सफल हुई भारत के चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग
श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष मिशन के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा चंद्रयान-2, 22 जुलाई 2019 को 2.43 बजे श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। यह सैटेलाइट करीब 48 दिन में चंद्रमा पर पहुंचेगा। दिलचस्प बात यह है कि चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा।
बता दें कि अभी तक चांद के जितने भी मिशन रहे हैं वे दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरे हैं। चांद के इस हिस्से के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। इतना ही नहीं चांद पर पहुंच चुके अमेरिका, रूस और चीन ने भी अभी तक इस जगह पर कदम नहीं रखा है। भारत के चंद्रयान-1 मिशन के दौरान ही दक्षिणी ध्रुव पर पानी के बारे में पता चला था।
इसके बाद से ही पूरी दुनिया में चांद के साउथ पोल यानी दक्षिणी ध्रुव के बारे में रूचि जगी थी। चंद्रयान-2 के जरिए भारत दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद उन सभी संभावनाओं की खोज कर सकता है जिससे करीब 500 साल तक देश की ऊर्जा की जरूरतें पूरी की जा सकती हैं।
चांद का दक्षिणी ध्रुव कई मायनों में दिलचस्प है, इस पोल का बड़ा हिस्सा नॉर्थ पोल की तुलना में अधिक छाया में रहता है। इस बात की पूरी संभावना है कि इसी हिस्से में पानी हो सकता है। चंद्रयान-2 का रोवर प्रज्ञान वहां पता लगाएगा कि कितने भाग में पानी है। चंद्रयान-2 को इसरो ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल- मार्क 3 (जीएसएलवी-एमके 3) से लॉन्च किया है।
इससे पहले चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई की रात 2.51 बजे होनी थी, जो तकनीकी खराबी के कारण टाल दी गई थी। इसरो ने एक हफ्ते के अंदर सभी तकनीकी खामियों को ठीक कर लिया है। 15 जुलाई की रात मिशन की शुरुआत से करीब 56 मिनट पहले इसरो ने ट्वीट कर लॉन्चिंग आगे बढ़ाने का ऐलान किया था।