धर्म

इबादत की रात ‘शब-ए-बरात’

इबादत, तिलावत और सखावत (दान-पुण्य) के इस त्योहार के लिए मस्जिदों और कब्रिस्तानों में खास सजावट की जाती है। इस रात मनाए जाने वाले शब-ए-बरात के त्योहार पर कब्रिस्तानों में भीड़ का आलम रहता है।
पिछले साल किए गए कर्मों का लेखा-जोखा तैयार करने और आने वाले साल की तकदीर तय करने वाली इस रात को शब-ए-बरात कहा जाता है। इस रात को पूरी तरह इबादत में गुजारने की परंपरा है। नमाज, तिलावत-ए-कुरआन, कब्रिस्तान की जियारत और हैसियत के मुताबिक खैरात करना इस रात के अहम काम है। मालवा-निमाड़ में इस त्योहार पर तरह-तरह के स्वादिष्ट मिष्ठानों पर दिलाई जाने वाली फातेहा के साथ मनाया जाता है।
मुस्लिम धर्मावलंबियों के प्रमुख पर्व शब-ए- बरात के मौके पर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में शानदार सजावट होती है तथा जल्से का एहतेमाम किया जाता है। रात्रि में मुस्लिम इलाकों में शब-ए-बरात की भरपूर रौनक रहती है। शब-ए-बरात की रात शहर में कई स्थानों पर जलसों का आयोजन किया जाता है।
इस्लामी मान्यता के मुताबिक शब-ए-बरात की सारी रात इबादत और तिलावत का दौर चलता है। साथ ही इस रात मुस्लिम धर्मावलंबी अपने उन परिजनों, जो दुनिया से रूखसत हो चुके हैं, की मगफिरत मोक्ष की दुआएँ करने के लिए कब्रिस्तान भी जाते हैं। इस रात दान का भी खास महत्व बताया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *