सहपीडिया की सालाना विंटेज साड़ी सेल से केरल के मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में योगदान
नई दिल्ली। समाजसेवियों, काॅर्पोरेट्स और सिविल सोसायटी संगठनों के साथ भारतीय कला, संस्कृति और विरासत की डिजिटल विश्वकोष सहपीडिया भी अपनी सालाना विंटेज साड़ी सेल के जरिये केरल मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष (सीएमडीआरएफ) में दान करेगी। भारत के कुछ बेहतरीन हस्तशिल्प वस्त्रों से बनीं 200 से अधिक साड़ियां 14 सितंबर को सहपीडिया के नई दिल्ली स्थित कार्यालय में बिक्री के लिए उपलब्ध कराया गया था।
सहपीडिया की परियोजना निदेशक नेहा पालीवाल ने कहा, “सहपीडिया विंटेज साड़ी सेल न सिर्फ खरीदारों के लिए एक लोकप्रिय कार्यक्रम है, बल्कि शहरी परिदृश्य में भारतीय हथकरघा उद्योग की उपस्थिति बनाए रखने का एक सशक्त प्लेटफाॅर्म भी है। इस सेल के जरिये साड़ियां फिर से बाजार में पहुंचती हैं और हाथ से बुनी हुई साड़ियां अधिक से अधिक महिलाओं के लिए उपलब्ध हो पाती हैं। इसके अलावा यह सेल उत्साहियों के उस समूह को भी प्रोत्साहित करती है, जो भारतीय वस्त्रों में दिलचस्पी रखते हैं और यह भी सहपीडिया के प्रमुख कार्यक्षेत्रों का एक हिस्सा है।”
अब अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी साड़ी सेल आम लोगों तक भारत की विशाल सांस्कृतिक विरासत की अधिक से अधिक पहुंच बनाने के सहपीडिया के मुख्य उद्देश्यों का एक हिस्सा है जिसके तहत इसकी वेबसाइट पर भारत की समृद्ध वस्त्र परंपराओं के लिए एक मल्टीमीडिया कंपोनेंट समर्पित है।
कला के कद्रदानों और अन्य दानकर्ताओं ने इस सेल के लिए अपनी पसंदीदा हैंडलूम साड़ियां दान की हैं जहां ज्यादातर साड़ियों की कीमत 200 रुपये से लेकर 800 रुपये तक है। सेल में लगी साड़ियों की असल कीमत कहीं भी कुछ हजार रुपयों से लेकर कई हजार रुपयों तक होती हैं, और इसमें चंदेरी, इकात, तस्सर तथा मंगलगिरी जैसी साड़ियों का चुनिंदा कलेक्शन उपलब्ध है।
वर्ष 2016 में शुरू होने के बाद से ही इस कार्यक्रम में काॅलेज छात्रों, कामकाजी महिलाओं, सेवानिवृत्त महिलाओं और कलाप्रेमियों को खरीदारी करते देखा जा रहा है। पिछले साल की विंटेज साड़ी सेल में जुटाए गए लगभग 100,000 रुपये एक उत्साही को दिए गए जो आईआईटी-दिल्ली की मदद से हथकरघा और पावरलूम की साड़ियों के बीच अंतर बताने वाला एक प्रोटोटाइप डिवाइस बना रहा है। इस वर्ष केरल में बाढ़ के कारण पहली बार इतने लोगों की जान चली गई और बुनियादी ढांचा बुरी तरह चरमरा गया। इसे देखते हुए इस सेल के जरिये जुटाई जाने वाली राशि सीएमडीआरएफ में दान की जाएगी ताकि राज्य सरकार के पुनर्वास प्रयासों में मदद की जा सके।