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भारतीय गैस उद्योग के विकास में मौके और चुनौतियां : डेविड कैरोल

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में आज एक दिन की कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका विषय था, “भारत में प्राकृतिक गैस उद्योग रू भारतीय गैस उद्योग में मौके और चुनौतियां”। यह आयोजन पीडीपीयू-जीटीआई भारतीय गैस उद्योग के साथ मिलकर किया गया। इसमें इस क्षेत्र के जाने-माने वक्ताओं ने उद्योग की मौजूदा स्थिति की समीक्षा की और उसपर प्रकाश डाला।
यह कार्यशाला 2017 में व्यक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा का परिणाम थी। उस समय उन्होंने कहा था कि भारत में प्राकृतिक गैस के विकास के लिए वे चाहेंगे कि गैस टेक्नालॉजी इंस्टीट्यूट, इलिनोइस और पंडित दीन दयाल उपाध्याय पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी (पीडीपीयू), गांधीनगर के बीच एक गठजोड़ की शुरुआत की जाए।
इस सिलसिले में पीडीपीयू ने अप्रैल 2018 में एक ओपन हाउस का आयोजन किया था। इसमें चर्चा का विषय था, “इंडिया टुवार्ड्स गैस बेस्ड इकनोमी” (भारत गैस आधारित अर्थव्यवस्था की दिशा में)। इसमें डेविड कैरोल, प्रेसिडेंट, आईजीयू और सीईओ जीटीआई ने मौजूद लोगों को संबोधित किया था और भारत के प्राकृतिक गैस क्षेत्र के विकास के लिए अपने विचार तथा दृष्टिकोण साझा किए थे। इस कदम को आगे बढ़ाते हुए, पीडीपीयू और जीटीआई ने अब इस कार्यशाला का आयोजन किया है।
इंटरनेशनल गैस यूनियन (आईजीयू) के इमीडिएट पास्ट प्रेसिडेंट और सीईओ डेविड कैरॉल ने “प्राकृतिक गैस विकास पर अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य’’ पर अपने विचार रखे। अपनी प्रस्तुति की शुरुआत उन्होंने 2017 के वर्ल्ड गैस कांफ्रेंस की द्रुत समीक्षा से की और बताया कि दुनिया के हर कोने में और मुख्य रूप से चीन में गैस की मांग काफी बढ़ गई है। यही नहीं, एशियाई स्पॉट बाजार में कीमतें बढ़ गई हैं।
उन्होंने आगे कहा, “2018 के आंकड़े अभी आ रहे हैं पर यह स्पष्ट है कि एशियाई बाजार मांग बढ़ा रहे हैं। और एफएलएनजी प्रील्यूड ने अभी कुछ महीने पहले उत्पादन शुरू किया है तो आपूर्ति पक्ष अच्छा है और अमेरिकी सप्लाई भी बहुत बढ़ गई है। आईईए ने अनुमान लगाया है कि 2040 तक गैस की वार्षिक मांग में
1.6ः की वृद्धि होगी। शहरीकरण और शहरी क्षेत्रों में खराब हवा का मामला आबादी के ज्यादातर हिस्से और इसके परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस के विकास को प्रभावित कर रहा है।”
गैस टेक्नालॉजी इंस्टीट्यूट में बिजनेस डेवलपमेंट एंड एजुकेशन के रॉड रिनहोल्म ने अमेरिका में गैस उद्योग के परिदृश्य साझा किए। उन्होंने अमेरिकी प्राकृतिक गैस आपूर्ति श्रृंखला का संक्षिप्त विवरण दिया जहां उन्होंने अमेरिका की स्थिति बदलने पर जोर दिया। इस समय अमेरिका गैस का आयात करता है और यह गैस का निर्यात करने वाला देश बन सकता है। और 2019 के अंत तक इसका लक्ष्य इसके निर्यात का दूना है। उन्होंने कहा, “अमेरिका निरंतर अपने गैस डोमेन में जा रहा है। यह मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में बंटा हुआ है: आवासीय, व्यावसायिक और बिजली पैदा करने वाला औद्योगिक गैस।“
डॉ. अनिरबिड सिरकर, प्रोफेसर, स्कूल ऑफ पेट्रोलियम टेक्नालॉजी, पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी ने विस्तार से मुख्य जानकारी और गैस उद्योग से जुड़े मुद्दे साझा किए जैसा वेब आधारित सर्वे तरीके में हाईलाइट किया गया है। इसे “सर्वे मंकी” कहा जाता है। इस रिपोर्ट में 12 भिन्न गैस कंपनियों के नजरिए पर रोशनी डाली गई। इनमें जीएसपीसी, ओएनजीसी, अडानी गैस जो दो परिप्रेक्ष्य पर आधारित है। इसके अलावा भारतीय गैस उद्योग के लिए मौके और भारतीय गैस उद्योग के विकास की चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया। सिरकर ने कहा, “हम अपनी अर्तव्यवस्था को गैस पर आधारित बनाना चाहते हैं। हमारे पास एक महत्वाकांक्षी योजना है जो 6.5 प्रतिशत से 15 प्रतिशत की भारी वृद्धि के लिए है। गैस का उपयोग तकरीबन सभी क्षेत्र में होता है वह चाहे पवर हो या सीजीडी या उर्वरक। हालांकि, हमारे देश में जो अहम चुनौतियां हैं वह पूर्वी भारत में पर्याप्त गैस आपूर्ति की चुनौती है जबकि प्राकृतिक गैस की कीमत अभी भी एक चुनौती है।”
प्रोफेसर सुभाष शाह, निदेशक एसपीटी, पीडीपीयू ने कार्यशाला की शुरुआत इसके उद्देश्यों पर एक विचार के साथ की। उन्होंने कहा, ‘‘यह कार्यशाला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दृष्टि को सच करने में भूमिका निभाएगी। और देश में गैस की खपत मौजूदा 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर लगभग ढाई गुना, लगभग 2.5 गुना यानी 15 प्रतिशत करने की योजना पर काम चल रहा हैं।”

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