सैर सपाटा

झीलों की नगरी उदयपुर विजित का प्लान बनाने का बेस्ट समय

-डॉ.प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
लेखक एवं अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार

विश्व में झीलों की नगरी और राजस्थान का कश्मीर के नाम से विख्यात उदयपुर विजित का प्लान बनाने का आज से 10 दिन का समय बेस्ट है। बुधवार 21 दिसंबर 22 से पश्चिमी केंद्र द्वारा आयोजित दस दिवसीय शिल्प ग्राम उत्सव शुरू हो रहा है। राजस्थान के सांस्कृतिक उत्सवों में यह इस दृष्टि से खास है की इसमें राजस्थान के साथ -साथ गुजरात, गोवा, दमन और दीव तथा नागर हवेली और
महाराष्ट्र राज्यों की संस्कृति के रंग भी देखने को मिलते हैं। इन राज्यों के लोक कलाकार और उनकी सांस्कृतिक थाती को एक ही जगह देखने का एक सुनहरा अवसर है। बुधवार की सांय समारोह का शु भारंभ राज्य के राज्यपाल कलराज मिश्र द्वारा शिल्प ग्राम में किया जाएगा।

  • अपनी उदयपुर पोस्टिंग के दौरान मुझे यह उत्सव देखने का मौका मिला। कह सकता हूं निसंदेह उदयपुर विजिट का इस से सुंदर अवसर नहीं हो सकता। लोक कलाकारों की रंगबिरंगी वेशभूषा में एक से बढ़ कर एक नृत्य संगीत की प्रस्तुतियां मनमोहक होती है। हर दिन खास होता है। हर दिन सांय खुले रंगमच पर मनोरंजक सांकृतिक कार्यक्रम और विभिन्न राज्यों हस्तशिल्प उत्पादों का सजा बाजार मुख्य आकर्षण होते हैं। चित्ताकर्षक सतरंगी माहोल में राजस्थानी व्यंजनों की खुशबू और स्वाद का तो कहना ही क्या। फ़ोटोग्राफ़ी और प्लेन एयर आर्ट चित्रकला प्रतियोगिता, क्ले-मॉडलिंगवर्क शॉप, मेहंदी प्रतियोगिता आदि की प्रतियोगिताएं की जाती हैं।
  • पश्चिम सांस्कृतिक केंद्र की निदेशक किरण सोनी के मुताबिक उत्सव के पहले दिन 21 दिसम्बर को समागम,दूसरे दिन 22 दिसम्बर को “एक भारत श्रेष्ठभारत”, तीसरे दिन 23 दिसम्बर को महाराष्ट्र दिवस, चौथे दिन 24 दिसम्बर को गुजरात दिवस,पाँचवें दिन 25 दिसम्बर को राजस्थान दिवस,छठे दिन 26 दिसम्बर को गोवा दिवस,सातवें दिन 27 दिसम्बर को नृत्यम,आठवें दिन 28 दिसम्बर को स्वरांजली, नौवें दिन 29 दिसम्बर को लोकधारा और दसवें एवं अंतिम दिन 30 दिसम्बरको झंकार शीर्षक से सायं छह बजे से प्रतिदिन सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ होंगी।
  • प्रतिदिन हजारों लोग इस उत्सव का लुत्फ लेने आते हैं। उत्सव की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस अवधि में यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। यह उत्सव उदयपुर पर्यटन की ब्रांडिंग का बड़ा माध्यम बन रहा है।
  • शिल्पग्राम : फतहसागर झील के दूसरे किनारे पर उदयपुर से 6 किलोमीटर दूरी पर लोक कलाओं के संरक्षण के लिए 1989 में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा शिल्पग्राम की स्थापना की गई। करीब 130 बीघा में निर्मित शिल्पग्राम में प्रदेशों की आदिम एवं लोक संस्कृति को दर्शाने वाली 26 पारंपरिक झौंपडियों का निर्माण किया गया हैं।
  • आदिवासी समुदाय की जीवनशैली, रीति-रिवाज और जीवनयापन के तौर-तरीकों से परिचित हों व एक-दूसरे की कला के प्रति अनुराग बढ़े इस दृष्टि से यहां राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा राज्यों की कलात्मक झलक प्रस्तुत की गई हैं।
  • शिल्पग्राम का प्रमुख आकर्षण यहां का संग्रहालय है। इसमें ग्रामीण दस्तकारी व हस्तकलाओं का अच्छा संग्रह किया गया है। मिट्टी की कलात्मक कोठियां, वस्त्रों पर की गई कारीगरी, आदिवासियों में प्रचलित मुखौटे, अंलकृत लकड़ी एवं धातुओं की वस्तुएं, कठपुतली तथा खिलौने आदि विविध प्रकार की सामग्री यहां देखने को मिलती है। परिसर में नृत्य के लिये कई मंच बने हैं जहां कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। वृहद स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन के लिए खुले आकाश में रंग मण्डप बनाया गया है जहां करीब 4 हजार दर्शकों के बैठने की व्यवस्था है। प्रति वर्ष दिसम्बर अथवा जनवरी माह में यहां अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का शिल्प मेला आयोजित किया जाता है। जिसे देखने के लिए देश-विदेश के सैलानी बड़ी संख्या में आते हैं। इस मेले में देशभर के शिल्पियों को उनकी कलाकृतियों के प्रदर्शन एवं विक्रय के लिए आमंत्रित किया जाता है।
  • उदयपुर घूमें : शिल्प ग्राम उत्सव के अतिरिक आकर्षण के साथ आप राजसी वैभव से साक्षात कराता सिटी पैलेस, क्रिस्टल आर्ट गैलरी, पुरानी कारों का विंटेज कार संग्रहालय दर्शनीय है। इसी परिसर में पुरातत्व वस्तुओं का राजकीय संग्रहालय भी देख सकते हैं। समीप ही कई फिल्मों में सूट किया गया स्थापत्य और मूर्ति शिल्प का बेहतरीन नमूना जगदीश मंदिर है। यहीं से एक रास्ता बागोर की कलात्मक हवेली और पिछोला झील तक ले जाता है। बागोर की हवेली में रियासत कालीन संग्रह, पगड़ी और देश -विदेश की कठपुतलियों का दर्शनीय संग्रहालय है। सिटी पैलेस के पीछे पिछोला झील के मध्य स्थित हेरिटेज लेक पैलेस होटल का दृश्य अत्यंत मनोरम है।
  • फतेहसागर झील, इसके मध्य नेहरू गार्डन और सोलर ऑब्जरवेटरी , किनारे पर मोती मगरी पर प्राचीन महलों के अवशेष, स्वाभिमानी शासक वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप स्मारक और इनके सेनापतियों के पार्क दर्शनीय हैं। झील के किनारे राजीव गांधी पार्क और झील के पाक के उस पार छोटी सी पहाड़ी पर स्थित निमज माता जी का मंदिर और पाल के सहारे मछलीघर दर्शनीय है।
  • लोक सांस्कृतिक का खजाना लोक कला मंडल संस्थान, सहेलियों की बाड़ी उद्यान, समीप ही सांय के समय सुखाडिया सर्किल का सौंदर्य, गुलाब बाग, चिड़ियाघर, दूध तलाई, सज्जनगढ़ और बायलोजिकल पार्क दर्शनीय स्थल हैं। यहां आप मंशापूर्ण माता रोपवे का आनंद भी ले सकते है। जिनको पुरातत्व में रुचि है वे आयड़ पुरातत्व संग्रहालय अवश्य देखें। धार्मिक आस्था वालों को बोहरा गणेश जी के दर्शन जरूर करने चाहिए, इनकी यहां बड़ी मानता हैं।
  • इन प्रमुख दर्शनीय स्थलों के साथ -साथ सम्पूर्ण नगर अरावली की पहाड़ियों की सुरम्य वादियों में अवस्थित होने से पर्यटकों के आकर्षण का प्रबल केंद्र है। आसपास इकलिंग, नाथद्वारा, जयसमंद झील,चारभुजा जी और ऋषभदेव जी प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
  • उदयपुर में आवास एवम भोजन की कोई समस्या नहीं है। पांच तारा से लेकर हर बजट के होटल उपलब्ध हैं। उदयपुर हवाई,रेल और बस सेवा से जुड़ा है।

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