धर्म

जन्माष्टमी के उपलक्ष्य पर आईजीएनसीए में भाव-विभोर करता ‘देवगीता’ का आयोजन

नई दिल्ली। राजधानी सहित देश जन्माष्टमी के रंग में रंगा है और संस्थायें, संगठन, मंदिरों आदि में भक्तिमय माहौल एवम् भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं की झलकियां विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से आयोजित की जा रही हैं। इसी क्रम में राजधानी स्थित इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (आईजीएनसीए) में दिल्लीवासियों को एक अनूठा नृत्य प्रोडक्शन देखने को मिला। यहां जन्माष्टमी के मौके पर आईजीएनसीए द्वारा आयोजित दो दिवसीय गीत-गोविंद उत्सव के अन्तर्गत सेंटर फॉर मोहिनीअट्टम (सीएफएम) द्वारा देव-गीता प्रस्तुत किया गया। पद्मश्री भारती शिवाजी, वाणी भल्ला पहवा, दीपा रामाकृष्णन, दीप्ति नायर, मेघा नायर, अनघश्री पार्वती, आदित्य आर. और मानिनी मेनन की इस अनूठी प्रस्तुति ने यहां उपस्थित हर दर्शक को भाव-विभोर कर दिया। इस समारोह की कोरियोग्राफी और संगीत समायोजन पद्मश्री भारती शिवाजी द्वारा किया गया है।
देवगीता की प्रस्तुति केरल की मंदिर परंपरा और गीतगोविंदम से प्रेरित है। श्रीकृष्ण की भक्ति में रचे गए गीतगोविंदम के गीतों को भारतीय साहित्य व संगीत परंपरा के सर्वाधिक लोकप्रिय भजनों में शुमार किया जाता है। इनमें भगवान श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम का सुंदर वर्णन है और पूरे देश में इन्हें गाया जाता है। इन गीतों में केवल संगीत और शब्द सौंदर्य ही नहीं है, बल्कि इनका अर्थ भी अपने आप में गूढ़ रहस्य छिपाए है। सदियों से केरल के मंदिरों में गीतगोविंदम के गीत गाए जाते हैं। गुरुवायुर मंदिर में यह आज भी दैनिक पूजन का हिस्सा है।
पद्मश्री भारती शिवाजी ने अपने शोध और अनूठे विचार को मोहिनीअट्टम में ढाला है। इस प्रस्तुति में केरल के मंदिरों में गाए जाने वाले सोपानम गीतों के साथ मोहिनीअट्टम नृत्य का अद्भुत साम्य देखने को मिला, जो इस प्रस्तुति का मुख्य आकर्षण रहा। प्रस्तुति की शुरुआत गुरुवायुर मंदिर के श्रीकृष्ण के आह्वान से होती है। इसके बाद कथा के रूप में नृत्य-संगीत की अनूठी प्रस्तुति आगे बढ़ती है। राधा एवम् उनकी सखी कृष्ण को गोपियों के बीच खोया पाती हैं। इस क्रम में राधा नाराज हो जाती हैं। अगली कड़ी में राधा व्यग्रता से श्रीकृष्ण की प्रतीक्षा करती दिखती हैं। फिर कृष्ण का आना और राधा को मनाने का प्रयास करना तथा अंत में दोनों का प्रेम विह्वल हो जाना और गोपियों का उस उत्सवी माहौल में घुल जाना ही इस प्रस्तुति का सार है। मौके पर भारती शिवाजी ने बताया कि इस पूरी प्रस्तुति का सार राधा-कृष्ण प्रेम है। वह प्रेम जो सदियों से संसार में अद्वितीय है। जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर इस प्रस्तुति ने इसकी महत्ता को और बढ़ा दिया।
दो दिवसीय इस समारोह के पहले दिन देव-गीता के अतिरिक्त उस्ताद वसिफुद्दीन डागर का गायन और प्रख्यात नृत्यांगना रंजना गौहर एवम् रंजना डांस अकादमी की प्रस्तुतियां शामिल रहीं। दूसरे दिन का आयोजन 25 अगस्त को किया जायेगा जिसमें गुरू सिंहअजीत सिंह, चारू सिजा माथुर, एवम् मणिपुरी नृत्याश्रम, सुधा रघुरामन का कार्नेटिक वोकल और विश्व प्रसिद्ध नृत्यांगना शोवना नारायण एवम् आसावरी रेपरटरी की प्रस्तुति आयोजित की जायेंगी।

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