निर्णय ले व उचित कार्यवाही करें। इस बाबत स्मारक पत्र भारत के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्रि को भेजा गया है।“