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ईपीएस-95 पेंशनर्स ने श्रम मंत्री पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए श्रम मंत्री के दिल्ली और बरेली स्थित आवास पर पेंशनर्स ने दिया धरना

दिल्ली। 23 जनवरी को हजारों की तादाद में ईपीएस-95 के बुजुर्ग पेंशनर्स ने श्रम मंत्री श्री संतोष कुमार गंगवार के दिल्ली और बरेली स्थित आवास के सामने आंदोलन किया। ऑल इंडिया ईपीएस-95 पेंशनर्स संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने बताया कि “यदी हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो 26 जनवरी को यह आंदोलन और सामूहिक अनशन देश भर के सभी जिलों में होगा। अगर सरकार हमे जीने लायक पेंशन नही दे सकती तो राष्ट्रपति हमे सम्मान से मरने की अनुमति दें। 300 जिलो में ईपीएस-95 पेंशनर्स ने यह आन्दोलन किया, पिछले साल 4 से 7 दिसंबर तक आंदोलन के दौरान श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने हमारी मांगों को पूरा करने का ठोस आश्वासन दिया था, जिससे 7 दिसंबर को पेंशन धारकों ने सामूहिक आत्मदाह का कार्यक्रम स्थगित कर दिया था। उन्होंने कहा कि पेंशनर्स को इतनी महंगाई के जमाने में मात्र 200 रुपये से लेकर 2500 तक की पेंशन मिल रही है। इतने कम पैसे में कोई महीने भर अपना गुजारा कैसे कर सकता है”?
नेशनल ऐगिएशन कमेटी (एनएसी) के अध्यक्ष प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि “लाखों पेंशन धारकों ने राष्ट्रपति को इच्छा मृत्यु की अनुमति देने के लिए भी पत्र भेजा है। बुजुर्ग पेंशन धारकों का कहना है कि ईपीएफ पेंशन के लिए संघर्ष कर रहे लोग 60 से 80 वर्ष की उम्र के हैं। उनके पास ज्यादा जिंदगी नहीं बची है। अब जीवन की सांझ में उन्हें मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। रोज-रोज तिल-तिल कर मरने से ज्यादा अच्छा एक ही दिन अपनी जिंदगी खत्म कर लेना है। एक साल के भीतर 1 से 2 लाख पेंशनर्स की मौत हो चुकी है। राष्ट्रपति को इच्छा मृत्यु के पत्र भेजने का सिलसिला लगातार जारी है। इसमें से बहुत से पेंशन धारकों ने अपने खून से हस्ताक्षर कर राष्ट्रपति को पत्र भेजा है”।
राउत ने बताया कि श्रम मंत्री के आश्वासन की पूर्ति न होने पर पिछले साल 24 दिसंबर से महाराष्ट्र के बुलडाणा में पेंशन धारक अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल कर रहे थे, और अब 23 जनवरी को उन्होने संतोष गंगवार के आवास के आगे आंदोलन किया। इस तरह के आंदोलन देश भर के अन्य जिलों में आयोजित कर बुजर्ग पेंशन धारक अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचाएंगे। आज भी करीब 17 लाख पेंशन धारकों को 1000 रुपये से भी कम पेंशन मिल रही है। पेंशन धारक इतने परेशान हैं कि वह अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करने के अलावा सांसदों के घरों और दफ्तरों का घेराव भी चुके है। पेंशनर्स मुंडन करवाकर और भिक्षा मांगकर भी अपना विरोध जता चुके हैं। अब पेंशनर्स का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और श्रम मंत्री ने हमारी मांगों के संदर्भ में जल्दी ही उचित कदम नहीं उठाए तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
ईपीएस-95 पेंशनर्स संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने बताया कि कमरतोड़ महंगाई के जमाने में ईपीएस-95 के पेंशनर्स ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर पेंशन मिलने से गरीबी और अभाव की जिंदगी बिताने के लिए मजबूर हैं। आज करीब 60 लाख पेंशनर्स में से 40 लाख लोगों को 1500 रुपये महीने से भी कम पेंशन मिल रही है। उन्होंने बताया कि ईपीएस-95 के हर पेंशन धारक ने अपने पूरे सर्विस पीरियड में हर महीने पेंशन फंड में अंशदान दिया है। यह राशि कम से कम 15 से 20 लाख रुपये हो गई है। इस योजना से पूंजी की वापसी भी बंद हो गई है। पेंशन धारक 2013 की कोशियारी समिति की सिफारिशों के अनुसार 7500 रुपये मासिक पेंशन, उस पर 5000 रुपये महंगाई भत्ते और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार वास्तविक वेतन पर उच्चतम पेंशन की मांग कर रहे हैं।
राउत ने बताया कि पेंशन धारकों की यह भी मांग है कि जिन पेंशनर्स को ईपीएस-95 योजना में शामिल नहीं किया गया है, उन्हें पेंशन योजना में भागीदार बनाया जाए। ईपीएस-95 के सदस्यों और उनकी पत्नी को मुफ्त मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हो, 20 साल तक काम करने वाले पेंशनर्स को नियमानुसार दो साल का वेटेज दिया जाए और ईपीएस की सदस्यता में बढ़ोतरी की जाए और उन्हें मिलने वाली न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये से बढ़ाकर 7500 रुपये की जाए और पेंशन को महंगाई भत्ते से जोड़ा जाए।
राउत ने बताया कि केंद्र के पास पेंशनर्स से जमा किए गए फंड के तहत 4 लाख करोड़ से अधिक रुपये जमा हैं, जिस पर सरकार ब्याज कमा रही है, लेकिन पेंशन धारकों को उनका हक नहीं मिल रहा है।

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