राष्ट्रीय

विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य प्रदर्शनी के 9वें संस्करण का गोवा में मुख्यमंत्री डॉ प्रमोद सावंत ने किया उद्घाटन

पंजिम (गोवा) । आयुर्वेद को एक प्रमाणिक , सस्ती और समग्र स्वास्थ्य देख-भाल प्रणाली के रूप में वैश्विक स्तर पर प्रासित करने के लक्ष्य के साथ आयोजित विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य प्रदर्शनी के 9वें संस्करण का गुरुवार को धनवंतरि-वंदना के साथ यहां गोवा के मुख्यमंत्री डॉ प्रमोद सावंत ने उद्घाटन किया ।
आयुष मंत्रालय और गैर सरकारी संगठन विज्ञान भारतीय द्वारा पिछले करीब दो दशक से आयोजित किए जा रहे इस सम्मेलन में पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ ) भी भाग ले रहा है।
केंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल और केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई कालूभाई व्यस्ता के कारण इस सम्मेलने के उद्घाटन सत्र में शामिन नहीं हो सके। वे यहां कल आने वाले हैं।
मुख्यमंत्री डॉ सावंत ने केंद्र सरकार के लगातार सहयोग से गोवा को कहा , ‘ मुझे स्वयं एक आयुर्वेदिक चिकित्सक होने के नाते औषधीय वनस्पतियों से परिपूर्ण इस परशुराम भूमि, गोमंत भूमि में विश्व आयुर्वेद सम्मेलन के आयोजन पर अति प्रसन्नता है।’उन्होंने कहा कि आयुवैदिक चिकिस्ता प्रणाली दुनिया को भारत की देन है। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने योग और आयुर्वेद जैसे हमारे परंपरागत ज्ञान के खजाने प्रति विश्व में जगारूकता बढ़ा कर भारत को एक नयी ऊंचायी पर पहुंचाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने ही आजादी के बाद देश में आयुष और भारतीय तथा यूनानी चिकित्सा पद्धतियों के लिए पहली बार अलग मंत्रालय की व्यवस्था की, इस क्षेत्र में एक एक हितधारक के रुप में गोवा आयुष मंत्रालय के गठन के लिए प्रधानमंत्री मोदी का ऋणी रहेगा।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी लगातार प्रयास से संयुक्त राष्ट्र महासंघ ने मानवता के कल्याण के लिए 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया है और दुनिया के 118 देशों में योग दिवस मनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने दुनिया के लोगों को आयुष आधारित चिकिस्ता और स्वास्थ्य संवर्धन के लिए आयुष वीजा जारी करने करने की प्रधानमंत्री श्री मोदी की सोच की सराहनीय की। उन्होंने गोवा में आयुष चिकित्सा के बड़े अवसरों की ओर संकेत करते हुए कहा कि उनके राज्य को केंद्र सरकार के सहयोग से देश का दूसरा अखिल भारती अंयुविज्ञान संस्थान और आयूष अस्पाला मिला है। यहां स्नातक एवं स्नातकोत्त तथा पीएचडी के पाठ्यक्रम होंगे और इनमें गोवा राज्य के विद्यार्थियों को 50 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा ,‘हम सौभग्यशाली है कि हमारे ही राज्य के श्रीयुत श्रीपाद नायिक देश के पहले आयुष मंत्री बने थे। आयुर्वेद, सिद्ध, होमोपैथी और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों को प्रचारित करने में उनका योगदान सराहनीय है। गोवा के मुख्यमंत्री ने कहा , ‘ मेरी राय में आयुर्वेद विश्व स्तर पर भारत का सबसे बड़ा ब्रांड एम्बेसडर है और इसका प्रचार प्रसार करना हमारा कर्तव्य है।’
मुख्यमंत्री डॉ सावंत ने विश्वास जताया कि इस सम्मेलन की चार्च दिन की चर्चा से आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली के विश्वस्तर पर प्रचार प्रसार की दिशा में नयी ठोस पहल होगी।
आयुष मंत्रालय के पहले प्रभारी मंत्री रहे केंद्रीय बंदरगाहर और पर्यटन मंत्री श्रीयुत श्रीपाद यशो नाइक ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय मनीषियों की भावना रही है कि ज्ञान का प्रयोग मानव कल्याण के जिए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘श्री मोदी ने प्रधानमंत्री पद ग्रहण करने के बाद जो पहले काम किए उनमें आयुष मंत्रालय का गठन भी है। आज जिस तरह आयुष का विकास हो रहा है उसके लिए प्रधानमंत्री धन्यवाद के पात्र हैं। उन्होंने योग तथा आयुवेद जैसी ज्ञान की भारतीय पद्धतियों को जिस तरह दुनिया के सामने रखा है वह हमारे प्रचान मनीषियों की इस भावना के अनुरूप है कि हमारे पर जो कुछ भी है वह विश्व कल्याण के लिए है।’
उद्घाटन सत्र में आयुष मंत्रालय के सचिव श्री राजेश कोटेचा ने कहा कि आयुष मंत्रालय के गठन के बाद पिछले इस क्षेत्र में तेजी से प्रगति हो रही है। उन्होंने बताया कि आयुष मंत्रालय के गठन की घोषणा प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा 2014 में नयी दिल्ली की विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के समापन में की गयी थी। इन आठ वर्षों में मंत्रालय का बजट पांच गुना बढ़ गया है। श्री कोटेचा ने कहा “जब 2014 में आयुष मंत्रालय स्थापित किया गया था, तो भारत की पारंपरिक औषधि एवं स्वास्थ्य प्रणालियों के प्रोत्साहन के लिए इस मंत्रालय का बजट 691 करोड़ रुपये था। आज यह प्रस्तावित 3,600 करोड़ रुपये है।’ उन्होंने कहा कि इस दौरान आयुष के क्षेत्र में विनिर्माण में भी हुई उल्लेखनीय प्रगति हुई है। आयुष सचिव ने इसी संदर्भ में कहा, “सीआईआई के एक अध्ययन के अनुसार 2014 में आयुष क्षेत्र का उत्पादन तीन अरब डॉलर था। यह 2022 में बढ़ कर 18 अरब डॉलर के बराबर हो गया है। “
उन्होंने कहा 2020 की गर्मियों में, जब महामारी ने दुनिया को हाल के दिनों में सबसे खराब स्वास्थ्य संकट दिया, भारत ने अपनी पारंपरिक दवाओं को नए कोरोनोवायरस का प्रतिरोध करने में सहायक पाया। उन्होंने कहा कि “हमारे कोविड प्रबंधन प्रयासों ने अच्छा काम किया, जिससे देश की 90 प्रतिशत आबादी वैकल्पिक दवाओं का उपयोग करने के लिए प्रेरित हुई।”
श्री कोटेचा ने कि भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से जामनगर (गुजरात) में आयुष के ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना कर रहा है । यह केंद्र भारत की परम्परागत चिकित्सा प्रणालियों के इस क्षेत्र में तकनीकी प्रगति और साक्ष्य-आधारित अनुसंधान का एक उत्कृष्ट केंद्र है, और इससे जिससे भारत की वैकल्पिक प्रणालियों को वैश्विक मान्यता मिलने में बड़ी सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि , “देश के भीतर, इस संस्थान को आईआईटी, आईआईएम या एम्स के बराबर दर्जा प्राप्त होगा।” श्री कोटेचा ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री श्री मोदी इस सम्मेलन के समापन सत्र में इस सस्थान के गोवा, नरेला (दिल्ली) और गाजियाबाद में तीन सेटेलाइट केंद्रों की घोषणा करेंगे जो क्रमश आयुष, होम्योपैथी और यूनानी चिकिम्सा पद्धति के क्षेत्र में काम करेंगे ।”
इस अवसर पर ज्ञान भारती के मार्गदर्शक श्री सुनील आंबेकर ने कहा , ‘विश्व आयुर्वेद सम्मेलन विश्व को आयुर्वेद की शुद्ध परम्परा के प्रति जागृत करने का हमाभियान है। उन्होंने इस अभियान में केंद्र , राज्य सरकारों और उत्पादकों के सहयोग के लिए उनका धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि योग और आयुर्वेद जैसे भारत के परंपरागत ज्ञान को उभारा जाए तो ये सम्पूर्ण मानवता के कल्याण का बड़ा साधन हो सकते हैं। ’
श्री आंबेकर ने कहा कि आयुर्वेदिक प्रणाली की शुद्धता के लिए संस्कृत के साथ इसके संबंध के महत्व को समझना और उसको बरकार रखना महत्वपूर्ण है। श्री आंम्बेकर ने नयी पीढ़ी में चिकित्सा के परम्परागत नुस्खों का ज्ञान बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों के बीच प्रतिस्पर्धाएं आयोजिति करने की सलाह भी दी।
उद्घाटन समारोह में अन्य वक्ताओं में पंजाब के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान मंत्री श्री चेतन सिंह जौरामाजरा, उत्तर प्रदेश के आयुष राज्य मंत्री दया शंकर मिश्रा, विज्ञान भारती के सचिव श्री प्रवीण रामदास, डब्ल्यूएसी के महासचिव श्री अनूप शामिल थे। डब्ल्यूएसी के प्रबंध न्यासी जयप्रकाश नारायण ने उद्घाटन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
उद्घाटन समारोह में अन्य वक्ताओं में पंजाब के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान मंत्री श्री चेतन सिंह जौरामाजरा, उत्तर प्रदेश के आयुष राज्य मंत्री दया शंकर मिश्रा, विज्ञान भारती के सचिव श्री प्रवीण रामदास, डब्ल्यूएसी के महासचिव श्री अनूप शामिल थे।
डब्ल्यूएसी के प्रबंध न्यासी जयप्रकाश नारायण ने उद्घाटन सत्र के अंत में धन्यवाद प्रस्ताव रखा। इस सत्र में वक्ताओं ने कहा कि यह आयोजन तेजी से वैश्विक पहुंच के साथ एक प्रामाणिक और सस्ती समग्र उपचार प्रणाली के रूप में, आयुर्वेद में नई गतिशीलता लाने की कोशिश में किया जाने वाला प्रयास है । इस में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के शिक्षकों , छात्रों , चिकित्सकों और उत्पादक कंपनियों के अलावा औषधीय वनस्पतियों की खेती करने वाले किसान भी भाग ले रहे हैं।
आयोजकों ने कहा कि विज्ञान भारती की एक पहल, विश्व आयुर्वेद फाउंडेशन, केंद्रीय आयुष मंत्रालय और गोवा सरकारके सहयोग से आयोजितयह सम्मेलन आयुर्वेद के वैश्वीकरण के लिए एक दिशा-निर्देश तैयार करने और एक विश्वसनीय, वैज्ञानिक और रोकथाम-उन्मुख स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के रूप में इसकी क्षमता का उपयोग करने का प्रयास करेगा।
पहली बार संयुक्त राष्ट्र का विश्व स्वास्थ्य संगठन इस सम्मेलन में भाग ले रहा है। इसमें छह पूर्ण सत्रों और समवर्ती सत्रों के अलावा 20 उसे जुड़े कार्यक्रम भी होंगे जिनमें अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों की सभा, पारंपरिक दवाओं पर डब्ल्यूएचओ कार्यक्रम और गुरु-शिष्य बैठक जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। इसके अलावा, मौखिक, ई-पुस्तक और पोस्टर प्रस्तुतियों के लिए लगभग 3,800 परचों के सारांश भी प्रस्तुत किए जाएंगे।
विचार-विमर्श किए जाने वाले प्रमुख विषय —में आयुर्वेद के दायरे का विस्तार—नए युग की संभावनाएं (एक्सपेंडिंग द स्कोप ऑफ आयुर्वेद-न्यू एज प्रोस्पेक्ट्स); नवाचार और उद्यमिता; (इनोवेशंस एंड एंटरप्रेन्योरशिप)आयुर्वेद शिक्षा; (आयुर्वेदएजुकेशन), आयुर सूचना विज्ञान; (आयुर इंर्फोमेटिक्स), नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र; ( इनोवेटिव ईको-सिस्टम) स्वास्थ्य और पर्यावरण; (हेल्थ एंड एनवॉयरमेंट) और भारत में उपचार (हील इन इंडिया) जैसे विषय शामिल हैं।
कोविड-19 महामारी के मद्देनजर चुनौतीपूर्ण स्वास्थ्य चुनौतियों की परिप्रेक्ष्य में, चर्चा का एक प्रमुख विषय ‘आयुर्वेद के साथ महामारी का सामना करना’ भीहै।
आरोग्य प्रदर्शनी में इस आयोजन में क्रेता-विक्रेता बैठक भी हो रही हैं। प्रदर्शनी में बैद्यनाथ, डाबर, हिमालय, जीवा आयुर्वेद, महर्षि आयुर्वेद, केरल आयुर्वेद, चरक, इमामी, निरोगस्ट्रीट, नागार्जुन हर्बल कॉन्सेंट्रेट,संडू फार्मास्युटिकल्स, श्री धूतपापेश्वर लिमिटेड, श्री श्री ततवा, एसकेएम सिद्धा, सोमाथीरम, वैद्यरत्नम और श्री श्री आयुर्वेद, जैसे प्रमुख आयुर्वेदिक दवा निर्माताओं और वेलनेस संस्थानों के गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं को प्रदर्शित किया गया है।
विदेशी कंपनियों में फ़्लूर हिमालया (नेपाल); इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सॉल्यूशंस और एलवाईबीएल – लिव योर बेस्ट लाइफ (दोनों अमेरिका से), और अलवेदा लाइफ (रूस) प्रमुख हैं।
भारत में आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) क्षेत्र का बाजार जो 2014 में 300 करोड़ अमरीकी डॉलर था वह अब बढ़कर 1800 करोड़ अमरीकी डॉलर से अधिक हो गया है, यानी कि इसमें छह गुना की अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। 2014-2020 के दौरान, आयुष उद्योग में साल-दर-साल 17प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि आयुर्वेद बाजार में 2021-2026 तक 15प्रतिशत सीएजीआर (सालाना चक्रवृदिध दर) से बढ़ने का अनुमान है।

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