सारदा चिटफंड केस : सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार से एक हफ्ते में मांगा जवाब
नई दिल्ली। सारदा चिटफंड घोटाला मामले में सीबीआई की पश्चिम बंगाल के आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने राजीव कुमार से एक हफ्ते के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया है। सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अगर हमें जरूरी लगा तो हम गिरफ्तारी पर लगी रोक हटा देंगे। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सीबीआई के सभी दस्तावेजों पर सीबीआई निदेशक खुद हस्ताक्षर करें। दरअसल सीबीआई ने याचिका दायर कर कहा है कि राजीव कुमार ने एसआईटी प्रमुख रहते हुए बड़े लोगों को बचाया और सबूत नष्ट किए। सीबीआई ने अपनी अर्जी में कहा है कि राजीव कुमार से शिलांग में हुई पूछताछ में सहयोग नहीं किया। सीबीआई ने मांग किया है कि सुप्रीम कोर्ट राजीव कुमार को गिरफ्तार करने पर लगाई गई अंतरिम रोक को हटा ले। 26 मार्च को पश्चिम बंगाल के आईपीएस राजीव कुमार से पूछताछ पर सीबीआई की सीलबंद रिपोर्ट देखकर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि इसमें दर्ज बातें बेहद गंभीर हैं। कोर्ट ने कहा था कि रिपोर्ट सीलबंद है इसलिए अभी कोई आदेश नहीं दे रहे हैं। सीबीआई चाहे तो 10 दिन में उपयुक्त अर्जी दाखिल करे। इसके बाद राजीव कुमार 10 दिन में जवाब दाखिल कर सकते हैं। कोर्ट के इसी फैसले के बाद सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। 29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सारदा चिटफंड मामले में सीबीआई की वोडाफोन और एयरटेल के खिलाफ कॉल डाटा रिकॉर्ड उपलब्ध कराने में सहय करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए वोडाफोन और एयरटेल को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने 8 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। सीबीआई का कहना है कि दोनों टेलीकॉम कंपनियां घोटाले से जुड़े लोगों का कॉल डेटा रिकॉर्ड उपलब्ध कराने में सहयोग नहीं कर रही हैं। इससे जांच आगे बढ़ाने में दिक्कत आ रही है। इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर पश्चिम बंगाल के पुलिस अफसरों पर कार्रवाई करने की मांग की थी। गृह मंत्रालय ने कहा है कि 5 आईपीएस अधिकारी पिछले 4 फरवरी को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ राजनीतिक धरने पर बैठे थे। अपने हलफनामे में गृह मंत्रालय ने कहा था कि पूछताछ में पता चला है कि कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार चार अन्य आईपीएस अफसरों के साथ धरने पर बैठे थे। गृह मंत्रालय ने कहा था कि संसदीय चुनाव के मद्देनजर पांच आईपीएस अफसरों के आचरण के बारे में निर्वाचन आयोग को भी लिखा गया है। पिछले 27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वो आरोपितों के कॉल डाटा रिकॉर्ड (सीडीआर) से छेड़छाड़ पर हलफमाना दायर करें। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि अगर सीडीआर से बड़े लोगों के नाम मिटाने का आरोप सही है तो ये बहुत गंभीर बात है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि सीबीआई को ये पता चला कि राजीव कुमार के नेतृत्व वाली एसआईटी ने सीडीआर से कुछ महत्वपूर्ण लोगों के नंबरों को हटा दिया। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि अगर सीडीआर से छेड़छाड़ की गई है तो ये एक गंभीर अपराध है। इसके परिणाम भुगतने होंगे। चीफ जस्टिस ने कहा था कि सीबीआई की ओर से दायर हलफनामे में अधूरी जानकारी है। जून 2018 में जो हुआ वह फरवरी के बार हमारे ध्यान में लाया जा रहा है। क्या हमें विश्वास में लेना आपका दायित्व नहीं था। ऐसे में सीबीआई इस बाबत विस्तार से जानकारी दे।