राजनीतिसंपादकीय

यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल बिजली कंपनी से छुटकारा दिलाने को लाम बन्द, उपभोक्ता भी आगे आकर दे सबूत !

-अख्तर खान ‘अकेला’
पत्रकार एवं एडवोकेट

राजस्थान के कोटा शहर में उपभक्ताओं का बिजली का बिल सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता जा रहा है। जो बिल पहले दो महीने का आता था वह अब एक महीने का आने लगा है। हर तरफ तेजी से बेतहाशा बढ़ती मंहगाई, आए दिन बढ़ते पेट्रोल, डीजल, गैस के दामों ने वैसे ही आम उपभोक्ता का जीना मुश्किल कर रखा है, ऊपर से कोटा में बिजली की के ई डी एल कम्पनी की खुली लूट पर उपभोक्ताा बेेेबस और लाचार है।
कोटा उत्तर विधान सभा क्षेत्र के विधायक एवं केबनेट मंत्री शांति कुमार धारीवाल बिजली के नाम पर लोगों की जेबों पर डाका डालने वाली बिजली कम्पनी पर कानूनी शिकंजा कसकर, बीस साल तक एग्रीमेंट रद्द नहीं करने की पाबंदियों के बावजूद भी भाजपा द्वारा किये गए गैर कानूनी एग्रीमेंट को रद्द करवाने की कोशिशों में जुटे है।
केईडीएल कम्पनी के जरिये बेहिसाब लूट के शिकार कोटा के बिजली उपभोक्ता ऐसी लूट संबंधित जो भी दस्तावेजी जानकारियां उपलब्ध कराये जिससे के ई डी एल की बेहिसाब लूट से कोटा वासियों को मुक्ति मिल सके। सभी को पता है जेवीवीएनएल का कोटा में बेहतर प्रदर्शन था लेकिन भाजपा की वसुंधरा सरकार के वक्त कोटा के बिजली उपभोक्ताओं को खुली लूट का शिकार बनाने के लिए पूर्व बिजली मंत्री पुष्पेंद्र सिंह की उपस्थिति में वर्ष 2016, 2017 में आयोजित अनौपचारिक बैठक में कोटा की बिजली व्यवस्था केईडीएल कम्पनी को देने और बीस साल पहले इस करार को किसी भी तरह से रद्द नहीं करने की कानूनी पाबंदियों को लगाने के लिए, स्वीकृत रूप भाजपा के तात्कालिक कोटा के सभी विधायक सीधे जिम्मेदार हैं। उस वक्त आयोजित सहमति बैठक में एक विधायक ओम बिरला अलबत्ता अनुपस्थित हो गए थे लेकिन उन्होंने विरोध नहीं किया इस कारण उनकी भी इस मामले में मोन सहमति ही मानी जाएगी। चंद्रकांता मेघवाल, प्रह्लाद गुजंल, भवानी सिंह राजावत, संदीप शर्मा सहित सभी भाजपा विधायक इस बैठक में मौजूद थे।
बड़ी अजीब बात है कोटा के बिजली उपभोक्ताओं को बीस साल तक की मनमाने एग्रीमेंट के नाम पर भाजपा सरकार ने केईडी एल के सामने खुली लूट के लिए शिकार बनाकर डाल दिया। कांग्रेस के सभी नेताओं में इस बिजली कम्पनी की उपभोक्ताओं से खुली लूट का मुखर विरोध किया था। खुद भाजपा इस मुद्दे पर बैकफुट पर रही भाजपा कार्यकाल में बिजली उपभोक्ताओं के खुली लूट के मुद्दों के बाद भी भाजपा के चुप्पी साधे रहे। सरकारी, अर्द्ध सरकारी, नगर निगम, नगर विकास न्यास सहित हर स्तर पर सरकार के बजट से भी करोड़ों करोड़ का भुगतान किया जाता रहा। आम बिजली उपभोक्ताओं को घर घर जाकर अपमानित और प्रताड़ित भी किया, गुंडों की फौज अप्रत्यक्ष रूप से अवैध बेनामी नियुक्ति के नाम पर डराया, धमकाया भी और आर्थिक रूप से शोषण भी किया।
जनता के समर्थन से राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी। सरकार बनते ही सबसे पहले केबिनेट मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने के ई डी एल को भगाने का फार्मूला तलाश किया लेकिन बीस साल का शर्तों के अनुबंध के साथ लिखे एग्रीमेंट को देखकर विधि विभाग हेरान रह गया कि किस तरह से कोटा के आम बिजली उपभोक्ता को भाजपा ने केईडीएल के सामने बंदिशों में बांध कर बीस साल तक लूट के लिए परोस दिया है।
शांति कुमार धारीवाल, जिनके लिए सभी जानते है, वह जो कहते हैं करके दिखाते हैं, जो वादा करते है निभा कर दिखते हैं। उनके सामने के ई डी एल का अनुबंध निरस्त करना एक बढ़ी चुनौती बन गया। कहावत है कि बकरे की माँ कब तक खेर मनाएगी, के ई डी एल एक तरफ तो आम बिजली उपभोक्ताओं को भारी बिलिंग के नाम पर लूट रही थी, दूसरी तरफ उसने अपनी लूट का शिकार सरकारी एजेंसियों को भी बना रखा था। के ई डी एल ने स्ट्रीट लाइट की बिलिंग के नाम पर कोटा नगर निगम, नगर विकास न्यास को जनवरी 2018 से दिसम्बर 2018 तक प्रस्तुत बिजली के बिलों में बीस करोड़ रूपये की बिलिंग राशि में करीब नो करोड़ तीस लाख रूपये की ज्यादा बिलिंग की। बिल 45 प्रति शत अधिक देखकर नगर निगम, नगर विकास न्यास के संबंधित अधिकारी चैंके, इसके पूर्व 2016, 2017 के अनुबंध के बाद के ई डी एल नगर निगम कोटा, विकास न्यास को 60 करोड़ रूपये की राशि के बिजली के बिल दे चुकी थी।
उक्त बिजली के बिलों की अधिक वसूली की पत्रावलियां खुद स्वायत शासन मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने तलब की और इसकी गंभीरता पर बिजली विशेषज्ञों से राय मशवरा किया। वह इस अधिक बिलिंग के नाम पर के ई डी एल द्वारा आम जनता और सरकारी विभागों से की जा रही लूट से स्तब्ध थे। उन्होंने विशेषज्ञ रिपोर्ट के लिए वरिष्ठ बिजली अधिकारीयों की समिति बनाई। महेंद्र बैरवा वरिष्ठ अभियंता ने कोटा नगर निगम, कोटा नगर विकास न्यास के बिजली अभियंताओं के साथ एक एक बिंदु और के ई डी एल द्वारा दिए गये बिजली के बिलों पर भौतिक सत्यापन के साथ सर्वेक्षण किया। जाँच में वरिष्ठ अभियंताओं ने पाया, कि केईडीएल ने नगर निगम, नगर विकास न्यास की बिना एप्लिकेशन के, बिना नए कनेक्शन की डिमांड के, अपनी मर्जी से चोरी चुपके विधि विरुद्ध 257 बिजली के मीटर लगा दिए, मनमामनी रीडिंग वसूली के लिए जारी कर दी गयी। किशोर सागर तालाब पर बनी बारह दरी पर लगे सिर्फ 9 या 10 खम्बों की 35400 की बिलिंग, कंसुआ आवासीय योजना की 70 रोड लाइटों का आठ लाख साठ हजार का बिजली का बिल चैंकाने वाले तथ्य थे। बिजली विशेषज्ञ टीम ने देखा के ई डी एल ने सिर्फ 32 कनेक्शन के वास्तविक बिल की जगह अस्सी लाख के बिल दिए वहां, मनमर्जी कनेक्शन ई 113, ई 449 पर मनमर्जी से मीटर लगा दिए गये और चोरी चुपके उसकी बिलिंग ली जाने लगी। इतना ही नहीं विशेषज्ञ बिजली अभियंताओं की टीम ने केईडीएल के ओरिजनल बिलिंग पोर्टल पर जब बिलिंग का प्रिंट आउट लिया तो चैंकाने वाले तथ्य थे। बिजली के मीटरों पर आई रीडिंग से तो अधिक बिल थे जबकि पोर्टल के प्रिंट आउट पर ,बिजली के बिलों में काफी अंर्त था। जब जाँच शुरू हुई और केईडीएल के अधिकारीयों को लगा के अब लूट के मामले में चोरी पकड़ी जाने लगी है , सरकार गंभीर है , कोई भी कार्यवाही हो सकती है तो सबसे पहले तो कंसुआ आवास योजना में जो मनमाने स्वेच्छिक, बिजली के मीटर ई 113, ई 449 लगाए गए थे को हटा लिए गए और भी कई बदलाव किये गए। खुद के ई डी एल का निजी पोर्टल जिस पर यह लोग कार्यालय में ही, हर घर के हर मीटर की रीडिंग को देखते रहते थे उस सिस्टम को भी बंद कर दिया गया। पोर्टल बंद कर दिया गया लेकिन जाँच अभियंताओं ने तो पहले ही पोर्टल की रीडिंग का प्रिंट आउट ले लिया था जो खुद अपने आप में दस्तावेजी सुबूत है ।
बिजली विभाग के शीर्ष अधिकारी मुकेश गर्ग को जब यह पता लगा और उन्हें लगा कि अब केबिनेट मंत्री शांति कुमार धारीवाल के ई डी एल को सबक सिखा कर ही रहेंगे और इस लूट खसोट के लिए फौजदारी कार्यवाही कर दोषी लोगों को जेल भिजवाकर ही दम लेंगे तो मुकेश गर्ग ने स्वेच्छिक रूप से के ई डी एल से इस्तीफा देकर अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास किया।
केईडीएल कम्पनी की नगर विकास, नगर निगम से बिजली की बिलिंग की मनमानी लूट, मनमाने बिजली मीटर लगाने की धोखाधड़ी, एक ही खम्बे की दो अलग अलग मीटरों पर बिजली उपभोग की अवैध रीडिंग के खिलाफ शांति कुमार धारीवाल के निर्देशों पर किशोरपुरा कोटा पुलिस थाने में विशेषज्ञ रिपोर्ट के साथ एफ आई आर दर्ज करने के लिए दी गयी। एफ आई आर और के ई डी एल के खिलाफ ना बाबा ना का फार्मूला रहा। पुलिस अधीक्षक, दीपक भार्गव से जब अभियंता मिले तो वही टल्लम टल्ला।
फिर जांच हुई फिर गौरव यादव पुलिस अधीक्षक का कार्यकाल आया, वही जांच ठंडे बस्ते में। आखिर निष्पक्ष जाँच के लिए फिर कमेटी बनाई गयी। बिजली विभाग जे वी वीएन एल के विशेषज्ञ अभियंता, नगर विकास न्यास, नगर निगम के अभियंता, आई टी एक्सपर्ट, वगेरा की फिर विशेषज्ञ टीम बनी। बिंदुवार हर मुद्दे पर सूक्ष्म जाँच हुई। इस जाँच के चलते एक उपभोक्ता दिलीप दत्त शर्मा, की शिकायत भी शामिल हुई और कलेक्टर के निर्देशों की जाँच में यह तथ्य सामने आये कि के ई डी एल के अभियंता घर घर जाकर ,जो अवैध वी सी आर भर रहे है, वह राजस्थान सरकार के विद्युत नियम 135 (2 ) के विधिक प्रावधानों के तहत जारी ,परिपत्र के विपरीत है। संबधित अधिकृत अभियंताओं द्वारा वी सी आर नहीं भरी जा रही हैं, मनमानी कार्यवाही हो रहे है। इस मामले में खुद तात्कालिक कोटा जिला कलेक्टर ओम कसेरा ने विशेषज्ञ रिपोर्ट की जाँच रिपोर्ट अपनी टिप्पणी जिसमे इस तरह की अवैध वी सी आर विधि नियम के विरुद्ध भरने की बात की गयी है, दिनांक 26 दिसंबर 2019 प्रमुख ऊर्जा सचिव को भिजवाई गयी है।
लूट खसोट की हद देखिये कि आज आम बिजली उपभोक्ताओं में सभी ने चालीस वाट की ट्यूब लाइट, सो वाट के बल्ब, हजार वाट के बल्ब की जगह, दस, पांच, वाट की एलईडी लगा ली है, घरों में पंखे कम आर पी एम के, कम बिजली उपभोग वाले है, जबकि कूलरों में पम्प जो मोटर वाला था, वह हटाकर अब सभी जगह चाइनीज पम्प जो कम करंट खाते है लगे हुए है, ऐसी भी फाइव स्टार लगाए हुए है तो हर बिजली उपभोक्ता का आधे से ज्यादा तो बिजली उपभोग स्वत ही कम हो गया। खुद नगर निगम, नगर विकास न्यास के अभियंताओं ने जांच में पाया कि उनके 783 बिजली के मीटर कनेक्शनों के अलावा के ई डी एल कम्पनी ने 257 मीटर मन मर्जी से लगा दिए गए थे जबकि दो अतिरिक्त मीटर पर मनमानी वसूली चली। इधर, नगर निगम, नगर विकास न्यास की स्ट्रीट लाइट, पार्कों की लाइटों में पहले जो 250 वाट की सोडियम लाइड लगाई जाती थी उसकी जगह अब तीस वाट की एल ई डी लगती है तो की ट्यूब लाइट को भी बीस वाट की एल ई डी से रिप्लेस किया है। इस तरह से सभी ज्यादा बिजली की खपत वाले बल्व, हेलोजन, सोडियम लाइटों को, बीस प्रतिशत से तीस प्रतिशत बिजली उपभोग वाली एल ई डी से रिप्लेस किया गया है, जो की स्वतः ही बिजली की खपत आधी से भी आधी कर देती है फिर भी उक्त मनमानी लूट खसोट के चलते अब तक साथ करोड़ के बिल अनावश्यक रूप से मनमाने के ई डी एल ने दे दिए। जब सरकार के साथ इस बिजली कम्पनी की लूट का यह हाल है तो फिर आम उपभोक्ताओं पर तो इनकी बिजली बिलिंग लूट की हदें, क्या होंगी ? अब शांति कुमार धारीवाल इस पोल पट्टी को विधिक रूप से कार्यवाही कर बड़ा विधिक एक्शन लेने के प्रयासों में जुट गए हैं, जिसके सकारात्मक नतीजे कोटा के बिजली के उपभोक्ताओं के पक्ष में आने की उम्मीद है। इस मामले में ना नुकुर के बाद आखिर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश मिल ने बिंदुवार विशेषज्ञों के साथ, मिलकर परिवाद की जांच की और आखरी में अपनी रिपोर्ट में के ई डी एल के अधिकारीयों को बेईमानीपूर्वक कृत्य का दोषी माना। इस पर किशोर पूरा कोटा थाने में एफ आई आर 17 ध् 2021 अंतर्गत धारा 418, 420, 465, 468, 120 बी आइ पी सी में 16 जनवरी 2021 को मुकदमा दर्ज हो सका।
केईडीएल भगाओं का नारा बुलंद करने के बाद उसकी क्रियान्विति में आ रही दिक्कतों और कोटा की आम जनता को, केईडीएल की लूट से बचाने के लिए, केबिनेट मंत्री शांति कुमार धारीवाल के प्रयासों से, किशोरपुरा थाने में दर्ज एफ आई आर, 17/ 2021 से के ई डी एल के अधिकारी गिरफ्तारी के खौफ से राजस्थान हाईकोर्ट में अपनी पूर्व अनुबंधित सरकार के चहेतों के जरिये हाईकोर्ट गए। जहां हाईकोर्ट ने अनुसंधान पर तो रोक नहीं लगाई लेकिन दोषी लोगों के खिलाफ अग्रिम आदेशों तक कठोर कार्यवाही पर रोक लगा दी।
अब कोटा के केबिनेट मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही फरियादी की तरफ से भी अपना पक्ष रखकर संबंधित आदेशों को संशोधित करवाने के प्रयास चल रहे हैं। केबिनेट मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने इस मामले में मुकेश गर्ग के ई डी एल, भानु प्रकाश मिश्रा की दो अलग अलग याचिकाओं को खारिज करवाने के लिए राजस्थान के महाधिवक्ता से भी विशेषज्ञों की चर्चा करवा चुके है । इस मामले में महधिवक्ता के सुझाव पर भी अतिरिक्त जांच हो चुकी है। केबिनेट मंत्री शांति कुमार धारीवाल तो कोटा वासियों के खिलाफ भाजपा के इस बीस साल के अनुबंध के पाप को सभी बंदिशों के बावजूद भी उनकी याचिका खारिज करवा कर उन्हें उनके पापों की सजा दिलवाने के प्रयासों में लगे है, लेकिन भाजपा के विधायकों ने इस मामले में कानों में तेल डाल लिया है। वह केईडीएल की इस लगातार लूट और खुली लूट के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोले हैं, विधानसभा में भी उन्होंने आवाज नहीं उठाई है। निर्दलीय कांग्रेस समर्थित विधायक संयम लोढ़ा ने इस मामले में विधानसभा में प्रश्न पूंछकर कोटा के ई डी एल कम्पनी के खिलाफ किशोरपुरा थाने में दर्ज मुकदमे के अनुसंधान नतीजा संबंधित स्टेटस रिपोर्ट के बारे में भी जानकारी चाही थी। विधानसभा के जवाब में भी स्पष्ट कहा गया है, के जांच में कोटा की बिजली कम्पनी के ई डी एल पुलिस अनुसंधान में दोषी मान ली गयी है, अब हायकोर्ट में प्रस्तुत याचिका खारिज होते ही दोषी लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी के साथ कार्यवाही शुरू हो जायेगी।
केबिनेट मंत्री शांति कुमार धारीवाल के इन प्रयासों में कोटा की जनता को भी कंधे से कंधा मिलाकर साथ देना चाहिए, जिन कोटा वासियों को के ई डी एल के अधिकारीयों ने ठगा है, लूटा है, फर्जी वी सी आर के नाम पर तंग किया है, प्रताड़ित किया है, आनावश्यक बढ़ोत्तरी कर बिलिंग की है, वह अपनी समस्त दस्तावेजी जानकारी के साथ, राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष संबंधित एफ आइ आर 17 / 2021 पुलिस थाना किशोर पूरा कोटा, मामले में के ई डी एल अधिकारीयों की याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट में प्रस्तुत करे। सार्जनिक रूप से ऐसी घटनाओं को उजागर करे, पत्रकारों तक इन जानकरियों को पहुंचाये, और अवैध वी सी आर जिसमे करीब सात हजार वी सी आर को लेकर सवाल उठाये गए है, जिसमे इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के 135 (2) और वी सी आर भरने के, राजस्थान सरकार के प्रतिबंधित आवश्यक प्रावधानों के उल्न्न्घन में, जो वी सी आर भरी गयीं है, उनके खिलाफ अदालत में, सार्वजनिक मंच पर, संवैधानिक व्यवस्था के तहत, शांतिपूर्ण तरीके से आवाज भी उठाना चाहिए। एक तरफ भाजपा सरकार की शह पर के ई डी एल का बीस साल का कठोर शर्तों के साथ किया गया अनुबंध है। दूसरी तरफ, कोटा के केबिनट मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने, उक्त बिजली कम्पनी की बेईमानी की पोल पट्टी खोली है, वह अदालती दांव पेंच के बावजूद भी इस लड़ाई को , जनहित में लड़ रहे है। कोटा की जनता ने साथ दिया तो भाजपा के विधायकों की सहमति से वर्ष 2016, 2017 में के ई डी एल का जो बीस साल का अनुबंध किया गया था। वह ऐसे भ्रष्ट अधिकारीयों जनता से लूट के आरोपियों की गिरफ्तारी, चार्ज शीट प्रस्तुत होने के बाद निश्चित तोर पर अनुबंध तोड़ने का एक आधार मिल जायेगा अब देखते है भाजपा के नेता इस मामले में के ई डी एल, का पक्ष लेते है या फिर इस कम्पनी को जनहित में कोटा से भगाने के मामले में कोई मददगार बनता है, कोटा की जनता भी इस मामले में सबूतों के साथ अब क्या मदद करती है ।

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