तीसरा रोजा बताता है कि नेकी के रास्ते पर चलो
मुस्लिम धर्म में रोजा रहमत और राहत की राह दिखाने वाला है। रहमत से मतलब अल्लाह की मेहरबानी से है और राहत का मतलब दिल के सुकून से है। अल्लाह की रहमत होती है तभी दिल को सुकून मिलता है। दिल के सुकून का रिष्ता क्योंकि नेकी और नेक कर्यों से है। इसलिए जरूरी है कि आदमी सही रास्ते पर चले। रोजा बुराइयों पर लगाम लगाता है और सीधी राह चलाता है।
रोजा रखकर जब कोई शख्स अपने गुस्से, लालच, जबान, जेहन और इंद्रियों पर काबू रखता है तो इसका मतलब है कि वह सीधी राह पर ही चलता है। जैसा कि पहले भी कहा जा चुका है रोजा भूख-प्यास पर तो अंकुष है ही, घमंड, छल-कपट, झगड़ा, बेईमानी, बदनीयती, बदगुमानी, बदतमीजी पर भी कंट्रोल है। वैसे तो रोजा है ही सब्र और हिम्मत-हौंसले का नाम। अच्छी नीयत से रखा गया रोजा नूर का निशान है। अच्छे और सच्चे मुसलमान की पहचान है।