डॉ मजूमदार की डीसीआई सदस्यता अवैधानिक, कार्यवाही की मांग
दिल्ली। डेंटल कौंसिल ऑफ इंडिया के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ दिब्येंदु मजूमदार के खिलाफ शिकायत के सन्दर्भ में स्वास्थ मंत्रालय, भारत सरकार के उपसचिव डी वी के राव ने डेंटल कौंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआई) के सचिव को पत्र लिखकर कहा है की मंत्रालय में इस मामले की जाँच की गयी और यह पाया की मंत्रालय ने डेंटिस्ट एक्ट 1948 की धारा 3 के तहत डी.सी.आई. सदस्यों के चुनाव की अधिसूचना जारी करने का फैसला किया था। इस सन्दर्भ में कौंसिल से कहा गया था की वह डॉ. मजूमदार समेत सभी सदस्यों के सन्दर्भ में आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध करवाए।
हालांकि डॉ. मजूमदार के सन्दर्भ में डी.सी.आई सदस्यता की अधिसूचना नहीं जारी की जा सकी, क्योंकि पक्षिम बंगाल सरकार ने निर्धारित समय में विजिलेंस क्लीयरेंस उपलब्ध नहीं कराया। डेंटिस्ट एक्ट 1948 के तहत प्रत्येक विवि के डेंटल फैकल्टी से एक सदस्य को डीसीआई का सदस्य चुना जाता है तथा एमडीएस कोर्सेस रेगुलेशन 2017 के क्लॉज 17 (डी) (7) के तहत डेंटल शिक्षकों या डीन या प्राध्यापक के पदों के अगेंस्ट सेवा में व्यक्ति की नियुक्ति, सेवा विस्तार या पुनर्नियुक्ति के लिए अधिकतम उम्र सीमा 65 है। चूँकि 9/7/2019 को डॉ मजूमदार 65 के हो चुके थे। लिहाजा यूनिवर्सिटी कानून/अध्यादेश के प्रावधानों के तहत उन्हें डेंटल टीचर/फैकल्टी के तौर पर शामिल नहीं किया जा सकता था। मंत्रालय ने सी डब्ल्यू जे सी 5251?2016 में पटना हाईकोर्ट के फैसले पर भी गौर किया जिसमे कहा गया की विजिटिंग प्रोफेसर किसी संस्थान का फैकल्टी नहीं बन सकता। उपरोक्त तथ्यों व कानूनी प्रावधानों के तहत डॉ मजूमदार की डी सी आई सदस्यता उसी दिन समाप्त हो गयी। जिस दिन उनकी उम्र 65 वर्ष हुई। लिहाजा इस मामले में उचित कार्रवाही करनी चाहिए और इसकी जानकारी तुरंत मंत्रालय को दी जाये।