सामाजिक

डिग्निटी मार्च की 10,000 किमी. लंबी यात्रा एक करोड़ से अधिक भारतीयों के गुनित स्वरों के साथ सम्पन्न

नई दिल्ली। देश में बच्चों और महिलाओं पर होने वाले यौन अपराध को समाप्त करने के सामूहिक प्रयास में, डिग्निटी मार्च ने आज ‘नेशनल नेटवर्क ऑफ सरवाइवर्स’ के लॉन्च किये जाने की घोषणा की। डिग्निटी मार्च में हजारों की संख्या में ब्लात्कार और यौन हिंसा से बच निकलने वालों की सामूहिक पदयात्रा है और नेशनल नेटवर्क ऑफ सरवाइवर्स, भारत के 25 राज्यों और 250 जिलों के 25,000 सरवाइवर्स व उनके परिवार के सदस्यों को मोबिलाइज एवं ओरिएंट करने का पहला अखिल-भारतीय नेटवर्क है। सर्वाइवर नेटवर्क के लॉन्च के साथ ही, डिग्निटी मार्च की ऐतिहासिक यात्रा भी दिल्ली में संपन्न हो गयी। इस यात्रा में पिछले पैंसठ दिनों में भारत के कोने-कोने से गुजरते हुए 10,000 किमी. की दूरी तय की गयी।
मार्च के आगे के उद्देश्य :

  •  विजन डॉक्यूमेंट पर चर्चा के लिए संबंधित हितभागियों और विशेषज्ञों से भेंट।
  • अधिक से अधिक अपराध सिद्धि हेतु कार्य करने के लिए 300 से अधिक एनजीओ/सीएसओ से जुड़ना।
  • अपराधियों की तीव्र अपराध सिद्धि व उनकी शर्मिंदगी के जरिए अपराध को रोकने की दिशा में प्रयास।
  • 25,000 से अधिक सरवाइवर्स का नेशनल नेटवर्क साथ मिलकर न्याय की लड़ाई लड़ेगा।

ब्लात्कार के सरवाइवर्स एवं उनके परिजनों के नेतृत्व में और राष्ट्रीय गरिमा अभियान व इसके विभिन्न सहयोगियों के समर्थन से शुरू की गई, इस पहल ने एक ऐसा अनूठा मंच दिया, जिससे देश भर के बच्चों व महिलाओं ने बिना किसी शर्म के यौन शोषण से जुड़े अपने अनुभव बताये, और सामाजिक व्यवहार एवं नीतिगत सीमाओं के बीच के भारी अंतर को उजागर किया।
हजारों सरवाइवर्स और अन्य हितभागियों के विचारों के जरिए, डिग्निटी मार्च ने ‘सेफर इंडिया फॉर वुमेन ऐंड चिल्ड्रेन’ (महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित भारत) नामक विजन डॉक्युमेंट तैयार करने में मदद की। इस दस्तावेज में देश में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाली यौन हिंसा को रोकने संबंधी मुख्य सुझाव, बच्चों के व्यावसायिक यौन शोषण को समाप्त करने हेतु प्रभावी कानून एवं नीति शामिल है। इस दस्तावेज में दिये गये सुझावों में अपराध पीड़ितों के निष्पक्ष एवं त्वरित ट्रायल हेतु न्यायिक सुधारय पॉस्को एक्ट 2012 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु वित्तीय प्रावधान और वार्षिक निगरानी ऑडिट्सय सरवाइवर्स की दो-उंगली वाले नियम की समाप्तिय वित्तीय, चिकित्सकीय, मनो-सामाजिक एवं ढांचागत सहयोग से पीड़ितों का व्यापक पुनर्वासय भारत के हर जिले में एक संपूर्ण रूप से क्रियात्मक एवं संसाधनयुक्त वन-स्टॉप आपदा केंद्र की स्थापना एवं अन्य शामिल हैं।
समापन कार्यक्रम में सुश्री शांता सिन्हा, पूर्व चेयरपर्सन, नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्सय सुश्री निष्ठा सत्यम, कंट्री रिप्रेजेंटेटिव, यूएन वुमेन, इंडियाय डॉ. पीएम नायर, आईपीस (सेवानिवृत्त), पूर्व पुलिस महानिदेशक, सुश्री वृंदा ग्रोवर, अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालयय सुश्री डगमार वाल्टर, निदेशक, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठनय प्रो. (डॉ.) जी. एस. बाजपेयी, रजिस्ट्रार, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्लीय सुश्री ऋचा चड्ढा और सुश्री चित्रांगदा सिंह, मशहूर बॉलीवुड कलाकारय सुश्री स्वाती चक्रवर्ती भटकल, निदेशक, सत्यमेव जयते टीवी शो ने रामलीला मैदान नें हजारों सरवाइवर्स को अपना समर्थन दिया। बच्चों और महिलाओं के यौन शोषण के खिलाफ खड़ा होने के लिए पुलिस अधिकारियों, अधिवक्ताओं एवं एक्सपर्ट्स को उनके असाधारण कार्य के लिए सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय गरिमा अभियान, डिग्निटी मार्च के समन्वयक, आशिफ शेख ने कहा, ‘जब हमने डिग्निटी मार्च शुरू किया, तो हमारा उद्देश्य बच्चों और महिलाओं को बिना किसी शर्म के यौन हिंसा से जुड़े अपने अनुभवों के बारे में बताने के लिए प्रोत्साहित करना और पीड़ितों को शर्मिंदा करने वाली व्यापक संस्कृति को रोकना था। और हमें बताते हुए खुशी हो रही है कि इस राष्ट्रव्यापी यात्रा ने हजारों सरवाइवर्स को डिग्निटी मार्च के जरिए न्याय की लड़ाई हेतु एकजुट किया है। समाज के सभी वर्गों से डिग्निटी मार्च को प्राप्त समर्थन ने हमें नेशनल नेटवर्क ऑफ सरवाइवर्स बनाने के लिए प्रोत्साहित किया है, जो यौन हिंसा के सभी सरवाइवर्स के लिए सपोर्ट सिस्टम के रूप में काम करेगा। मार्च के जरिए प्राप्त जानकारी एवं प्रतिक्रिया से हमें उन मुख्य सुझावों को तैयार करने में मदद मिली है जिससे भविष्य में हमारी महिलाओं व बच्चों के लिए देश को सुरक्षित बनाने में सहायता मिलेगा।’
उन्होंने आगे बताया, ‘यह दुर्भाग्य की भी बात है कि जहाँ ब्लात्कार की घटनाओं को लेकर लोगों में काफी आक्रोश है, वहीं लाखों पीड़ित विशेषकर बच्चे व्यावसायिक यौन शोषण एवं सामुदायिक व्याभिचार के दलदल में फँसे हैं और समाज का कहना है कि चूंकि उन्होंने पैसा दिया है, इसलिए यह ब्लात्कार नहीं है। लेकिन यह सीरियल रेप का मामला है और जघन्य अपराध है। इस तरह के अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हेतु कठोर कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। आज डिग्निटी मार्च समाप्त हो सकता है, लेकिन यह यौन अपराधों के शिकारों के हितों की रक्षा और यौन अपराधियों के खिलाफ एक राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत है।’
भारतीय संसद ने हाल ही में बच्चों के यौन अपराधों (POCSO)  अधिनियम के संशोधन को पारित करने के साथ, बच्चों और नाबालिगों के खिलाफ यौन हिंसा के इन अपराधियों को पकड़ने की क्षमता बढ़ाई है, जो उनके जघन्य कार्यों के लिए जिम्मेदार हैं। महिलाओं और बच्चों के साथ यौन हिंसा सबसे तेजी से फैले मानवाधिकार उल्लंघन की समस्याओं में से एक है और यह एक ऐसी गंभीर समस्या है जिसका शीघ्रातिशीघ्र निराकरण आवश्यक है। नवीनतम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो 2016 के अनुसार, बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध के दर्ज मामलों में 193% की वृद्धि हुई है और यह वर्ष 2012 के 33,538 से बढ़कर वर्ष 2016 में 98,344 हो गई है, जबकि महिलाओं के साथ होने वाले अपराध में 35.73% की वृद्धि हुई है, और यह वर्ष 2012 के 2,37,931 से बढ़कर वर्ष 2016 में 3,22,949 हो गयी है।
डिग्निटी मार्च की शुरुआत, राष्ट्रीय गरिमा अभियान द्वारा कराये गये एक राष्ट्रीय ऑनलाइन सर्वेक्षण से हुई थी। श्स्पीक आउट!श् नामक यह सर्वेक्षण महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाली यौन हिंसा की उग्रता का पता लगाने और सरवाइवर्स की आवाज को बुलंद करने के उद्देश्य से किया गया था। सर्वेक्षण से पता चला कि यौन हिंसा के शिकार लोगों की संख्या चिंताजनक रूप से अत्यधिक है, लेकिन बच्चों और महिलाओं के साथ होने वाली यौन हिंसा के 95% मामले दर्ज नहीं हो पाते हैं, और पीड़ित/पीड़िता इसे लेकर ‘शर्मिंदा’ रहते हैं और वे समाज द्वारा माथे पर कलंक लगाये जाने के डर से इस बारे में कुछ नहीं बताते। खास तौर पर, जहाँ तक बच्चों का संबंध है, अधिकांश अपराधों का पता ही नहीं चल पाता है और इस मामले में लगभग न के बराबर दोष सिद्धि हो पाती है, जिससे अपराधियों का मनोबल बढ़ता जाता है। सर्वेक्षण से इस बात का भी पता चला कि महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाली यौन हिंसा की घटनाओं के सरकारी आंकड़े कम मान्य हैं, चूंकि 2% घटनाएँ ही पुलिस में दर्ज हो पायी हैं। पिछले वर्ष 20 दिसम्बर को मुंबई से शुरू हुई, 10,000 किमी. का राष्ट्रीय मार्च भारत के 24 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 200 से अधिक जिलों से होकर गुजरा, जिसे समाज के हर वर्ग से बेहद समर्थन मिला।

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