धर्म

आचार्य श्रीमद विजय धर्मधुरंधर सूरी जी ने एक कार्यक्रम के दौरान लोगों को ‘क्षमापना’ की विशेषता बताई

मुंबई। जैन समाज के चातुर्मास के अंतर्गत पर्युषण पर्व के अवसर श्क्षमापनाश् पर आचार्य श्रीमद विजय धर्मधुरंधर सूरी के एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन समाजसेवक गणपत कोठरी द्वारा दीपक ज्योति टावर,  मुंबई में शनिवार ८ सितम्बर २०१८ को आयोजित किया गया था, जोकि सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। जिसे सभी लोगों ने बहुत पसंद किया।
इस अवसर पर आचार्य श्रीमद विजय धर्मधुरंधर सूरी महाराज ने ‘क्षमापना’ के ऊपर प्रवचन के दौरान कहा, ‘जिसके प्रति गलती की है, उससे गलती के एहसास पूर्वक पश्चाताप सच्चे मन करने से बस केवल इतना कहना होता है कि मुझे माफ कर दो। इसके परिणाम स्वरूप आत्मिक और व्यवहारिक यथार्थ अनुभूति का एहसास होता है, ऐसा उल्लेख परमात्मा ने किया है, वैसी कल्पना हमें कभी भी नहीं की होगी? उत्तराध्ययन सूत्र में वह प्रश्नोत्तर के जरिये संजोया गया है। प्रश्न पूछा है गणधर भगवंत श्री गौतम स्वामी जी ने और उत्तर दिया है सर्वज्ञ, सर्वदर्शी, देवाधिदेव श्रमण भगवान महावीर स्वामी जी ने। इसमें कहा गया है कि बस, आप सच्चे मन से क्षमा मांगे और परिणाम आत्मा से महसूस करे।’
आगे विजय धर्मधुरंधर सूरी महाराज ने आगे कहते है, ‘क्षमापना से जीव प्रह्लादन भाव- चित्त की प्रसन्नता को प्राप्त करता है। चित्त की प्रसन्नता प्राप्त कर लेने पर सभी प्राणियों, भूतों, जीवों और सत्तवों से प्रति मैत्री भाव को प्राप्त हो जाता है, जो भावविशुद्धि अर्थात राग और द्वेष भाव को मिटा देता है। उसे ‘क्षमायाचना से चित्त की प्रसन्नता, मैत्रीभाव, भाव शुद्धि और निर्भयता की प्राप्ति होती है।’

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