संपादकीय

सहायता कार्यों में भी अग्रणी न्यायाधीश और अधिवक्ता

-विमल वधावन योगाचार्य
एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट
केरल में इस वर्ष औसत से लगभग 37 प्रतिशत अधिक वर्षा ने कहर खड़ा कर दिया। कुछ जिलों में तो औसत से 80 प्रतिशत वर्षा भी रिकाॅर्ड की गई। यह सारा कहर लगभग 4-5 दिन की लगातार वर्षा के कारण उत्पन्न हो गया। सैकड़ों लोग मृत्यु के शिकार हो चुके हैं, कई हजारों घायल हुए हैं और लाखों लोग बेघर हो चुके हैं। केन्द्र सरकार के साथ-साथ अनेकों राज्य सरकारों ने भी यथा सम्भव आर्थिक सहायता और सामग्री केरल के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के लिए समर्पित की है। श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार के तुरन्त बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का आंकलन करने के लिए पहुँच गये। उसी दिन उन्होंने लगभग 500 करोड़ रुपये की केन्द्रीय सहायता केरल सरकार को समर्पित करने के अतिरिक्त भी कई अन्य सहायताओं की घोषणा की। हमारे देश की यह महान परम्परा रही है कि सरकारों के अतिरिक्त हर छोटा-बड़ा सामाजिक, धार्मिक, व्यापारिक और औद्योगिक संगठन भी आपदाग्रस्त क्षेत्रों की सहायता के लिए जुट जाते हैं। केरल के इस आपत्तिकाल में भी सब कुछ वैसा ही चल रहा है। परन्तु इस बार सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के नेतृत्व में भी बाढ़ग्रस्त लोगों की सहायता के लिए धन और सामग्री एकत्र करने का अभियान प्रारम्भ कर दिया। अदालत के कार्यों से निवृत्त होकर अनेकों वकील सर्वोच्च न्यायालय के सामने आधी रात तक सहायता सामग्री एकत्र करते रहे। कानूनी उलझनों में फंसे रहने वाले वकीलों को ऐसा करता देख यह लग रहा था कि भारतीय मानसिकता मानवतावाद के कार्यों में किस तरह उत्साह से भरी हुई दिखाई देती है। अगले ही दिन वकीलों द्वारा इकट्ठी की गई सहायता सामग्री सेना के हवाई जहाज द्वारा बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में पहुँचा दी गई।
वकीलों के द्वारा इस महान मानवतावादी अभियान की महानता और अधिक बढ़ गई जब सर्वोच्च न्यायालय के अनेकों वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने दिल खोलकर अपनी कमाई से बड़ी-बड़ी राशियाँ दान करने की हिम्मत दिखाई। भारत सरकार के महाधिवक्ता श्री के.के. वेणुगोपाल ने एक करोड़ रुपये का सहयोग दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री जयदीप गुप्ता जी के द्वारा 10 लाख रुपये तथा वरिष्ठ अधिवक्ता श्री सी.यू. सिंह के द्वारा 5 लाख रुपये की राशियों के अतिरिक्त अनेकों वकीलों ने यथा सम्भव आर्थिक सहयोग करके यह सिद्ध कर दिया कि अधिवक्ता भी मानवतावादी सहायता के लिए सदैव उसी प्रकार तैयार हैं जिस प्रकार सेना और सरकारें नागरिकों की रक्षा के लिए तैयार रहती हैं। सर्वोच्च न्यायालय बाॅर ऐसोसिएशन ने भी इस सहायता कार्य के लिए 30 लाख रुपये का सहयोग प्रदान किया। वकीलों के इस सारे प्रकरण में उस समय चार चाँद लग गये जब सर्वोच्च न्यायालय के दो न्यायाधीश श्री कुरियन जोसफ तथा श्री के.एम. जोसफ ने भी इस सहायता कार्य में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर तथा यथा सम्भव सहायता देकर देश के सभी न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं के बीच ऐसे मानवतावादी कार्यों के लिए उत्साह का संचार किया। केरल उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं ने भी इसी प्रकार बाढ़ग्रस्त लोगों की सहायता के लिए धन और सामग्री एकत्रित करने का अभियान चला रखा है।
न्यायमूर्ति श्री कुरियन जोसफ, श्री के.एम. जोसफ तथा भारत सरकार के महाधिवक्ता श्री के.के. वेणुगोपाल भी केरल के मूल निवासी हैं। आज सर्वोच्च न्यायालय बाॅर ऐसोसिएशन ने जिस प्रकार केरल के बाढ़ग्रस्त लोगों की सहायता के लिए एक बड़ा अभियान चलाया है, इसी प्रकार के सेवा कार्य हर प्रान्त के आपदाग्रस्त लोगों के लिए यथासमय पर चलाये जाने चाहिए। जिस प्रकार केरल से सम्बन्धित होने के कारण सर्वोच्च न्यायालय के दो न्यायाधीश सक्रिय होकर सहायता कार्यों के साथ जुड़ गये उसी प्रकार सर्वोच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों को ऐसी ही सक्रियता दिखानी चाहिए थी। जहाँ एक तरफ ऐसे सहायता कार्यों को देखकर मन में अपार संतोष और सहानुभूति के भाव पैदा हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ प्रान्तवाद, जातिवाद और भिन्न-भिन्न प्रकार के दलों में बंटी भारतीय समाज की अवस्था को देखकर यह मन में यह प्रार्थना आ रही है कि परमात्मा प्रत्येक व्यक्ति को मानवतावादी कार्यों में सहयोग के लिए उत्साह और क्षमताएँ प्रदान करें। भविष्य में जब कभी किसी भी प्रान्त में प्राकृतिक आपदाएँ पैदा हों तो सर्वोच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीश ऐसे सेवा कार्यों में सहयोग और प्रेरणाएँ प्रदान करते हुए दिखाई दें, सभी प्रान्तों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और बाॅर संगठनों से भी ऐसी ही अपेक्षा की जानी चाहिए। इससे वकालत जैसे महान न्यायवादी पेशे से जुड़े सभी लोग गर्व से अपने आपको मानवतावाद का रक्षक कहने का सौभाग्य प्राप्त कर सकेंगे।

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